मरोज त्योहार: उत्तराखंड के जौनपुर, जौनसार-बावर क्षेत्र में मनाया जाने वाला मरोज पर्व इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख और विशिष्ट त्योहार है। यह त्यौहार हर वर्ष पौष मास के 28वें दिन से शुरू होता है और माघ मास के अंत तक चलता है। इस पर्व की शुरुआत हिन्दू समाज में माघ महीने को पवित्र माह माना जाता है, जिसमें पूजा, व्रत, स्नान और दान-पुण्य का महत्व अधिक होता है। हालांकि, जौनपुर और जौनसार-बावर क्षेत्र में मरोज पर्व के दौरान पूरे माघ महीने में मांस और मदिरा का सेवन किया जाता है, साथ ही लोग नाच-गाने का आनंद भी लेते हैं…
Author: Bikram Singh Bhandari
मडुवा की रोटी के फायदे :- मडुवा को पहाड़ अनाज का राजा कहा जाता है। मडुवा पहाड़ो में सरलता से उग जाता है ,और पहाड़ का वातावरण इसके उत्पादन के लिए लाभदायक होता है। मडुवा उत्तराखंड की कुमाउनी भाषा का नाम है। मडुवा को हिंदी में रागी कहते हैं। मड़ुआ को अंग्रेजी में finger millet ( फिंगर मिलेट कहते हैं। मड़ुआ को गढ़वाली में कोदा के नाम से जानते हैं। मडुवा मुख्यतः अफ्रीका व् एशिया के सूखे क्षेत्रों में उगाया जाने वाला अनाज है। चार हजार साल पहले मडुवा भारत लाया गया। भारत में इसकी सबसे अधिक मड़ुआ कर्नाटक में…
यदि आप नैनीताल ,मंसूरी जैसी भीड़ भाड़ वाले हिल स्टेशनों से अलावा कुछ शांत और लुभावने हिल स्टेशन की खोज में हैं ,तो चौकड़ी उत्तराखंड में आपकी खोज खत्म हो सकती है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में बसा ये छोटा सा ,सुंदर हिल स्टेशन ,आस पास सुंदर वनसम्पदा से घिरा ,हिमालय के पंचाचूली ,नंदादेवी , नंन्दा कोट आदि पर्वत शिखरों के सुंदर दृश्य प्रदान करता है। असल मे यह एक सुंदर गाव हैं। चौकड़ी उत्तराखंड समुंद्रतल से लगभग 2010 की ऊंचाई पर स्थित है। चौकड़ी उत्तराखंड क्यों जाएं ? जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह एक कटोरे…
उत्तराखंड एक समृद्ध संस्कृति संपन्न राज्य है। इस राज्य में मुख्यतः गढ़वाली ,कुमाउनी और जौनसारी संस्कृति के साथ कई प्रकार की संस्कृतियों का समागम है। उत्तराखंड एक प्राकृतिक प्रदेश है। प्राकृतिक सुंदरता के लिहाज़ से यह राज्य अत्यधिक सुंदर है। इसलिए उत्तराखंड के लोक पर्व , संस्कृति , और रिवाजों में इसकी झलक स्पष्ट दिखाई देती है उत्तराखंड के अत्यधिक त्यौहार प्रकृति की रक्षा और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने के लिए समर्पित हैं। सनातन धर्म के सभी त्यौहार उत्तराखंड में मनाए जाते हैं। लेकिन उनकी मनाने की परंपराएं भी प्रकृति को समर्पित होती हैं। उत्तराखंड के प्रमुख लोक…
मिनी मालदीव –घूमने के लिए मालदीव हर किसी की पहली पसंद होती है। किन्तु मालदीव दुनिया की महँगी टूरिस्ट डेस्टिनेशन में से एक है। ऊपर से मालदीव के साथ भारत का विवाद भी चल रहा है। एक मध्यवर्गीय परिवार पाई पाई करके अपनी बचत करके रखता है। जब बात ज्यादा खर्च की आती है तो, इतना ज्यादा खर्च अफोर्ड करना हर किसी के वश में नहीं होता। यदि आप मालदीव जैसा अहसास कम खर्च में लेना चाहते हैं तो लक्षद्वीप के बाद भारत में उत्तराखंड का मिनी मालदीव आपके मालदीव जाने के सपने को कम बजट में पूरा कर सकता…
