katarmal sun Temple यह मंदिर समस्त कुमाऊ में विशाल मंदिरों में गिना जाता है। कटारमल के सूर्य मंदिर को कोर्णाक सूर्य मंदिर के बाद सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। कटारमल मंदिर कोर्णाक के सूर्य मंदिर से लगभग 200 वर्ष पुराना माना जाता है।
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कटारमल सूर्य मंदिर का इतिहास | History | Katarmal sun temple in hindi
कटारमल का सूर्य मंदिर अपनी विशेष वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। कटारमल के सूर्यमंदिर का लोकप्रिय नाम बारादित्य है। कटारमल के मंदिर के बारे मेें कहा जाता है,कि कटारमल सूर्य मंदिर का निर्माण कत्यूरी वंश के राजा कटारमल देव ने कराया था। इसीलिये इस मंदिर का नाम राजा कटारमल के नाम से कटारमल का सूर्य मंदिर भी कहा जाता है।
यहाँ छोटे छोटे 45 मंदिरों का समूह है। इतिहासकारों के अनुसार मुख्य मंदिर का निर्माण अलग अलग समय माना जाता है। वास्तुकला और शिलालेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 13 वी शताब्दी में माना जाता है।
अल्मोड़ा सूर्य मंदिर की दीवार पर तीन लाइन लिखा एक शिलालेख भी है। जिसके अनुसार प्रसिद्ध लेखक राहुल सांकृत्यायन 10वी या 11 वी शताब्दी का माना है। राहुल सांकृत्यायन ने भी इस मंदिर की मूर्तियां को कत्यूरी काल की माना है। इन मंदिरों में भगवान सूर्य की 2 मूर्तियां और विष्णु शिव गणेश भगवान की मूर्तियां है। पुरातत्वविद डॉ डिमरी जी के अनुसार यह मंदिर 11वी शताब्दी का माना जा सकता है। इस मंदिर के लकड़ी के गुम्बद के हिसाब से यह 8 वी या 9 वी शताब्दी का लगता है।
इस मंदिर में सुंदर अष्टधातु की मूर्ति थी , जिसे चोरों ने चुरा लिया था, जो अब दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे हैं। मंदिर का ऊँचा शिखर अब खंडित हो गया है। इसकी शिखर की ऊँचाई से इसकी उचाई का अनुमान लगाया जा सकता है। भारतीय पुरातत्व विभाग ने मंदिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया है। कटारमल मंदिर का प्रवेश द्वार जो अनुपम काष्ट कला का नमूना था, तस्करों की चोरी की वारदात के बाद। इन दरवाजों को दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रख दिया गया।
( कटारमल सूर्य मंदिर का इतिहास )
कटारमल के मंदिर की विशेषता –
katarmal sun temple की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ,यहाँ भगवान सूर्य की मूर्ति किसी ,धातु या पत्थर से निर्मित नही है, बल्कि बड़ की लकडी अर्थात बरगद की लकड़ी से बनी है। जो अदभुत और अनोखी है। यहाँ के सूर्य भगवान की मूर्ति बड़ की लकड़ी से बने होने के कारण ऐसे बड़ादित्य या बड़आदित्य मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान सूर्य देव की मूर्ति पद्मासन में स्थित है। इस मंदिर में सूर्य देव की 2 मूर्तियां है।

यह मंदिर पूर्वमुखी है। भगवान सूर्य नारायण रोज सुबह उदय के समय अपने भवन में किरणें बिखेरते हैं।
कटारमल सूर्य मंदिर की कहानी | Story of Katarmal sun temple
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन युगों से उत्तराखंड देवभूमि रही है। यहाँ पहाड़ो पर ऋषि मुनि अपनी जप तप करते थे। एक बार द्रोणागिरी , कक्षयपर्वत और कंजार पर्वत पर ऋषि मुनि अपना जप तप कर रहे थे। तभी उनको वहाँ एक असुर परेशान करने लगा। ऋषियों ने वहाँ से भाग कर , कौशिकी नदी ( कोसी नदी ) के तट पर शरण ली। वहाँ उन्होंने भगवान सूर्य देव की आराधना की । तब भगवान सूर्य देव ने प्रसन्न होकर अपने तेज को एक वटशिला मे स्थापित कर दिया । जैसा कि विदित है, ऊर्जा और तेज के सामने नकारात्मक शक्तियां नही टिक सकती हैं
