Sunday, April 21, 2024
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गेठी और गेठी की सब्जी के फायदे | Air Potato Benefits and Recipe

पहाड़ो में बरसात के समापन के समय एक विशेष सब्जी जो लताओं में में लगती है। और यह आलू के आकार की होती है। इसे पहाड़ी भाषा मे गेठी की सब्जी बोलते हैं। कंद रूप की यह सब्जी गर्म तासीर और औषधीय गुणों से युक्त होती है।

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उत्तराखंड देवभूमी के साथ साथ दिव्य भूमि भी है। प्रकृति ने यहाँ संसार की हर प्रकार की दिव्य औषधियों का संकलन दिया है। ये दिव्य औषधियां फल फूल और कंद रूपों में यहाँ उपलब्ध है। मगर जानकारी के आभाव में हम इनको भूलते जा रहे हैं या हम इनका प्रयोग नही कर रहे हैं। जिस कारण ये विलुप्ति की ओर बढ़ रहे हैं । इन्ही विलुप्तप्राय औषधीय कंद मूलो में एक प्रमुख कंद है,जो कि पहाड़ों में स्वतः ही उग जाता है। और जानकारी के अभाव में बस बर्बाद होता है।

गेठी की उत्पत्ति का स्थान दक्षिण एशिया माना जाता है। यह डायोस्कोरिएसी कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम डायोस्कोरिया बल्बीफेरा है। इसे संस्कृत में वरही कंद ,मलयालम में कचिल और मराठी में दुक्कर कंद कहते हैं। हिंदी में इसे गेंठी, गेठी या गिन्ठी कहते हैं । और उत्तराखंड में भी ऐसे गेठि या गेंठी, गेठी ही कहते हैं। अंग्रेजी में गेठी को एयर पोटैटो ( air potato ) कहते हैं।

भारत मे गेठी की 26 प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमे गेठी के साथ डा बेल्फिला ( तरुड़ कंद ) भी पहाड़ो में पाया जाता है। भारत के आयुर्वेद ग्रन्थ चरक संहिता और सुश्रुतसंहिता में गेठी को दिव्य अठारह पौधों में स्थान दिया गया है।चवनप्राश के निर्माण में भी गेठी का प्रयोग होता है।

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नाइजीरिया को गेठी का सबसे बड़ा उत्पादक देश माना जाता है। नाइजीरिया के अलावा घाना ब्राजील,क्यूबा,जापान इसके मुख्य उत्पादक देश हैं। भारत के कुछ राज्य ,उड़ीसा, केरल, तमिलनाडु में इसकी खेती की जाती है। उत्तराखंड में 2000 मीटर तक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में गेठी कई बेल पाई जाती है। गेठी एक बेल वाला पौधा है।

गेठी और गेठी की सब्जी के फायदे | Air Potato Benefits and Recipe

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गेठी के फायदे  –

गेठी का प्रयोग मुख्यतः सब्जी के रूप में किया जाता है। इसका स्वाद आलू की अपेक्षा थोड़ा कसैला होता है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में अक्टूबर नवंबर में पहाड़ी लोग गेठी इकट्ठा करके रख लेते हैं और फिर शरद ऋतु में इसको उबाल कर सब्जी या सलाद के रूप में प्रयोग करते हैं। गेठी गर्म तासीर की होती है। ठंड के मौसम में इसका प्रयोग बहुत लाभदायक होता है। पहाड़ी लोग इसका गर्म राख में पका कर सेवन करते हैं । इसे खांसी की अचूक औषधि माना जाता है। वराह कंद के प्रमुख लाभ निम्न हैं –

