जब सैम देवता की जागर गाई जाती है, तब उसमें छिपुलाकोट का हाड़ का एक व्रतांत भी सुनाया जाता है। जिसका हमने हिंदी में वर्णन करने की कोशिश की है। यह लेख सैम देवता की जागर ,और प्रोफेसर DD sharma की पुस्तक उत्तराखंड के लोक देवता तथा पहाड़ो में सुनाई जाने वाली लोकगाथाओं की सहायता से संकलित किया गया है। इससे पहले के लेख में हमने आपको हरज्यूँ और सैम देवता की जन्म कथा को बताया है । जो पाठक अभी तक हरू सैम की जन्मगाथा नही पढ़ पाए, वो जन्म कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। कुमाऊ के…
Author: Bikram Singh Bhandari
हरज्यू और सैम देवता कुमाऊ के सुख समृद्धि के देवता माने जाते हैं। हरू देवता सबका कल्याण करने वाले शांत स्वभाव के देवता माने जाते हैं।एक लोक कहावत में कहा जाता है,कि जहॉ हरज्यूँ ( हरू ) का वास होता है, वहा सुख समृद्धि रहती है। और ये जहॉ नाराज हो जाते हैं , वहाँ सब विनाश हो जाता है। आन हरज्यूँ हरिपट । जान हरज्यूँ खड़पट। प्रस्तुत लेख हम आपको उत्तराखंड के लोक देवता हरज्यू और सैम देवता की जन्मकथा सुनाएंगे। तो आप इस लेख में अंत तक बने रहिए। हरज्यू और सैम देवता की जन्म कथा – हरज्यू…
मनीला देवी मंदिर उत्तराखंड अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र में स्थित है। देवदार और चीड़ ,बाज बुरॉश आदि धने वृक्षो की छाया में बसा मनीला माता का मंदिर। मनिला इस क्षेत्र का नाम है। और यहाँ स्थित देवी के मंदिर को माँ मनिला देवी मंदिर कहा जाता है। अल्मोड़ा जिला मुख्यालय लगभग 128 किलोमीटर दूर , रानीखेत से लगभग 85 और रामनगर से लगभग 80 किलोमीटर दूर मनिला नामक स्थान पर माता का चमत्कारी मंदिर है। मनिला एक आकर्षक पर्यटक स्थल है। मनिला में देवदार, चीड़ ,बुरॉश बाज के पेड़ों की छात्र छाया से यहां का प्राकृतिक सौंदर्य निखर जाता…
कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा से लगभग 16 किमी दूर कटारमल ( Katarmal , Adheli ,Sunar ) अधोली सुनार गाँव मे स्थित है । कटारमल का सूर्य मंदिर समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। कटारमल के पास कोसी नामक कस्बाई बाजार पड़ता है। एवं पास कोसी नदी ( कौशिकी नदी ) भी प्रवाहित होती है। Katarmal temple को उत्तराखंड का सबसे प्राचीनतम सूर्य मंदिर माना जाता है। कटारमल सूर्य मंदिर यह मंदिर समस्त कुमाऊ में विशाल मंदिरों में गिना जाता है। कटारमल के सूर्य मंदिर को कोर्णाक सूर्य मंदिर के बाद सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है।…
आजकल उत्तराखंड में कोरोना ,अपने चरम पर चल रहा है। प्रतिदिन लगभग 1000- 1900 तक संक्रमण के शिकार हो रहे हैं।आज हमने आपके मुस्कराने के लिए , कोरोना पर कुमाउनी कविता लिखी है। यह एक हास्य कविता है। इसमें हमने एक प्रेमी और प्रेमिका बीच का वार्तालाप का वर्णन है, जब प्रेमी को मास्क न पहनने के जुर्म में पुलिस की मार भी पड़ती है ,और चालान भी भरना पड़ता है । तो लीजये पढ़िए और आनंद लीजिए। कोरोना पर कुमाउनी कविता का शीर्षक है- “रेशमी रुमाल” के बतू आपुणे हिया को हाल। कोरोना…
