Author: Bikram Singh Bhandari

बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

आपको ये तो पता ही होगा, कि कुमाऊनी में पैसा को डबल कहते हैं। और पहले जमाने के लोग, हमारे आमा-बुबु ने पढ़ाई लिखाई नही की थी, तो उन्हें हिंदी की गिनती नही आती थी, तो वे गिनने, हिसाब किताब करने के लिए पुरानी पारम्परिक कुमाऊनी भाषा मे गिनती का प्रयोग करते थे। अल्मोड़ा नैनिताल के कुमाऊँ के क्षेत्रों में  पुराने पूर्वजों द्वारा बहुताय प्रयोग किया जाता था।अब शिक्षा व्यवस्था दुरसस्त होने के कारण, आधुनिक पीढ़ी अपनी पारम्परिक दुधबोली भाषा से दूर हो रही है,या हिंदी इंग्लिश मिश्रित कुमाऊनी भाषा प्रयोग हो रही है। कुमाऊनी भाषा में गिनती– कुमाऊनी भाषा…

Read More

कुमाऊनी भजन लिरिक्स – पहाड़ों में जन्माष्टमी का त्यौहार आते ही,हम लोग एक पारम्परिक कुमाउनी भजन खूब गुनगुनाते थे। अभी भी कुछ लोग उस पारम्परिक पहाड़ी भजन को गुनगुनाते हैं। कुमाऊँ में जन्माष्टमी के दिन वही भजन गाया जाता है। आज आपके लिए उसी प्रसिद्ध कुमाऊनी भजन लिरिक्स  लाए हैं। श्रीकृष्ण जनमाष्टमी में इस भजन को गा के, भगवान श्रीकृष्ण को तो, खुश करेंगे ही, और आपने बचपन की यादें भी ताजा करेंगे -भजन इस प्रकार है – “यशोदा मैया त्यर कन्हैया ” यशोदा मैया त्यर कनहैया बड़ो झगड़ी। झन लगाए गोरु ग्वावा हमू दगडी।। जमुना जी मे कूदी पड़ो,…

Read More

“यदि आप नैनीताल की यात्रा पर हैं ,आपने उत्तराखंड नैनीताल के फेमस भट्ट जी के भुट्टों का आनंद नहीं लिया तो ,नैनीताल की ट्रिप में कुछ अधूरा रह गया। ” साधारण पृष्ठभूमि और विषम भौगोलिक परिस्थितियों में भी अपनी मेहनत के दम पर, कैसे खुद को एक ब्रांड के रूप में स्थापित किया जाता है। यह कर दिखाया है, नैनीताल ज्योलिकोट के लीलाधर भट्ट जी ने । लीलाधर भट्ट जी ज्योलिकोट में अल्मोड़ा -हल्द्वानी हाईवे पर भुट्टों का स्टाल लगाते हैं। हलाकि इस मार्ग पर कई और लोग भी भुट्टों का स्टाल लगाते हैं ,लेकिन भट्ट जी के भुट्टों का…

Read More

घी संक्रांति ( ghee sankranti ) उत्तराखंड का प्रमुख लोकपर्व है। घी संक्रांति, घी त्यार, ओलगिया या घ्यू त्यार  प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह की सिंह संक्रांति के दिन मनाया जाता है। 2024 में घी संक्रांति 16 अगस्त 2024 को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन से सूर्य भगवान सिंह राशी में विचरण करेंगे। भगवान सूर्यदेव जिस तिथि को अपनी राशी परिवर्तन करते है। उस तिथि को संक्रांति कहा जाता है। और उत्सव मनाए जाते हैं। उत्तराखंड में मासिक गणना के लिए सौर पंचांग का प्रयोग होता है। प्रत्येक संक्रांति उत्तराखंड में माह का पहला दिन होता है, और उत्तराखंड…

Read More

उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। जिसने उत्तराखंड भूकंप अलर्ट एप लॉन्च किया हैं । बुधवार 04 अगस्त 2021 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर धामी ने इस एप की शुरुआत की। इस एप की खासियत यह है, कि ये उत्तराखंड में भूकंप आने से 30 सेकेंड पहले आपको स्मार्टफोन में अलर्ट कर देगा। उत्तराखंड भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील राज्य है। यहाँ हमेशा भूकंप का खतरा बना रहता है। इस एप से उत्तराखंड को काफी मदद मिलेगी। भूकंप का अलर्ट देने वाला यह देश का पहला एप है। किसने बनाया भूकंप अलर्ट एप – IIT रुड़की ने…

