उत्तराखंड में गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के क्षेत्रों में कुमाउनी और गढवाली बोलते समय अक्सर पहाड़ी शब्द बल का प्रयोग करते हैं। इस शब्द का प्रयोग कुमाउनी गढ़वाली भाषा के साथ साथ ,उत्तराखण्डी लोग हिंदी बोलते समय भी बल शब्द का प्रयोग करते हैं। और इसके साथ साथ उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के लोग हिंदी बोलते समय बीच मे ठैरा शब्द का प्रयोग करते हैं। ये दोनों शब्द एक परदेशी को परदेश में भी अपनी पहचान दिला देते हैं। जब परदेश में किसी की मधुर वाणी से अचानक बल और ठैरा का उच्चारण की ध्वनि कानों में पड़ती है ,तो दिल मे अपनत्व की भावना हिलोरें मारने लगती है। ऐसा लगता है , जैसे इस अनजान अजनबी शहर में कोई अपना मिल गया है।
आज अपने इस लेख में हम पहाड़ी “बल” और “ठैरा” का मतलब और इन शब्दों को कहां और कैसे प्रयोग किया जाता है । यह समझाने की कोशिश करेंगे।
पहाड़ी शब्द बल अर्थ |meaining of Pahadi word “Bal “
बल शब्द का हिंदी अर्थ है ताकत लेकिन पहाड़ी भाषा ( गढ़वाली और कुमाउनी में बल शब्द एक तकिया कलाम है । या यूं कहें पहाड़ी शब्द बल पहाड़ी भाषाओं ,गढ़वाली और कुमाउनी भाषा को एक अलग रूप अलग अलंकरण देता है। पहाड़ी लोग जब इस शब्द को हिंदी भाषा बोलते समय प्रयोग करते हैं तो यह शब्द पहाड़ियों के लिए एक पहचान पत्र का काम करता है। जिह्वा से बल शब्द निकलते ही सामने वाला समझ जाता है कि ये पहाड़ी है।
जब हम किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा कही हुई बात को ज्यो का त्यों बोलने के लिए ,बल को बीच योजक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
जैसे :- गढ़वाली में – वैं बोली मैं नि ऐ सकन बल ।
कुमाउनी- वैल को मी नी ऐ सकन बलि।।
कुमाउनी के कई जगहों में बल को बलि बोला जाता है।
गढवाली में बल का प्रयोग अधिक होता है। यहाँ बल का प्रयोग बात शुरू करने के लिए भी किया जाता है। संदेह प्रकट करने के लिए भी बल शब्द का प्रयोग किया जाता है। बल का प्रयोग अपुष्ट बात के लिए भी हो सकता है।
जैसे -उ नी आणा छन बल । बल या बलि का प्रयोग पहाड़ी
तुमर गो में नेताजी आई राछि बलि।
कहानी सुनाते समय भी , बल और बलि का प्रयोग किया जाता है। जैसे – एक राजा छौ बल या कुमाउनी में – ए राज होय बलि।
हिंदी में बल का अर्थ , कहते हैं ,सुना है , या ,कि इन शब्दों को पहड़ी शब्द बल का करीबी माना जाता है।
(meaning of pahadi word Bal and thaira in hindi )
“ठैरा ” का हिंदी में मतलब –
ठैरा और ठहरा दोनों अलग अलग शब्द हैं। ठहरा का अर्थ होता है ठहरना। जबकि ठैरा एक कुमाउनी -हिंदी शब्द है। कुमाउनी में इस शब्द का प्रयोग नहीं होता है लेकिन जब एक कुमाउनी भाषी हिंदी बोलता है ,तो इस शब्द का बहुतायह प्रयोग करता है।
पहाड़ी शब्द ठैरा का हिंदी अर्थ होता है ,-‘ है’ ” हुवा ‘और’ हुए ‘हो ‘
जैसे – अन्य क्षेत्र भाषी बोलेगा – आप कैसे इंन्सान हो यार। या तुम कैसे आदमी हुए। तो एक कुमाउनी भाषी बोलेगा – आप कैसे आदमी ठैरे। ये तो हमारा काम है। ऐसे एक सामान्य हिंदी भाषी बोलेगा
और एक पहाड़ी भाषी बोलेगा – ये तो हमारा काम ठैरा।
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