खतड़वा पर्व उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में पशुओं की रक्षा पर्व के रूप में मनाया जाता है। स्थानीय जानकारी के अनुसार 2024 में खतडुवा पर्व 16 सिंतबर 2024 के दिन मनाया जाएगा। जैसा कि हम अपने पिछले लेख घी संक्रांति में बता चुके हैं कि ,उत्तराखंड में लगभग प्रत्येक संक्रान्ति (जिस दिन सूर्य भगवान राशी परिवर्तन करते हैं) के दिन त्यौहार मनाने की परम्परा है। स्थानीय भाषा मे इसे सग्यान भी कहते है। इसी क्रम में आश्विन मास की संक्रांति के दिन उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल के लोग खतडुवा लोक पर्व मनाते हैं। अश्विन संक्रांति को कन्या संक्रांति भी कहते हैं…
Author: Bikram Singh Bhandari
ऐड़ी देवता उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र के लोक देवता हैं। उन्हें वन देवता के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं कि ऐड़ी देवता अपने क्षेत्र में रात्रि को ,अपने दल बल के साथ शिकार के लिए निकलते हैं। और रात्रि में बुरी शक्तियों से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल में ऐरी देवता के बारे में अनेक कथाएं एवं मान्यताएं प्रचलित हैं। और चंपावत और नैनीताल जिले के बीच मे ब्यानधुरा नामक स्थान पर ,ऐड़ी देवता का प्रसिद्ध मंदिर है। यह एक अनोखा मंदिर है, जहां लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर धनुष बाण चढ़ावे…
चल तुमड़ी बाटै बाट.. उत्तराखंड की यह प्रसिद्ध लोक कथा कुमाऊँ मंडल में सुनाई जाती है। पहले हमारे दादा दादी ने हमको यह कथा सुनाई थी,आज हम आपको डिजिटल माध्यम से उत्तराखंड की लोक कथा सुनाते हैं। दूर जंगल के पास गाव में , रामी नामक एक बुजुर्ग औरत रहती थी। रामी बुढ़िया की एक ही लड़की थी, जिसकी शादी हो चुकी थी। उसका ससुराल बहुत दूर भयानक जंगल के पार था। पहले जमाने मे गाड़ी और संचार की कोई व्यवस्था नही थी। तब घर पर पैदल जाकर ही कुशलक्षेम ली जाती थी। एक दिन रामी बुढ़िया को अपनी बेटी…
गढ़वाली भाषा दिवस प्रतिवर्ष 02 सितंबर के दिन गढ़वाली भाषा दिवस मनाया जाता है। यह दिन गढ़वाली भाषा को सम्मान दिलाने के लिए और 02 सिंतबर 1994 को मसूरी गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की पहल पर्वतीय राज्य मंच द्वारा 2018 में की गई थी तबसे प्रतिवर्ष 02 सिंतबर के दिन गढ़वाली भाषा दिवस मनाया जाता है। गढ़वाली भाषा की विशेषताएं एवं गढ़वाली भाषा पर निबंध – कई लोगो की अवधारणा है कि ,गढ़वाली एक भाषा नहीं बोली है। कोई भी बोलीं जब साहित्यिक रूप ले लेती है, तो वह…
यकुलांस का मतलब होता है अकेलापन। चमत्कारी शार्ट फ़िल्म है पांडवाज की यकुलांस। चमत्कारी इसलिए बोल रहे है, कहते हैं जब तक कोई अपना दर्द बयां नही करता ,तब तक किसी को पता नही चलता कि उसके अंदर कितना दर्द भरा है। मगर इसे पांडवाज की मेहनत और लगन का चमत्कार ही कहंगे बिना रोने धोने के सीन के ,बिना हल्ला गुल्ला के पहाड़ और पहाड़ में रहने वाले अकेले बुजुर्गों की पीड़ा का ऐसा चित्रण किया है, कि आखों से आंसू टपकते हैं,और दिल से आवाज आती है बस !!!!!अब नही!! आइये इस अद्वितीय मूवी यकुलांस के बारे में…