Read More

भद्राज मंदिर उत्तराखंड में भगवान बलराम का एकमात्र मंदिर देहरादून , मसूरी में स्थित है। भद्राज मंदिर मसूरी से मात्र 15 किलोमीटर दूर  दुधली भद्राज पहाड़ी पर स्थित है। समुद्र तल से इस मंदिर की उचाई लगभग 7500 फ़ीट है। यह मन्दिर धार्मिक आस्था के साथ ,साथ साहसिक पर्यटन के लिए काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर ट्रेकिंग के लिए  बेस्ट है। लोग यहाँ पैदल ट्रेकिंग काफी पसंद करते हैं। यह दून घाटी का प्रसिद्ध ट्रेकिंग क्षेत्र है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मंदिर भगवान कृष्ण के बड़े भाई भगवान बलराम को समर्पित है। यहाँ भद्राज के रूप में बलराम जी…

Read More

आप अगर उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र से सम्बंध रखते हो तो, जब आपके घर मे विवाह आदि शुभ कार्य होते हैं, तो मंदिर पर एक अलग सी फ़ोटो लगी रहती है। उसमें देवियों के चित्र और गणेश भगवान के चित्र ,के साथ पर्वत, पेड़, पुष्प आदि बने होते हैं। इस फोटो को पंडित जी अलग से पूजा के समान की लिस्ट में लिखते हैं। इसे ज्योति पट्टा या ज्योतिपट्ट कहा जाता है। पहले इसे मंदिर की दीवारों पर, गेरू और चावल के विस्वार (चावल पीस कर बना हुआ तरल) से अंकित करते थे। या कमेट से अंकित करते थे। वर्तमान…

Read More

उत्तराखंड पहाड़ी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार मुख्यमंत्री नैनो स्वरोजगार योजना शुरू करने वाली है। इस योजना को मुख्यमंत्री अतिसूक्ष्म (नैनो) स्वरोजगार योजना नाम दिया है। इस योजना के अनुसार उत्तराखंड पर्वतीय क्षेत्रों में छोटे छोटे स्वरोजगार करने वालों को ,उत्तराखंड सरकार क्षेत्र के हिसाब से सब्सिडी देगी। इस योजना में उत्तराखंड सरकार की तरफ से नया अपडेट आया है। अब सरकार ने एक शाशनदेश जारी कर ऋण की सीमा बढ़ा कर 50 हजार कर दी है। और अनुदान क्षेत्र के हिसाब से दिया जाएगा। इस योजना के तहत ऋण के लिए किसी…

Read More

कर्नल अजय कोठियाल जी के बारे मे – नाम – अजय कोठियाल जन्म – 26 फरवरी 1969 जन्मस्थान – टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड पिता – श्री सत्यसरण कोठियाल ( ret. इंस्पेक्टर जनरल BSF ) माता – स्व श्रीमती सुशीला कोठियाल पत्नी -कर्नल अजय कोठियाल  अविवाहित हैं। व्यवसाय ( नौकरी ) – भारतीय सेना में कर्नल के    पद पर ( 1992 से 2017 ) , नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रधानाचार्य के रूप में भी कार्य किया अन्य कार्य – यूथ फाउंडेशन के निर्माता सम्मान – कीर्ति चक्र , शौर्य चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल वेबसाइट -http://youthfoundationuttarakhand.org/index.html जन्म ( Birth ) – अजय…

Read More

मित्रो आज के लेख में हम आपके लिए एक खास  गढ़वाली भजन या गढ़वाली माँगल गीत के बोल एवं वीडियो ऑडियो  लाएं है। इस गीत के रचियता गायक गढ़रत्न श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी हैं। और इस गढ़वाली जागर, गढ़वाली भजन  की कुछ लाइनों का प्रयोग , उत्तराखंड के सभी गायक अपना कार्यक्रम शुरू होने से पहले करते हैं। तो आइए शुरू करते हैं  गढ़वाली जागर! ॐ प्रभात को पर्व जाग … गौ स्वरूप पृथ्वी  जाग… उंदकारी काठा जाग …. भानू पंखी गरुड़ जाग…. सप्तलोक जाग ……. इंद्रा लोक जाग ….. मेघ लोक जाग… सूर्य लोक जाग … चंद्र लोक…

Read More