Friday, July 26, 2024
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कोरोना पर कुमाउनी कविता | Corona pe kumaoni me kavita

आजकल उत्तराखंड में कोरोना ,अपने चरम पर चल रहा है। प्रतिदिन लगभग 1000- 1900 तक संक्रमण के शिकार हो रहे हैं।आज हमने आपके मुस्कराने के लिए , कोरोना पर कुमाउनी कविता लिखी है। यह एक हास्य कविता है। इसमें हमने एक प्रेमी और प्रेमिका बीच का वार्तालाप का वर्णन है, जब प्रेमी को मास्क न पहनने के जुर्म में पुलिस की मार भी पड़ती है ,और चालान भी भरना पड़ता है । तो लीजये पढ़िए और आनंद लीजिए।

कोरोना पर कुमाउनी कविता का शीर्षक है-

            “रेशमी रुमाल”

के बतू आपुणे हिया को हाल।

कोरोना ले करि रो हाल बेहाल।

त्यर के बिगेड़ी जानो,

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म्यर गिच छोपी जानो,

जो दी दिनी तू आपणो

यो रेशमी रुमाल , रेशमी रुमाल।।

के बतू आपणो हिया को हाल।

कोरोना ले कारि रो हाल बेहाल।

मि पुलिसक दंड नि खानो ।

म्यार डबल बची जाना ।

मिकी कोरोना नि लग्नो।

जो दी दीनी तू आपणो,

यो रेशमी रुमाल ,रेशमी रुमाल।।

के सुनु तेरो हिया को हाल ।

कोरोना ले  कारि रो या हाल बेहाल ।।

द्वी गजेकी दूरी , मास्क छू जरूरी।

नि चलल या  मेरो यो ,

रेशमी रुमाल,रेशमी रुमाल।।

तू  सुई लगे ल्याले,

तू मास्क लगे ल्याले ,हाथ धोइ ल्याले ,

नी लागलो तेपा, कोरोना को काल।।

कोरोना पर कुमाउनी कविता
कोरोना कविता कुमाउनी भाषा मे।

निवेदन –  

उपरोक्त कुछ लाइन हमने कोरोना पर कुमाउनी कविता लिखने की कोशिश की है । इसमे कुछ हास्य का पुट भी रखा है। यदि यह कविता आपको अच्छी लगी तो , साइड में सोशल मीडिया बटन दिख रहे हैं,उनपे क्लिक करके सोशल मीडिया पर शेयर करके हमको अनुग्रहित करें। अगर आप कुछ सुझाव देना चाहते है ।तो हमारे  फेसबुक पेज  देवभूमि दर्शन पर मैसेज करे।

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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