कुमाउनी भाषा का परिचय- उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र उत्तरी तथा दक्षिणी सीमांत क्षेत्र को छोड़ कर बाकि भू भाग में कुमाउनी भाषा बोली जाती है। पिथौरागढ़ का के उत्तरी क्षेत्र शौका बहुल होने के कारण , यहाँ शौका भाषा बोली जाती है। ऐसी जनपद के अस्कोट ,धारचूला और डीडीहाट के निकट रहने वाले वनरौत ,राजी बोलते हैं । कुमाऊँ के दक्षिण में थारू और बॉक्स जनजातियों द्वारा बोकसाड़ी और थारू बोली जाती है। दुसांद (गढ़वाली और कुमाऊँ का बीच का क्षेत्र ) में गढ़वाली कुमाऊनी मिश्रित प्रयोग की जाती है। श्री देव सिंह पोखरिया द्वारा लिखे गए कुमाऊनी भाषा पर…
तीन साल बाद वापस आ रहें हैं पांडवाज एक बेहतरीन शॉर्टफिल्म के साथ अपने बेहतरीन क़्वालिटी कंटेंट के लिए प्रसिद्ध , उत्तराखंड के पांडवाज काफी समय बाद ,अपने नए प्रोजेक्ट के साथ वापस आ रहे हैं। उनके नया प्रॉजेक्ट एक उत्तराखण्डी शार्ट फ़िल्म है, जिसका नाम है , यकुलांस। पांडवाज की यह शार्ट फ़िल्म में उत्तराखंड के पलायन का दर्द बड़ी बारीकी से दिखाया गया है। यकुलांस का अर्थ होता है अकेलापन। पलायन का दंश झेलते उत्तराखंड के गावँ और उन्ही खाली गांवों में अकेलेपन की जिंदगी जीते उत्तराखंड के बुजुर्ग। इस फ़िल्म के पोस्टर और नाम से लग रहा…
सालम की क्रांति – अल्मोड़ा जिले में बसा सालम क्षेत्र तल्ला सालम और मल्ला सालम में विभक्त है। इसे पनार नदी दो अलग अलग भागों में विभक्त करती है। 19वी शताब्दी में संम्पूर्ण उत्तराखंड में स्वाधीनता की अलख जागने लगी और उत्तराखंड का सालम क्षेत्र से भी लोगों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई सालम क्षेत्र से राम सिंह धोनी नामक क्रांतिकारी, समाज सुधारक ,कम उम्र में देशभक्ति और समाज सुधार की ऐसी मिसाल दे गए और अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बन गए। इन्ही प्रेणाओं पर आगे बढ़ते हुए,सालम क्षेत्र के लोंगो ने आजादी की…
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के मध्य नजर , उत्तराखंड सरकार बेरोजगार मित्रों के लिए पूरी तरह मेहरबान दिख रही है। इसलिए लगातार उत्तराखंड समूह ग के अंतर्गत भर्तियां निकाल रही हैं। वर्तमान में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ( uksssc) ने 164 वाहन चालक , प्रवर्तन चालक, डिस्पैच राइडर की भर्ती निकाली है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ( uksssc) द्वारा विभिन्न विभागों के अंतर्गत वाहन चालक के 161 पद, परिवहन विभाग के अंतर्गत प्रवर्तन चालक के 02 पद, और नागरिक सुरक्षा के अंतर्गत डिस्पैच राइडर के 01 पद , कुल 164 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किये गए हैं।…
जन्यू पुनुयु के नाम से मनाया जाता है कुमाऊं में श्रावणी उपाकर्म पर्व – उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल में भी सनातन परंपरा श्रावणी उपाकर्म , जनेऊ पूर्णिमा , पूर्णिमा के दिन ,जनयु पुनयु लोकपर्व के नाम से मनाया जाता है। जनयु पुनयु के दिन गाँव के सारे पुरुष नौले या प्राकृतिक जल स्रोत पर इक्कठा होते हैं, तत्पश्चात वहाँ पुरोहित आकर स्नान के पश्चात सभी को, मंत्रोच्चार के साथ जनेउ बदलवाते हैं मोली बांधते है। उसके बाद गाव में आकर, गाँव की सभी महिलाओं और बच्चों को भी, रक्षा धागा बाँधा जाता है। उस समय पुरोहित ” एनबद्धोबलीराजा दानवेन्द्रों महाबल:,…