“उत्तराखंड प्राकृतिक संपदाओं से सम्पन्न राज्य है । यहाँ की मनोरम वादियां और सुंदर ताल , जितनी मनोहर और लुभावनी लगती है ,वे अपने आप मे उतना ही रोमांच और रहस्य समेटे हुए है। आज हम आपको उत्तराखंड के एक रहस्यमयी , रोमांचक ताल परी ताल के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। “
शुरू करते हैं Lake district of India मतलब नैनीताल से है। नैनीताल में बहुत सारे खूबसूरत ताल हैं । जिनके देखने हर साल हजारों लोग नैनीताल आते हैं। नैनीताल के प्रमुख तालो में नैनी झील , सात ताल , नौकुचियाताल , नल दमयंती ताल, हरीश ताल, भीमताल । इसलिये नैनीताल Lake district of India के नाम से जाना जाता है।
परी ताल कहाँ है –
नैनीताल में एक ताल ऐसा है, जो अपने आप मे रहस्यमयी और रोमांचक ताल है। इस ताल के बारे में अधिक लोगों को पता नही है।इस रहस्यमयी रोमांचक ताल का नाम है परी ताल। नैनीताल से लगभग 24 या 25 किलोमीटर दूरी पर चाफी नाम का गांव पड़ता है।

चाफी गाव से आगे कलशा नामक नदी पड़ती है।यहाँ से परिताल लगभग 2 किलोमीटर दूर पड़ता है। परिताल का रास्ता बहुत ही रोमांचक और खतरों से भरा हुवा है। परिताल कलशा नदी के उस पार पड़ता है। कलशा नदी को पार करने के लिए, बड़े बड़े पत्थर और फिसलन भरे मार्ग से जाना पड़ता है। (पारियों की झील )

परियों की झील की कथा –
स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार ,और लोक कथाओं के अनुसार यह उत्तराखंड का एक रहस्यमयी ताल है , क्योकि यहाँ कि मान्यता है कि यहाँ पूनम की रात को परिया स्नान करने के लिए आती हैं । और पुराने लोगो की मान्यता के अनुसार , स्थानीय लोगो ने परियो को यहाँ से निकलते देखा था। इसलिये इस ताल का नाम परी ताल है। या परियो की झील कहाँ जाता है।
एक अन्य कथा के अनुसार पुराने समय मे काठगोदाम में लकड़ियों का गोदाम था, और नदी मार्ग परिवहन से लकड़ियों के लाग को मैदानी क्षेत्रों में भेजते थे। उस समय एक परंपरा थी, कि लाग की सुरक्षित यात्रा के लिये , बकरे की बलि दी जाती थी।
परन्तु एक ठेकेदार ने यह परंपरा निभाने से इंकार कर दिया। कहते हैं उसके 5000 लकड़ी के लाग गायब हो गए। जब ठेकेदार को अपनी गलती का अहसास हुवा, तो वह माफी मांग कर बलि के लिए तैयार हुवा ,तो उसके लाग चमत्कारी रूप से परी ताल से मिल गए। (परी ताल इन उत्तराखंड )
परी ताल की विशेषता –
यह ताल अपनी रहस्यमयी लोक कथाओ के कारण इस ताल को शुभ माना जाता है। इसकी मान्यता है कि यहाँ देव परिया स्नान करती हैं । इसलिए स्थानीय लोग यहाँ डुबकी लगाने या स्नान करने से परहेज करते हैं। परीताल की वास्तविक गहराई ज्ञात नही हैं।
इस झील के आस पास कुछ चट्टानें काले रंग की होती है, जिन्हें शिलाजीत युक्त चट्टान माना जाता है। जो एन्टी एजिंग के लिए औषधीय गुणो से भरपूर होती है। साल में जनवरी फरवरी में भारी संख्या में यहां लंगूर आते हैं। जो शिलाजीत को चूसने के लिए चट्टानों से चिपक जाते हैं।
परी ताल बहुत बड़ा नही है, लेकिन इसकी रहस्यमयी कथाओ और रोमांचक भौगोलिक परिस्थितियों, और प्राकृतिक सुंदरता लाजवाब है। ताल के चारो ओर की विशाल चट्टाने इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। इस ताल के ऊपर एक झरना है। इस झरने का पानी झील में भंवर बनाता है। इस ताल की एक और बड़ी विशेषता है कि , इस ताल के पास पहुँचने पर भी यह ताल नही दिखाई देता है।
निवेदन – उपरोक्त लेख में हमने आपको परी ताल इन उत्तराखंड , परियो की झील , परिताल के बारे में जानकारी दी है। यदि जानकारी अच्छी लगी हो तो साइड में दिए सोशल मीडिया बटन पर क्लिक करके शेयर कर दीजिए ।
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