Thursday, May 22, 2025
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आखिर क्यों कहते हैं माल्टा फल को पहाड़ी फलों का राजा ? जानिए इसके 10 फायदे।

नींबू प्रजाती का यह खास फल माल्टा फल स्वाद में हल्का खट्टा और हल्का मीठा होता है। माल्टा एक पहाड़ी क्षेत्रों में उगने वाला फल है। माल्टा फल का वानस्पतिक नाम citrus Sinesis है। यह फल नींबू के कुल Rutaceae से सम्बन्ध रखता है।

इसका रंग सन्तरे जैसा होता है। इस फल को पहाड़ी सन्तरा या पहाड़ी फलों का राजा भी कहते हैं । सबसे पहले माल्टा का उत्पादन चीन में किया गया था। बाद मे माल्टा का हिमाचल, नेपाल, और उत्तराखंड में उत्पादन शुरू किया गया । माल्टा का पेड़ 6 से 12मीटर तक ऊंचा होता है।

इसके पेड़ 3 साल के अन्दर फल देना शुरू कर देते हैं। और लगभग 30 साल तक फल देते हैं। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों के लोग इस फल को बहुत पसन्द करते हैं।मसाला नमक (पहाड़ी नून), गुड़, दही या छाछ के मख्खन के साथ माल्टा के छोटे छोटे टुकड़े कर मिला लिया जाता है। उसके बाद उसमें  धनिया मिला या धनिया पत्ती से सजाकर पहाड़ी लोग माल्टा की चटनी बड़े चाव से खाते हैं। माल्टा एक औषधीय फल है।

माल्टा फल में पाए जाने वाले पोषक तत्व

1- कार्बोहाइड्रेट,
2- वसा
3- फाईबर
4- आयरन
5 फास्फोरस,
6-मैग्नीशियम
7- पोरेशियम
8 प्रोटीन
9- विटामीन सी
10- फ्लेवोनॉयड्स

माल्टा फल के उपयोग –

पहाड़ो में माल्टा फल नवम्बर से दिसम्बर तक पक कर तैयार हो जाता है। माल्टा एक बहुऊपयोगी फल है। पहाड़ी जनजीवन में माल्टा के निम्न प्रकार से प्रयोग किया जाता है-

  • पहाड़ो में इस फल की चाट बना कर खाई जाती है।
  • इसके छिलके ,पत्ते ,तेल ,बीज  सभी भागों का प्रयोग आयुर्वेदिक दवाई बनाने में किया जाता है।
  • माल्टा के पत्तों का काढ़ा बना कर ,उल्टी थकान आदि समस्याओं के लिए औषधि के रूप में किया जाता है।
  • माल्टा के छिलकों का चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
माल्टा फल
Malta fruit

माल्टा खाने के फायदे –

शोध के अनुसार  माल्टा खाने के निम्न फायदे बताये गए हैं –

  • माल्टा खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
  •  पेट की पाचन तंत्र की समस्याओं में लाभदायक है माल्टा।
  •  माल्टा खाने से ब्लडप्रेशर कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
  •   वजन घटाने में सहायक है यह फल।
  • इसकी पत्तिया और बीज औषधीय रूप में लाभ देती है। माल्टा में भरपूर
  •  फाइबर शरीर में कोलोस्ट्रोल कम करने में मदद करता है।
  •  माल्टा का जूस के गुर्दे की पथरी (Kidney stone) में लाभ मिलता है।
  • माल्टा के छिलके के पॉवडर को फेसपैक के  रूप में प्रयोग करने से त्वचा में निखार आता है।
  • माल्टा का उपयोग डाइबिटीज के मरीजों के लिए भी लाभदायक हो सकता है।
  • कैंसर से बचाव में लाभदायक हो सकता है
  • खून की कमी पूरी करने और खून साफ करने में फायदेमंद है यह फल।
  • भूख बढ़ाने और कमजोरी दूर करने में सहायक है माल्टा।
  • बालों के लिए भी लाभदायक बताया जाता है, माल्टा फल।

माल्टा फल के नुकसान

इसमें कोई शक नहीं है कि माल्टा फल , एक बेमिसाल फल है। यह अनेक गुणों से भरपूर है। इसीलिए माल्टा को पहाड़ी फलों का राजा कहते हैं। लेकिन एक सीमा से अधिक किसी  भी चीज का उपयोग नुकसानदायक हो सकता है।  इसलिए माल्टा का उपयोग एक दिन अधिक न करें। अपने शरीर की प्रकृति के अनुसार इसका उपयोग करें। माल्टा फल का औषधीय प्रयोग करने से पहले एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

अस्वीकरण –

इस पोस्ट में माल्टा फल के फायदे और नुकसान व् माल्टा के बारे में जानकारी सामान्य ज्ञानवर्धन के लिए है। इसे दवाई के रूप में प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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