Author: Bikram Singh Bhandari

बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

उत्तराखंड बागेश्वर के जगदीश कुनियाल  की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने साप्ताहिक कार्यक्रम मन की बात 2.0 में की। प्रधानमंत्री जी ने आज अपने कार्यक्रम में जल संरक्षण की उपयोगिता और जरूरत पर बात की । उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुवात एक श्लोक से की – | माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति।| अर्थात , माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना गया है। प्रधानमंत्री जी ने नदी जल आदि  के बारे में बताते हुए, देश के कई भागों और लोगों की तारीफ की,जो जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसी क्रम में…

Read More

शनिवार 27 फरवरी 2021 उत्तराखंड की बेटियों के लिए शुभ दिन आया है। एक ओर नैनीताल की बेटियों को आज सरकार ने सम्मानित किया है, वही पिथौरागढ़ थल की बेटी श्वेता वर्मा का चयन भारतीय महिला क्रिकेट टीम में हुआ है। साउथ अफ्रीका के साथ 7 मार्च से शुरू हो रही एक दिवसीय पांच मैचों की श्रंखला के लिए ,भारतीय महिला क्रिकेट टीम में उत्तराखंड कि थल निवासी विकेटकीपर बल्लेबाज श्वेता वर्मा का चयन हुआ है। Up की टीम से खेलने वाली श्वेता का चयन 2020 में India A टीम के लिए भी हुआ था। एकता बिष्ट , मानसी जोशी …

Read More

उत्तराखंड की सबसे प्रसिद्ध मिठाई है, अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिगोड़ी, चॉकलेट मिठाई और डीडीहाट की खेंचुवा मिठाई।अब आप में से कुछ लोग सोच रहे होंगें कि बाल मिठाई का नाम तो हमने सुना है, लेकिन ये खेंचुवा मिठाई कहाँ से आ गई? और पिथौरागढ़ और डीडीहाट के आस पास के मित्रों  को तो इस मिठाई का स्वाद दिल तक घुला होगा। जैसा कि नाम से ही इसकी पहचान हो रही है, खेंचुवा।  मगर यह खाने में बहुत लज़ीज़ होती है। इसका स्वाद दिल से एकदम आत्मा में उतर जाता है। कुमाऊँ आँचल की एक और सौगात, परदेसी को अपने…

Read More

उत्तराखंड के स्नेही मित्रों के लिए खुश खबरी है। खुश खबरी यह है कि उत्तराखंड में साल में दो बार फल देने वाला आम का पेड़ मिला है।दगडियों आम के शौकीन तो सभी हैं, किसे अच्छा नही लगता आम! और आम का व्यसाय भी खूब होता है। मगर विडम्बना ये होती है,कि आम की फसल एक ही बार होती है। हमे रसीले आमों का आनंद लेने के लिए एक साल का इंतजार करना पड़ता है। मगर इन सभी समस्याओं का समाधान मिला है,उत्तराखंड  अल्मोडा के नौला गांव में। कलमी (फजरी) प्रजाति का यह आम का पेड़ मिला है,विकासखंड ताड़ीखेत के नौला…

Read More

बचपन में हमारी अम्मा (दादी जी) जाड़ों में हल्दी ,सुहागा,आदि के मिश्रण से घर का पिठ्या रोली तिलक बनाती थी। फिर घर के शुभ कार्यों में वहीं तिलक प्रयोग में लाया जाता था। ब्राह्मण ज्यू आते थे, पाठ मंत्रोच्चार के साथ सभी को तिलक करते थे। और घर कि महिलाओं को नाख से माथे तक एक लंबा पिठ्या रोली तिलक लगाते थे। पहले हमारी समझ मे नही आता कि इनको, इतना लंबा तिलक क्यों ?बाद में जब रोजी रोटी के लिए परदेश गए, तब देखा,वहां की महिलाएं तो छोटा सा तिलक लगा रही। तब मेरी  समझ में आया कि कुमाउनी…

