Thursday, April 17, 2025
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मुक्ति कोठरी – उत्तराखंड में दुनिया की सबसे डरावनी जगह का रहस्य!

उत्तराखंड को एक तरफ देवभूमि कहा जाता है। यहाँ एक से बढ़कर एक तीर्थ धाम हैं। उत्तराखंड के पहाड़ों में देवो और ऋषिमुनियों का वास है। वहीं इसकी मनमोहक सुंदरता और मन सुकून देने वाला शांत वातावरण हर किसी को यहाँ कुछ पल बिताने पर मजबूर कर देता है। लेकिन इसके अतिरिक्त इन शांत पहाड़ों का अपना डरावना इतिहास भी है। जिसके बारे में जानकार अच्छे सिहर जाते हैं। वैसे तो उत्तराखंड के शांत पहाड़ों में कई डरावने स्थान हैं लेकिन चम्पावत जिले में  लोहाघाट के एबट माउंट की मुक्ति कोठरी को उत्तराखंड का सबसे अधिक डरावना स्थान माना जाता है।

लोहाघाट से 8 किलोमीटर ,चम्पावत से 22 किमी तथा पिथौरागढ़ से 56 किलोमीटर दूर एबॉट माउंट नाम से प्रसिद्ध क़स्बा है। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर यह स्थान समुद्रतल से लगभग 6400 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ से हिमालयी चोटियों के भव्य दर्शन होते हैं। यहाँ से पंचाचूली त्रिशूल ,कंचनजंगा  चोटियों  नयनाभिराम दर्शन स्पष्ट होते हैं। हिमालयी तलहटी पर सबसे सुन्दर जगहों में से एक माने जाने वाले इस स्थान को सन 1920 के आसपास एबॉट नामक ऑस्ट्रेलियन सज्जन ने खरीद लिया था। उनका पूरा नाम जान हैराल्ड एबॉट था। उन्ही के नाम पर इस स्थान का नाम एबॉट माउंट रखा गया। यह स्थान यूरोपीय शैली में बसा हुवा है।

यहाँ लगभग 16 के आसपास हवेलियाँ हैं और एक पुराना चर्च तथा एक कब्रिस्तान भी है। इसके अलावा यहाँ मुक्ति कोठरी नामक एक बांग्ला भी हैं। जिसके बारे में कहा जाता है कि यह बांग्ला दुनिया का सबसे भयानक भूतिया बांग्ला है। इस बंगले के बारे के टेलीविजन में भी कई प्रोग्राम आ चुके हैं। शोधकर्ताओं को भी इस स्थान के आस -पास नकारात्मक शक्तियों का अहसास हुवा है।

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मुक्ति कोठरी

हम जिसे आज मुक्ति कोठरी के नाम से जानते हैं,इस स्थान पर अंग्रेजों के समय एक ख़ूबसूरत बंगला हुआ करता था। जिसमे एक अंग्रेज परिवार रहता था। इस बंगले का नाम अभय बांग्ला या एबी बांग्ला था। इस बंगले का नाम इस बंगले के मालिक के नाम पर पड़ा था। इस बंगले का निर्माण 1900 के आस पास बताया गया है। कुछ समय बाद उस परिवार ने इस बंगले को अस्पताल बनाने के लिए दान में दे दिया था। इस अस्पताल में दूर दराज से लोग अपना इलाज कराने के लिए आते थे। अस्पताल बनने के लगभग एक साल बाद एक अजीब स्वभाव का डॉक्टर इस अस्पताल में आया।  उसका नाम डॉक्टर मोरिस था।

यह डॉक्टर लोगों को जीवनदान देना छोड़कर उनकी मृत्यु  तारीख की भविष्यवाणी करता था। और मरीज की मृत्यु की तारीख नजदीक आने पर उस मरीज को एक खास वार्ड में शिफ्ट कर देता था ,जिसका नाम मुक्ति कोठरी रखा था। कहते हैं कि डॉक्टर सनकी था ,अपनी सनक पूरी करने के लिए वो उन मरीजों मृत्यु की नींद में सुला देता था। कई लोग मानते हैं कि वह डॉक्टर एक शोधार्थी था। और असाध्य रूप से पीड़ित मरीज को वह मुक्ति कोठरी नामक वार्ड में शिफ्ट कर देता था। वहां उन पर जीवन मृत्यु से जुड़े प्रयोग करता था। उसके इन्ही प्रयोगों के बीच वे मरीज मृत्यु को प्राप्त हो जाते थे। डॉक्टर मोरिस की भविष्यवाणियां सच होने के कारण वे जनता के बीच काफी लोकप्रिय हो गए थे।

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कहते हैं डॉक्टर मोरिस द्वारा मुक्ति कोठरी में मृत्यु को प्राप्त सैकड़ों मरीजों की आत्मा आज भी एबी बंगले में तथा उसके आस पास भटकती है। उत्तराखंड का यह स्थान दुनिया के सबसे डरावने स्थानों में गिना जाता है। प्रकृति का सबसे सुरम्य स्थान दुनिया के सबसे डरावने स्थलों में एक हो सकता है ,इसकी कल्पना करना  बेहद कठिन है। कई घुमक्क्ड़ों और कई स्थानीय लोग मानते हैं कि मुक्ति कोठरी की डरवानी कहानी कोरी गप्प है। यहाँ भूतिया या डरावना जैसी कोई चीज नहीं है। बल्कि हिमालय की अद्भुत छटा का नयनाभिराम दर्शन कराती यह जगह दुनिया के सबसे सुन्दर जगहों में से एक है।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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