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पहाड़ो में तिमला फल , तिमुल, तिमलु आदि नामों से पहचाना जाने वाला इस फल को हिंदी में अंजीर कहते हैं। यह फल पहाड़ो में काफी मात्रा में प्राप्त होता है
तिमला फल को अंग्रेजी में एलिफेंट फिग कहते हैं। तिमलु का वैज्ञानिक नाम फाइकस आरीकुलेटा है । तिमल मोरेसी समुदाय का पौधा है।
तिमल मोरेसी समुदाय का पौधा है। पहाड़ों में तिमला फल 800 से 2000 मीटर तक कि ऊँचाई में आसानी से मिल जाता है ।तिमला फल नही एक फूल होता है, जिसका खिलना लोगो को दिखाई नही देता है।
उत्तराखंड के अलावा यह तिमुल फल ( अंजीर ) भूटान, नेपाल ,हिमाचल म्यामार , दक्षिण अमेरिका,वियतनाम आदि जगहों में पाया जाता है। पूरे विश्व मे फाइकस जीनस कुल के पौधों को लगभग 800 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
शोध के अनुसार इसमे प्रमुखता से , पोटेशियम , फास्फोरस, मैग्नीशियम ,कैल्शियम, फाइवर, कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन , विटामिन a और b आदि पोषकतत्व पाए जाते हैं
इसमे फाइवर, कैल्शियम, विटामिन a, b, होने के कारण यह फल कब्ज में लाभदायक है । कैंसर में यह फल बहुत लाभकारी है। इस पर कई शोध भी हो चुके हैं।
मधुमेह (शुगर) में तिमला फल बहुत लाभदायक माना जाता है । तिमला फल को दिल की बीमारियों में कारगर माना गया है ।
तिमलु से निकलने वाला तेल बहुत लाभदायक होता है । इससे ह्रदय रोग, कैंसर, और कैलेस्ट्रोल कम करने की दवा बनती है ।
नेपाल से प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार यह उच्च एंटीऑक्सीडेंट वाला फल है। जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ और कई प्रकार के लाभ देता है। इसमे पाए जाने वाला कैल्शियम हड्डियां मजबूत करता है।
अस्थमा और जुकाम में लाभदायक होता है। इसको सुखाकर रख कर यह सूखे मेवे का काम करता है। इसे पानी मे भिगोकर प्रयोग करने से छाती रोगों में लाभ प्रदान करता है।