शनिवार 9 अप्रैल 2021 को मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत जी ने उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय की माँ और पुत्री के लिए नई योजना महालक्ष्मी किट योजना का शुभारंभ किया। 22 अप्रैल 2021 को यह योजना अस्तित्व में आ गई। सबसे पहले 50 हजार लाभार्थियों को इसका लाभ मिलेगा। क्या है महालक्ष्मी किट योजना – महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार , उत्तराखंड के किसी भी परिवार में यदि पुत्री का जन्म होता है , तो माता और पुत्री को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय उत्तराखंड सरकार के मंत्री की की तरफ से एक…
गैरसैंण को वर्तमान में उत्तराखंड की ग्रीष्म कालीन राजधानी घोषित कर दिया है। आइए जानते है उत्तराखंड गैरसैंण का इतिहास। गैरसैंण का मतलब :- गैरसैंण शब्द दो पहाड़ी शब्दों से मिलकर बना है , गैर + सैंण , जहाँ गैर का मतलब कुमाउनी एवं गढ़वाली दोनो भाषाओं में गहरी या नीचे को बोला जाता है। सैंण का मतलब दोनों भाषाओं में मैदानी इलाके को बोला जाता है। इसका मतलब होता है गहराई या नीचे मैदानी एरिया या जगह। गैरसैण का मतलब है समतल मैदान । गैरसैंण की भौगोलिक स्थिति – वर्तमान में जिला, चमोली की तहसील और विकासखण्ड गैरसैण 30-3…
कुमाउनी भाषा मे शादी का कार्ड – कुमाउनी भाषा संरक्षण में ,अपना अतुलनीय योगदान देने वाले लेखक, कवि, गायक ,कार्यक्रम संचालक श्री राजेन्द्र ढैला जी ने शादी कार्ड का निमंत्रण विवरण कुमाऊनी में लिखा है । अपनी संस्कृति अपनी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए, और अलग यूनिक शादी कार्ड अपनी शादी में कुछ नयापन लाने के लिए आप भी अपनी दुधबोली में शादी कार्ड जरूर छपवाएं। प्रस्तुत सैंपल कार्ड में मनोरंजन हेतु, लेखक ने कुछ हास्य का प्रयोग किया है। ( Kumaoni wedding card matter ) यदि आप कुमाऊनी में शादी का कार्ड छपवाना चाहते हैं,तो प्रस्तुत विवरण में…
माँ भौना देवी उत्तराखंड की गढ़वाल कुमाऊ की देवी हैं। जनश्रुतियों के अनुसार भौना देवी माता गढ़वाल ले लाकर कुमाऊँ में स्थापित किया गया था। भौना देवी मंदिर – माता भौना देवी का मंदिर भतरौजखान उत्तराखंड में स्थित है। रामनगर रानीखेत राष्ट्रीय मार्ग पर भतरौंजखान से थोड़ा पहले मझोड़ भतरौजखान रोड पर कालसों बसोट से 14 किलोमीटर दूर जिहाड़ गांव में पड़ता है, माँ भौना देवी का ऎतिहासिक मंदिर। भौना देवी मंदिर रानीखेत से 40 किलोमीटर दूर रानीखेत रामनगर रोड पर है। भौना देवी माता का मंदिर लगभग 250 वर्ष पुराना है। स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार भौना देवी को गढ़वाल…
उत्तराखंड प्राकृतिक संपदाओं से सम्पन्न राज्य है । यहाँ की मनोरम वादियां और सुंदर ताल , जितनी मनोहर और लुभावनी लगती है ,वे अपने आप मे उतना ही रोमांच और रहस्य समेटे हुए है। आज हम आपको उत्तराखंड के एक रहस्यमयी , रोमांचक ताल परी ताल ( Pari tal Uttarakhand ) के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। शुरू करते हैं भारत का तालाबों का शहर मतलब नैनीताल से है। नैनीताल में बहुत सारे खूबसूरत ताल हैं । जिनके देखने हर साल हजारों लोग नैनीताल आते हैं। नैनीताल के प्रमुख तालो में नैनी झील , सात ताल , नौकुचियाताल , नल दमयंती ताल,…