Friday, April 18, 2025
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झंगोरा : उत्तराखंड का पारंपरिक अनाज और इसके अद्भुत स्वास्थ्य लाभ

परिचय

एक समय था जब झंगोरा पहाड़ी लोगों का दिन भर का अनिवार्य भोजन हुआ करता था। धीरे-धीरे परिस्थितियां बदलीं, लोग पहाड़ छोड़कर मैदानों में बस गए। लोगों की आय और जीवन स्तर बदल गया। जानकारी के अभाव में झंगोरा जैसे सर्वगुण संपन्न अनाज को लोगों ने तुच्छ समझकर त्याग दिया। आज जब लोगों को इस अनाज के गुणों का पता चल रहा है, तो वे दुगनी कीमत में भी झंगोरा खरीदने को तैयार हैं।

झंगोरा का परिचय और महत्व –

झंगोरा उत्तराखंड का एक पारंपरिक मोटा अनाज है। इसे अंग्रेजी में Indian Barnyard Millet कहते हैं। संस्कृत में इसे श्यामाक, श्यामक, श्याम, त्रिबीज, अविप्रिय, सुकुमार, राजधान्य, तृणबीजोत्तम कहते हैं। इसके अलावा, हिंदी में झंगोरा को शमूला, सांवा, सावाँ, मोरधन, समा, वरई, कोदरी, समवत और सामक चाव आदि नामों से जाना जाता है। उत्तराखंड की कुमाउनी और गढ़वाली भाषा में इसे झंगोरा, झुंगरू आदि नामों से जाना जाता है। झंगोरा का वैज्ञानिक नाम इक्निकलोवा फ्रूमेन्टेसी है।

दुनिया के गर्म और समशीतोष्ण क्षेत्रों में उगाई जाने वाली एक प्राचीन बाजरा फसल है। एशिया, विशेष रूप से भारत, चीन, जापान और कोरिया में व्यापक रूप से खेती की जाती है। यह चौथा सबसे अधिक उत्पादित लघु बाजरा है, जो दुनिया भर में कई गरीब लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करता है। विश्व स्तर पर, भारत पिछले 3 वर्षों में 1034 किलोग्राम/हेक्टेयर की औसत उत्पादकता के साथ क्षेत्रफल (0.146 मिलियन हेक्टेयर) और उत्पादन (0.147 मिलियन टन) दोनों के मामले में बार्नयार्ड बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक है।

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बार्नयार्ड बाजरा की खेती मुख्य रूप से मानव उपभोग के लिए की जाती है, हालांकि इसका उपयोग पशुओं के चारे के रूप में भी किया जाता है। उत्तराखंड सहित हिमालयी पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग 2200 मीटर की ऊंचाई तक इसकी खेती की जाती है।

पोषक तत्व और स्वास्थ्य लाभ –

झंगोरा उर्फ बार्नयार्ड बाजरा एक छोटी अवधि की फसल है जो लगभग बिना किसी इनपुट के प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों में विकसित हो सकती है। और विभिन्न जैविक और अजैविक तनावों का सामना कर सकती है। इन कृषि संबंधी लाभों के अलावा, चावल, गेहूं और मक्का जैसे प्रमुख अनाजों की तुलना में अनाज को उनके उच्च पोषण मूल्य और कम खर्च के लिए महत्व दिया जाता है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और, विशेष रूप से, आयरन (Fe) और जिंक (Zn) जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत होता है। जो कई स्वास्थ्य लाभों से संबंधित हैं।

झंगोरा का पोषण मूल्य –

निम्नलिखित तालिका झंगोरा के पोषण मूल्य को दर्शाती है:

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पोषक तत्व झंगोरा प्रति 100 ग्राम –

  • कैलोरी 342
  • कार्बोहाइड्रेट्स 64 ग्राम
  • डाइटरी फाइबर 12.6 ग्राम
  • प्रोटीन 11.2 ग्राम
  • आयरन 16 से 18 ग्राम
  • कैल्शियम 22 मिलीग्राम
  • वसा 3.6 ग्राम
  • विटामिन B1 0.33 मिलीग्राम
  • विटामिन B2 0.10 मिलीग्राम
  • विटामिन B3 4.2 मिलीग्राम
  • ग्लाइसेमिक इंडेक्स 50

स्वास्थ्य लाभ –

झंगोरा न केवल एक पारंपरिक अनाज है बल्कि इसमें ऐसे गुण हैं जो आधुनिक स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं इसके प्रमुख स्वास्थ्य लाभ –

खून की कमी दूर करता है –

झंगोरा में आयरन की अच्छी मात्रा होने के कारण शरीर में होने वाली खून की कमी (एनीमिया) को दूर करता है। यह विशेष रूप से माहवारी में अधिक रक्तस्राव से जूझ रही महिलाओं और एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए लाभदायक है।
पाचन तंत्र को मजबूत करता है। झंगोरा में डाइट्री फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को मजबूत करती है। यह कब्ज, एसिडिटी और अन्य पेट संबंधी समस्याओं से राहत दिलाता है।

वजन घटाने में सहायक –

झंगोरा में फाइबर और प्रोटीन की अधिकता होती है, जिससे भूख देर से लगती है और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। इसकी कम कैलोरी सामग्री इसे वजन घटाने वाले अनाजों में शामिल करती है।

मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी –

झंगोरा में चावल की तुलना में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है, और इसमें मौजूद उच्च डाइट्री फाइबर शरीर में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करते हैं। यह मधुमेह रोगियों के लिए एक सुरक्षित और लाभदायक विकल्प है।

हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद –

झंगोरा के विशिष्ट गुण हृदय रोगियों के लिए इसे एक आदर्श आहार बनाते हैं। यह हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।

वर्तमान पहल और सरकार का समर्थन –

2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किए जाने के बाद, भारत सरकार और विभिन्न संगठन बाजरों को बढ़ावा देने के लिए कई पहल जारी रखे हुए हैं। MyGov जैसे मंचों पर क्विज और इंटरैक्टिव गतिविधियों के माध्यम से बाजरों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा रही है (MyGov Millets Campaign)।

सरकार ने बाजरों की खेती, उत्पादन और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए नीतियों और योजनाओं को भी लागू किया है। उदाहरण के लिए, ICAR-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स रिसर्च (IIMR), हैदराबाद को “ग्लोबल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन मिलेट्स” घोषित किया गया है (ICAR-IIMR)। इसके अलावा, “मिलेट चैलेंज” जैसी पहल स्टार्टअप्स को बाजरा वैल्यू चेन में नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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