Read More

सभी के जीवन में जन्मदिन ,शादी और सालगिरह का एक अपना महत्व होता है। और जब हम उनको इस खास मौके पर शुभकामनाएं देते हैं तो ,उनको खुशी तो मिलती है । इसके साथ साथ उनके साथ रिश्ता और मजबूत हो जाता है। और यदि हम अपनों को हम अपनी भाषा में संदेश भेजते हैं,तो हमारा आपस का रिश्ता और मजबूत हो जाता है। यानी उसमे और अपनापन आ जाता है।इसी क्रम में हमारी टीम देवभूमि दर्शन ने आपके लिए कुछ पहाड़ी भाषा में संदेश बनाने की कोशिश की है। अगर अच्छे लगे तो शेयर जरुर करें। जन्मदिन की शुभकामनाएं…

Read More

उत्तराखंड में लोग कई प्रकार के स्वरोजगार कर रहे हैं। आज हम आप लोगो को एक आसान से स्वरोजगार के बारे बताने वाले हैं,जिसके लिए आपको ना ज्यादा पैसा चाहिए,और ना ज्यादा जगह। अगर गाव मे आपके आस पास खजूर की झाड़ियां है, तो आप बहुत आसानी से खजूर का झाड़ू बना कर बेच सकते हो। उत्तराखंड में खजूर के झाड़ू बना के पैसा कमाया जा सकता है। और यह कार्य शुरू किया है, बेतालघाट निवासी श्री गोधन बिष्ट जी ने। गोधन बिष्ट यूपीएससी की तैयारी करते है। लॉकडाउन के समय उन्होंने अपने आस पास होने वाले खजूर के पत्तों…

Read More

चिरातीत काल में देव भूमि उत्तराखंड में अनेक महाविभूतियों ने जन्म लिया। और अन्य राज्यों की तरह यहां भी अमर प्रेम कथाएं बनी। इन्हीं अमर प्रेम कथाओं मे से एक है, उत्तरकाशी की रवाई घाटी की गज्जू मलारी की प्रेम कथा। उत्तराखंड की प्रमुख प्रेम कथाओं में राजुला मलूशाही, रामी बौराणी की कथाएं प्रचलित हैं। राजुला मालुशाई की कथा पर तो फिल्म भी बन गई है। उत्तराखंड के राजा हरु हीत ,और मालू कि कथा भी बहुत प्रसिद्ध है।आज हम आपको उत्तराखंड की एक और प्रेम कथा  गज्जू मलारी की कहानी सुनाते हैं। यह कथा लोक दंतकथाओं पर आधारित है।यह…

Read More

उत्तराखंड की कामधेनु ,पहाड़ की बद्री गाय। जी हां जिस गाय को कम फायदे की बता कर लोगो ने अपनी गोशाला खाली कर दी । और पलायन करके परदेश चले गए। उसी गाय की उपयोगिता आज सरकार के साथ साथ बाकी लोग भी मान रहे हैं। पहाड़ की बद्री गाय या पहाड़ी गाय – पहाड़ की बद्री गाय केवल पहाड़ी जिलों में पाई जाती है।इसे “पहाड़ी गाय”के नाम से भी जाना जाता है।ये छोटे कद की गाय होती है।छोटे कद की होने के कारण ये पहाड़ो में आसानी से विचरण कर सकती है। इनका रंग भूरा,लाल,सफेद,कला होता है। इस गाय…

Read More

कुमाऊनी रायता जी हा नाम से ही अपनी पहचान बता रहा है। भारतीय भोजन शैली में रायते का विशेष स्थान है। शादी,नामकरण,पूजा या तेरहवीं मे सार्वजनिक भोज को अलग अलंकरण देता है।सामान्यतः रायता बूंदी,और मट्ठे, नमक मिर्च मिला कर बनाया जाता है। थोड़ा अलग तरीके से बनाया जाता है। इसमें शुद्ध देसी राई की सनसनाहट होती है । छाछ के माखन कि खटास,और पहाड़ी पकी हुई ककड़ी का स्वाद। अच्छे अच्छे लोगों के मुंह से पानी निकाल देता है ये पहाड़ी खीरे का रायता। कुमाऊनी लोगो को रायता बहुत पसंद होता है। कुमाऊं मण्डल के मेलो में,तथा बाजारों में खीरे का रायता…

Read More