Thursday, May 15, 2025
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मसूरी विंटर लाइन कॉर्निवाल 2023 से स्वागत करें नव वर्ष 2024 का।

27 दिसम्बर 2023 को  मसूरी विंटर लाइन कॉर्निवाल का आगाज हो गया है। इसका शुभारंभ प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक विशाल भारद्वाज ने किया। यह कार्यक्रम 27 से 30 दिसंबर 2023 तक मनाया जाएगा। इस अवसर पर यहां रंगारंग सांस्कृतिक और साहसिक खेलों का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर कई फिल्मी हस्तियां और सांस्कृतिक कलाकार उपस्थित थे।

प्रत्येक वर्ष दिसम्बर के अंत में मनाया जाता है। पहाड़ो की रानी मसूरी प्राकृतिक सौंदर्य से लबालब है। वहीं प्रत्येक वर्ष अक्टूबर से दिसंबर बीच होने वाली इस अद्भुत प्राकृतिक घटना मसूरी की सुंदरता में चार चाँद लगा देती है।नए वर्ष के आगमन के साथ मसूरी विंटर लाइन कार्निवाल का आयोजन देश-विदेश के पर्यटकों तथा विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकारों आदि के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। आज 30 दिसंबर की शाम उत्तराखंड का प्रसिद्ध म्यूजिक बैंड पांडवास अपनी मनमोहक प्रस्तुति देने वाले हैं।

क्या है मसूरी विंटर लाइन ?

विंटर लाइन शाम को मसूरी से दून घाटी के ऊपर दिखाई देने वाली सीधी लाल रेखा है। विशेषज्ञों के अनुसार शीतकालीन मौसम में मैदानी क्षेत्रों की धूल एक विशेष ऊंचाई के बाद समांतर सीधी रेखा में बदल जाती है। सायंकाल के समय धूलकण अधिक ऊपर उठने पर ,जब उसपर सूर्य की किरणे पड़ती है ,तो वह धूल के कण चमक उठते हैं। धूल के कण एक समांतर रेखा में होने के कारण एक रंगीन लाइन  दिखती है।

यह नजारा मसूरी के अलावा चकराता और स्विजरलैंड , केपटाउन में दिखाई देता है। प्रत्येक वर्ष हजारों सैलानी इस मनोरम दृश्य को देखने और इसे अपने मोबाइल में कैद करने के लिए हजारों सैलानी यहाँ आते हैं। कुछ सालो से उत्तराखंड सरकार सैलानियों के मनोरंजन के लिए Mussoorie Winter Line Carnival का आयोजन कर रही है।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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