हल्द्वानी का इतिहास – हल्द्वानी उत्तराखंड का सबसे बड़ा व्यापारिक नगर है। हल्द्वानी नगर नैनीताल जिले में 29 डिग्री 13 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 79 -32′ डिग्री पूर्वी देशांतर में समुद्रतल से 1434 फ़ीट की ऊंचाई पर नैनीताल के पाद प्रदेश में स्थित है। कुमाऊं का द्वार माने जाने वाला हल्द्वानी पंद्रहवी शताब्दी से पहले हल्दु (कदम्ब ) के पेड़ों अलावा बेर ,शीशम ,कंजु ,तुन खैर ,बेल तथा लैंटाना जैसी झाड़ियों और घास का मैदान था। सोलहवीं शताब्दी के बाद राजा रूपचंद के शाशन में पहाड़ी लोगों ने शीतकाल में यहाँ आना शुरू किया। सन 1815 में अंग्रेजों ने गोरखों…
ईजा शब्द का प्रयोग उत्तराखंड की कुमाउनी भाषा में माँ के लिए किया जाता है। इस शब्द की उत्पत्ति कहाँ से हुई इसकी कोई सटीक जानकारी नहीं है। इस शब्द का माँ को सम्बोधित करने लिए प्रयोग के साथ-साथ कुमाउनी जीवन में भी इस शब्द का बहुताय प्रयोग किया जाता है। किसी मुसीबत के समय ,खुशी व्यक्त करने अन्य सवेदनाएँ जिनके लिए ईजा शब्द का प्रयोग होता है। इसके अलावा पहाड़ों में सहानुभूति के साथ वार्तालाप करने के लिए भी इस शब्द का प्रयोग होता है। इस प्रकार के वार्तालाप का प्रयोग पहाड़ की महिलाएं अधिक करती हैं। जैसे -…
प्रस्तुत लेख में हम आपको उत्तराखंड के आदर्श हिल स्टेशन मुनस्यारी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी विस्तार देने की कोशिश करेंगे। यह जानकारी निम्न क्रम में दी जाएगी। मुनस्यारी के बारे में आप जिस विषय मे जानकारी चाहते हैं, दिए गए टेबल में उस लाइन पर क्लिक करें। आप अपने मनपसंद टॉपिक पर पहुँच जाएंगे। मुनस्यारी मुन्स्यारी चारो ओर से पर्वतों से घिरा हुआ, एक ख़ूबसरत हिल स्टेशन है। यह उत्तराखंड के जिला पिथौरागढ़ का सीमांत क्षेत्र है। मुनस्यारी की सीमा एक तरफ तिब्बत और दूसरी तरफ नेपाल से लगा है। मुनस्यारी की समुंद्र तल से उचाई 2200 मीटर है।…
उत्तराखंड देहरादून की रमणीक वादियों में बसा महामहीम राष्ट्रपति जी का आशियाना जिसे देहरादून अध्यक्ष बॉडीगार्ड इस्टेट आशियाना के नाम से भी जाना जाता है। अब चार साल बाद फिर वहाँ चहल -पहल होगी क्योंकि 8 दिसम्बर को वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देहरादून आएँगी और देहरादून में लगभग 2 दिन ठहरेंगी। अपने देहरादून यात्रा के दौरान महामहीम देहरादून अध्यक्ष बॉडीगार्ड इस्टेट आशियाना में विश्राम करेंगी। चार साल बाद यह मौका फिर आया है, जब देश के सम्मानीय राष्ट्रपति अपनी उपस्थिति से देहरादून अध्यक्ष बॉडीगार्ड इस्टेट आशियानाकी शान बढ़ाएंगी। समाचारों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति महोदया को देहरादून में दो…
मित्रों इस लोक कथा के पहले भाग में आपने पढ़ा स्यूंराजी बोरा और भ्यूंराजी बोरा का परिचय और स्यूंराजी बोरा ने माल भाबर में बहु मोतिमा लुलानी की मदद से गुज्जरहंस लूल को हराकर, माल भाबर में अपना कब्ज़ा जमाया। इधर भ्यूंराजी बोरा अपनी पत्नी गंगा उर्फ़ गंगुली की चाल में फसकर जैंत भाइयों के हाथों अपनी जान गवा देते है। स्यूंराजी बोरा और भ्यूंराजी बोरा की लोककथा का पहला भाग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें अब पढ़े भाग दो- इधर भ्यूंराजी बोरा के प्राण तोते का रूप लेकर माल भाबर अपने भाई स्यूंराजी बोरा के पास पहुंच गए। और…