समाचार विशेष

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कुंभ मेला 2027: उत्तराखंड के मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन ने 2027 में होने वाले कुंभ मेले की तैयारियों का जायजा लेने के लिए हरिद्वार का दौरा किया। उनका उद्देश्य आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना और कुंभ…

उत्तराखंड की लोककथाएँ

परिचय: कुमाऊं मंडल में स्थित चम्पावत जनपद के टनकपुर से 18 किमी दूर, पूर्णागिरी पर्वत के शिखर के पास स्थित एक अनोखा देवालय है, जिसे ‘झूठा मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। यह एक छोटा ताम्र देवालय है, जो…

इतिहास

 प्रस्तावना हिरन -चित्तल नृत्य, जिसे हरिण-चित्तल उत्सव भी कहा जाता है, कुमाऊं की जीवंत लोक-सांस्कृतिक पहचान है। ‘हरिण-चित्तल’ का अर्थ ‘चितकबरा हिरण’ है—इसी भाव के साथ कलाकार एक जीवंत अष्टपदी हिरण का रूप धरकर दर्शकों के बीच वन्यजीवन की सौम्यता,…

दार्शनिक स्थल

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित वसुधारा जलप्रपात (Vasudhara Falls) प्रकृति की गोद में बसा एक अद्भुत और आध्यात्मिक स्थल है। यह जलप्रपात बद्रीनाथ से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और अलकनंदा नदी के किनारे,…

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त्यौहार

उत्तराखंड की संस्कृति लोक पर्वों और परंपराओं से भरी हुई है। इन्हीं पर्वों में सातों आठों (Satu Aathu Festival) का विशेष महत्व है। यह पर्व भाद्रपद मास की सप्तमी और अष्टमी को मनाया जाता है। इस त्योहार की खास बात…

लोकगीत

परिचय: “होठों में मुरुली” एक प्रसिद्ध कुमाऊंनी भजन है जिसे कुमाऊं के प्रसिद्ध लोकगायक स्वर्गीय पप्पू कार्की  ने लिखा और गाया है। इस भजन में भगवान श्री कृष्ण की दिव्य सुंदरता, मुरली (बांसुरी) की धुन और उनके अद्भुत प्रेम का…

खान - पान

परिचय एक समय था जब झंगोरा पहाड़ी लोगों का दिन भर का अनिवार्य भोजन हुआ करता था। धीरे-धीरे परिस्थितियां बदलीं, लोग पहाड़ छोड़कर मैदानों…

दिल्ली के पास इन हिल स्टेशनों में मनाइये नये साल का जश्न उत्तराखंड की एक ऐसी झील जहाँ नाहने आती हैं परियां। केदारनाथ से पहले होती है इनकी पूजा ! दर्शन के बिना अधूरी है यात्रा ! उत्तराखंड में गर्मियों में घूमने लायक कुछ खास स्थान पहाड़ी फल तिमला के बेमिसाल फायदे !