फायदे –

  • गेठी  ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। गेंठी में ग्लूकोज रेशेदार फाइबर सही मात्रा में पाए जाते हैं। जिससे खून में ग्लूकोज का स्तर बहुत धीरे बढ़ता है।
  • गेंठी में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं,जिनके कारण शरीर मे कोलस्ट्रोल कम बढ़ता है । एयर पोटैटो मोटापा घटाने में लाभदायक है।
  • इसमे विटामिन बी प्रचुर मात्रा में मिलता है। जो बेरी बेरी और त्वचा रोगों की रोकथाम में सहायक होता है।
  • गेंठी में कॉपर ,लोहा,पोटेशियम ,मैगनीज आदि खनिज पाए जाते हैं। जिसमे से पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित रखता है और कॉपर रूधिर कणिकाओं के निर्माण के लिए आवश्यक है।
  • वराह कंद या गेठी की पत्तियों और टहनियों के लेप से फोड़े फुंसियों में लाभ मिलता है।
  • गेंठी को उबालकर सलाद या सब्जी रूप में खाने से खांसी व जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
  • गेठी के तनों व पत्तियों के अर्क में घाव भरने की क्षमता होती है। और इसके अर्क में कैंसर कोशिकाओं को मारने की क्षमता भी होती है। जिससे कैंसर जैसी भयानक बीमारी में लाभ मिलता है।
  • इसके पत्तियों के लेप से सूजन व जलन में लाभ मिलता है।
  • इसकी गांठों में स्टेरॉयड मिलता है जो कि स्टेरोएड हार्मोन और सेक्स हार्मोन बनाने के काम आता है।
  • गेठी बबासीर के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नही है। दस्त के लिए भी यह अति लाभदायक है।
  • इसमे एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता भरपूर रहती है। और कैंसर में तो लाभदायक होता ही है।

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गेठी की सब्जी की रेसीपी ( Gethi veg Recipe ) –

उपरोक्त लेख में गेंठी कंद के बारे में विस्तार जानकारी के बाद दोस्तों आइये जानते हैं इसकी चटपटी सब्जी बनाने की विधि –

गेंठी की सब्जी के लिए आवश्यक सामग्री –

  • 500 ग्राम गेठी
  • एक बड़ा लहसुन
  • प्याज दो मीडियम
  • दो मीडियम टमाटर
  • सरसों का तेल
  • एक नींबू
  • हल्दी, धनिया व जीरा पाउडर आवश्यकतानुसार
  • नमक स्वादानुसार
  • हरा धनिया सजाने के लिए

बनाने की विधि –

सबसे पहले गेठी को उबाल कर अलग कर ले या आप उसे गर्म राख पर भून कर भी पका सकते हो । गर्म राख पर भुनने से ये भरते या तंदूरी वाला स्वाद देगा। अब इसके बाहर के छिलके निकाल कर छोटे छोटे टुकड़ों में छोटे छोटे टुकड़ों में काट लीजिये। अब लोहे की कड़ाही में सरसों का तेल डाल के उसे गर्म करें।

तेल गरम होने के बाद इसमे छिले हुए लहसुन भून लें । लहसुन के लाल होने के बाद उसमे प्याज भूरा होने तक भूने। तत्पश्चात टमाटर डाल कर नमक से गला लें फिर धनिया पावडर हल्दी पावडर और जीरा पावडर डाल कर हल्का पानी डाल कर ,मसालों के तेल छोड़ने तक पका लीजिये।

इसके बाद इसमे गेठी मिलाकर लगभग 2 मिनट तक भून लीजिये अब कढ़ाई में ढक्कन लगा दें और आंच हल्की कर दें। 2 या 3 मिनट हल्की आंच में पकने के बाद दक्कन खोलें और उसमे नीबू मिला दें और धनिये से सजा कर गर्म गर्म लेसू रोटी के साथ खाएं। और यदि संभव हो तो लेसू रोटी में घर का घी जरूर चपोड़े स्वाद दुगुना हो जाएगा।

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संदर्भ –

“गेठी जैसे औषधीय कंदमूल फल उत्तराखंड में विलुप्त हो रहे हैं या उनके गुणों और उनके बारे में सही जानकारी ना होने के कारण हम उनका सही प्रयोग नही कर पा रहे हैं। इस लेख का मुख्य उद्देश्य गेठी जैसे औषधीय कंद के बारे में जागरूकता फैलाना है।

इस लेख का संदर्भ विज्ञान प्रगति पत्रिका और कुमाउनी पत्रिका पहरू से लिया गया है। यदि यह लेख अच्छा लगे तो साइड में लगे व्हाट्सप्प और फेसबुक बटनों के माध्यम से शेयर अवश्य करें। देवभूमी दर्शन के व्हाट्सप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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