Monday, November 11, 2024
Homeसंस्कृतिउत्तराखंड की लोककथाएँकचड़ू देवता की कहानी। " माँ बेटे के प्यार की अनोखी कहानी...

कचड़ू देवता की कहानी। ” माँ बेटे के प्यार की अनोखी कहानी “

कचड़ू देवता ( kachdu devta ) –

देवभूमी उत्तराखंड मे सनातन धर्म के देवताओं के साथ-साथ स्थानीय लोक देवी देवताओं को पूजन की परंम्परा भी पुरानी है। पहाड़ो पर रहने वाले वे प्राचीन निवासी जो कोई कारणवश देवत्त्व को प्राप्त हुए थे उन्होने अपने जीवनकाल में अच्छे कार्य किए जिसकी स्मृति में उन्हे आज भी पूजा जाता है।

और कई देवता ऐसे हैं जिन्हें उस समय अनिष्ट के भय से पूजने लगे और धीरे-धीरे वे पूरे समाज के लोक देवता बन गए। उत्तराखंड के प्रत्येक क्षेत्र में अपने अपने क्षेत्रानुसार अनेक लोक देवता पूजे जाते है। उत्तराखंड के इन्ही लोक देवताओं मे प्रसिद्ध हैं उत्तरकाशी के लोक देवता कचड़ू देवता यह देवता उत्तराखंड उत्तरकाशी के डुंडा क्षेत्र के धनारी और मरसाली गांव के आराध्य देव हैं। डुंडा ब्लाक के रानाडी गांव में भी इनका प्राचीन मन्दिर है।

हर वर्ष होता है भव्य मेला –

प्रत्येक वर्ष कचड़ू देवता का भब्य मेला आयोजित होता है। इस दौरान कचड़ू देवता अपने पश्वा के माध्यम से लोगो की समस्याएं सुनते हैं,और बेटी बहुओं और श्रद्धालुओं को अपना आशीष देते हैं।

कचड़ू देवता की कहानी–

कचड़ू देवता के बारे मे बताते हैं कि लगभग 150 वर्ष पूर्व उत्तरकाशी के डुंडा जागीर के युवा जागीरदार का नाम था कचड़ू राणा । बरसाली गांव मे उसकी बहिन शोभना का ससुराल था। कचडू राणा अपनी मां के साथ अकेला रहता था। एक बार कूचड़ अपनी बहिन शोभना से मिलने दिपावली के दिन बरसाली गांव के लिए निकलता है। काफी देर चलने के बाद उसे व्यकान महसूस होती है।

Best Taxi Services in haldwani

कचड़ू देवता

तब वह एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम करता है, और मधुर धुन मे अपनी मुरुली बजाना शुरू कर देता है। उसकी मुरली की धुन से आकर्षित होकर आंछरीयाँ (परियाँ) उसके पास आ जाती हैं, और उसे अपने साथ उठाकर ले जाती हैं। परियों के पास कचड़ू राणा अपनी माँ के लिए चिन्तित और व्याकुल हो जाता है। वह आंचरियों से निवेदन करता है कि, वे उसे छोड़ दे, उसकी बूढ़ी माँ घर मे अकेली है उससे घर के काम भी नही हो सकते अब ! कचड़ू राणा की व्यथा सुनकर आछरियों को उस पर तरस आता है, वे कहती हैं, ” तुम्हे अब हम नही छोड़ सकती, लेकिन तुम्हे एक विशेष सिद्धी देकर तुम्हारी मदद कर सकती हैं।

किन्तु शर्त यह है कि, तुम रात को इस सिद्धी के प्रभाव से अपने घर के सारे कार्य कर सकते हो, और दिन मे तुम्हे वापस हमारे पास आना होगा। यदि तुम्हारी मां ने तुम्हे रात को काम करते हुवे देख लियातो तुम्हारी सारी सिद्धी खत्म हो जाऐगी और तुम अपने घर में काम नही कर पाओगे। परियों की शर्त मानकर कचडू अपनी माँ की सहायता करने घर को चला गया।

घर जाने से पूर्व उसने अपनी मां को पूरी बात स्वपन के माध्यम से बता दी और रोज रात को अपने घर जाकर अपनी मां के छूटे हुए काम पूरे करके मां की मदद करने लगा। मां को भी सब पता ब्या, लेकिन मन मार कर चुपचाप सोई रहती थी। एक दिन उससे रहा नही गया, उसकी ममता बलवती हो चली उसने मन मे ठान लिया कि चाहे जो भी हो जाए वो आज अपने बेटे का चेहरा देखकर रहेगी। वो रात होते ही घर क पास छिप गई।

कचड़ू देवता
kachdu devta ki doli

जैसे ही उसका बेटा रात को घर मे काम करने आया तो उसने देख लिया और ममता के वशिभूत होकर उसको रोकने के लिए उसके पैर पकड़ लिए। ऐसा करते कचड़ू के मुँह से निकला ,” हे माँ ! तुमने ये क्या कर दिया ! अब मै तुम्हारी मदद नहीं कर पाउँगा ! किन्तु देव बनकर लोगो की मदद अवश्य करूँगा। इतना कहकर कचड़ू (Kachdu devta ) वहां से गायब हो गया। और उसके बाद देवत्व को प्राप्त कर लोगों की मदद करने लगे।

इन्हे भी पढ़े _

कंडार देवता | उत्तरकाशी क्षेत्र का महा ज्योतिष और न्यायकारी देवता।

हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments