Author: Bikram Singh Bhandari

बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

उत्तराखंड के चार धाम कपाट अपने नियत समय पर बंद होने शुरू हो गए हैं। गंगोत्री ,यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट बंद हो गए हैं। मंगलवार 14 नवंम्बर 2023 को गोवर्धन पूजा के दिन गंगोत्री धाम के कपाट बंद हुए। तय मुहूर्त पर गंगोत्री धाम के कपाट बंद हुए और माँ गंगा की डोली मुखबा के लिए रवाना हुई। अब अगले छह महीने तक माँ गंगा की पूजा और दर्शन मुखबा में होंगे। भाईदूज पर यमुनोत्री धाम कपाट और केदारनाथ के कपाट बंद हुए। माँ यमुना के अगले छह माह तक खरसाली में दर्शन होंगे। तथा इस समयावधि में माँ…

Read More

प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट में अब तक के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी उत्तराखंड नैनीताल पहुंच गए हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार धोनी नैनीताल में बाबा नीम करोली के दर्शन करेंगे। इससे पहले विराट अनुष्का भी बाबा नीम करौली के दर्शन करने आ चुके हैं। लोग बताते हैं कि बाबा नीम करोली के आशीर्वाद से विराट अपनी जीवन की नई सफलताओं को चूम रहे हैं ,और व्यवहार में भी काफी परिवर्तन है। इनके अलावा कई बड़ी -बड़ी हस्तियां बाबा नीम करोली का आशीर्वाद ले चुकी हैं। कैंची धाम में…

Read More

गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाने वाला त्यौहार है। जिसमे वृज के गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। कहते हैं द्वापर युग में भगवान् कृष्ण ने यह पूजा इंद्र देव का घमंड चूर करने के लिए शुरू करवाई थी। तबसे आज तक नियत दिन पर यह पूजा पुरे विधिपूर्वक होती है। मगर क्या आपको पता है ? उत्तराखंड के पहाड़ी हिस्से में  खासकर कुमाऊं मंडल में यह पूजा जा नहीं होती बल्कि गोवर्धन पूजा के नाम पर या उसकी जगह पर गोधन पूजा होती है। जिसमे स्थानीय निवासी अपनी पशुधन की पूजा करते हैं और उनकी सेवा…

Read More

कुमाउनी भाषा प्रेमियों के लिए खुश खबर ! उत्तराखंड कुमाउनी भाषा और संस्कृति के प्रचार -प्रसार में प्रयासरत उज्याव संगठन आगामी 24 दिसंबर 2023 को हल्द्वानी में कुमाउनी भाषा सम्मलेन करने जा रहा है। उत्तराखंड की क्षेत्रीय भाषाओँ कुमाउनी और गढ़वाली के प्रचार और प्रसार में कई संगठन और  बुद्धिजीवी लोग प्रयासरत हैं। इनका मूल उद्देश्य अपनी क्षेत्रीय भाषा का प्रचार और उसे सविंधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाना है। इन्ही संगठनों में एक संगठन है उज्याव संगठन। जिसका पूरा नाम है उज्याव कुमाउनी भाषा लिजी युवा तराण समिति।  उज्याव कुछ भाषा,संस्कृति प्रेमी  कुमाउनी युवाओं द्वारा गठित संगठन है…

Read More

बूढ़ी दिवाली 2024 :- “देश भर में अपनी अलग और अनोखी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड के जौनसार बावर क्षेत्र और हिमाचल के कुछ क्षेत्रों में दिवाली 01 दिसम्बर 2024 को मनाई जाएगी । जिसे पहाड़ की बूढ़ी दिवाली कहते हैं। यह पर्व दीपावली के ठीक एक माह बाद मनाया जाता है। और इसी के साथ उत्तरकाशी की गंगा घाटी में मंगसीर बग्वाल और यमुना घाटी में देवलांग बड़े धूम धाम से मनाई जाती है। जैसा कि हमे ज्ञात है, कि समस्त गढ़वाल  में 4 बग्वाल मनाई जाती है। इन बग्वालों मे गढ़वाल, कुमाऊं और जौनसार उत्तराखंड की तीनों संस्कृतियों…

Read More

छोटी दीपावली के दिन यमदीप जलाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन दक्षिण में चौमुखी दिया जलाने से परिवार में अकालमृत्यु का खतरा कम होता है। इसी प्रकार उत्तराखंड में इस रात यमदीप उत्सव या यमदीप मेला होता है।उत्तराखंड गढ़वाल मंडल के जनपद रुद्रप्रयाग के अन्तर्गत  क्वीलाखाल (2000 मी.) में दीपावली के  एक दिन पहले  कूर्मासनी देवी के मंदिर में मनाया जाने वाला यमदीपोत्सव या यमदीप मेला उत्तराखंड की किसी पुरानी सांस्कृतिक परम्परा का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस अवसर पर यहां के ग्रामवासी देवी कूर्मासनी (तुल. कोटासिनी) के सुसज्जित डोले को गाजे-बाजों के साथ गांव के लगभग डेढ़…

Read More

मित्रों आज आपके लिए ,उत्तराखंड के प्रसिद्ध जनकवि  स्व श्री गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ की प्रसिद्ध कविता, जनगीत उत्तराखंड मेरी मातृभूमि (Uttarakhand meri matra bhumi lyrics) शब्दों में लाये है। गिरीश तिवारी गिर्दा का यह गीत ( कविता ) उत्तराखंड में बहुत प्रसिद्ध है। आंदोलन में, सामूहिक गीतों में, स्कूलों में इस गीत का विशेष प्रयोग होता है। कई उत्तराखंड के कई लोग गिर्दा की कविता व्हाट्सप और फेसबुक स्टेटस बना कर उत्तराखंड के लिए अपना प्यार दिखाते हैं। गिरीश तिवारी गिर्दा – गिरीश तिवारी गिर्दा का जन्म उत्तराखंड, अल्मोड़ा जिले के हवालबाग ब्लॉक के ज्योली नामक गाँव मे सन 1945 में…

Read More

सारांश (Summary): ऐपण कला (Aipan Art of Uttarakhand) उत्तराखंड की कुमाऊं संस्कृति की एक अत्यंत समृद्ध और आध्यात्मिक लोककला है, जो विशेष रूप से शुभ अवसरों, त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों में भूमि, दीवारों, मंदिरों और आसनों पर बनाई जाती है। इस कला में चावल के पिसे घोल (विस्वार), गेरू, हल्दी और रोली का उपयोग होता है। ऐपण न केवल सजावटी चित्र हैं, बल्कि ये देवताओं का आवाहन और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत भी माने जाते हैं। यह कला पीढ़ी दर पीढ़ी मां से बेटी को हस्तांतरित होती है। आज के युग में इसका व्यवसायीकरण हुआ है, लेकिन इसके पारंपरिक रूप…

Read More

गौचर मेला : चमोली गढ़वाल के गौचर नामक नगर में लगने वाला यह ऐतिहासिक मेंला उत्तराखंड का औधोगिक मेला के नाम से भी प्रसिद्ध है। अलकनंदा नदी के किनारे बसा रमणीय स्थल गौचर समुद्रतल से लगभग 8000 मीटर उचाई पर स्थित है। गौचर बद्रीनाथ जाने वाले मार्ग पर पड़ने वाला विशाल मैदानी हिस्सा है। यहाँ प्रतिवर्ष 14 नवंबर से 20 नवंबर तक यहाँ प्रसिद्ध गौचर मेला आयोजित किया जाता है। यह मेला व्यापारियों और पहाड़ के लोगों के लिए एक विशेष आकर्षण है। गौचर में एक हवाई अड्डा भी है, जिसका निर्माण 1998 -2000 में किया गया था। गौचर मेला…

Read More

आज दिनांक 4 नवंबर 2023 को राजकीय इंटर कालेज लोधियाखान विद्यालय में रोहित फाउंडेशन के तृतीय वार्षिकोत्सव के उपलक्ष में एक समारोह का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर क्षेत्र के विधायक श्री प्रमोद नैनवाल जी भी उपस्थित थे। रोहित फाउंडेशन के तृतीय वार्षिकोत्सव पर रा ई का लोधियाखान को दो कप्यूटर प्रदान किये गए। रोहित फाउंडेशन काफी समय से शिक्षा ,स्वास्थ ,कृषि और पर्यावरण के क्षेत्र में सुचारु रूप से कार्यरत है। यह संस्था ग्रामीण बच्चों को शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देना और उनके स्वर्णिम भविष्य के मार्ग में आने वाली बाधाओं को हल करने का कार्य…

Read More