वटशिला के तेज के सामने असुर परास्त हो गया ,और ऋषियों ने निर्बिघ्न अपनी पूजा आराधना,जप तप किया। बाद में कत्यूरी वंशज राजा कटारमल देव ने इसी वटशिला पर भगवान सूर्यदेव के भव्य मंदिर का निर्माण कराया।
कटारमल कब जाए
कटारमल सूर्य मंदिर की यात्रा आप कभी भी कर सकते हैं । ज्यादकर गर्मियों के मौसम में कटारमल की यात्रा सबसे उपयुक्त रहेगी। क्योंकि कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा जिले में आता है। अल्मोड़ा एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। अल्मोड़ा का तापमान गर्मियों में अधिकतम 28 डिग्री तथा न्यूनतम 12 डिग्री होता है।गर्मियों कटारमल के आस पास घूमने लायक बहुत स्थान हैं। कटारमल की यात्रा के साथ आप उत्तराखंड का प्रसिद्ध हिल स्टेशन रानीखेत कि यात्रा का आनन्द भी ले सकते हैं।
इसके साथ साथ अल्मोड़ा से लगभग 30 किमी माँ दुर्गा के प्रसिद्ध वैष्णवी शक्ति पीठ माँ दूनागिरी के भव्य मंदिर का दर्शन भी कर सकते हैं। इसके अलावा कटारमल सूर्य मंदिर के आस पास माँ कसार देवी का प्रसिद्ध मंदिर है, जो अपनी विश्व प्रसिद्ध अदभुत रेडियोएक्टिव शक्ति के लिए प्रसिद्ध है।
और अनेक दर्शनीय स्थल अल्मोड़ा जिले में हैं, जो कटारमल सूर्य मंदिर के आस पास हैं।
कटारमल सूर्य मंदिर कैसे जाए ।
कटारमल का सूर्य मंदिर एक बहुत अच्छा सूर्य मंदिर है। यहाँ जाने के लिए प्रत्येक मार्ग सुगम है। सबसे पहले आपको अल्मोड़ा पहुचना है, उसके बाद 17 किमी बस या छोटी गाड़ी से , स्याहीधार, मटेला हवालबाग, कोसी नदी के आगे लगभग 3 किमी पैदल सफर करना पड़ता है।
हवाई मार्ग से कटारमल सूर्य मंदिर ( by Air Katarmal sun temple ) –
अल्मोड़ा के निकट ,प्रसिद्व हवाई अड्डा पंत नगर हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा देश के सभी मुख्य शहरों से जुड़ा है। पंतनगर हवाई अड्डा से अल्मोड़ा की दूरी लगभग 127 किलोमीटर है। और पंतनगर से कटारमल की दूरी लगभग 147 किलोमीटर हैं। यदि आपको दिल्ली से कटारमल सूर्य मंदिर आना है। तो आप पंतनगर तक हवाई जहाज में उसके बाद सड़क मार्ग से छोटी गाड़ी या बस से पहुच सकते हैं। पंतनगर से अल्मोड़ा यात्रा में लगभग 5 घंटे का समय लगता है।
ट्रेन से कटारमल सूर्य मंदिर कैसे जाए।| by Train Katarmal mandir
कुमाऊ क्षेत्र में रेलवे के 2 स्टेशन है । पहला काठगोदाम स्टेशन है, जो अल्मोड़ा कटारमल से लगभग 105 किलोमीटर दूर है। काठगोदाम स्टेशन के लिए दिल्ली से सीधी ट्रेन रानीखेत एक्सप्रेस आती है। देहरादून से काठगोदाम लिंक एक्सप्रेस जनशताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन आती है। लखनऊ शहर से लखनऊ काठगोदाम एक्सप्रेस आती है। इन ट्रेनों से आप काठगोदाम पहुँच कर ,उसके बाद सड़क मार्ग से कटारमल का सूर्य मंदिर पहुच सकते हो।
कुमाऊ का एक स्टेशन और है,वो है रामनगर रेलवे स्टेशन। रामनगर तक ट्रेन में आकर ,वहाँ सर सड़क मार्ग से रानीखेत , मजखाली, शीतलाखेत होते हुए आप कटारमल सूर्य मंदिर पहुच सकते है।
सड़क मार्ग से कटारमल सूर्य मंदिर कैसे पहुचे । treavling by road katarmal sun temple.
कटारमल सूर्य मंदिर का सबसे नजदीकी कस्बा कोसी बाजार हैं । कोसी बाजार अल्मोड़ा और रानीखेत के लगभग मध्य में पड़ता है। इसलिए कोसी बाजार देश के सभी ,महत्पूर्ण सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा है। यात्रा का सबसे आसान साधन सड़क मार्ग की यात्रा हैं। आप दिल्ली या अन्य शहरों से टैक्सी या गाड़ी बुक करके सीधे कटारमल पहुँच सकते हैं।
निवेदन –
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