Friday, April 18, 2025
Homeराज्यकैंची धाम में ड्रेस कोड लागू ! अब शालीन वस्त्रों में आना...

कैंची धाम में ड्रेस कोड लागू ! अब शालीन वस्त्रों में आना होगा धाम में।

प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तराखंड नैनीताल के प्रसिद्ध मन्दिर कैंची धाम में ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। इसके साथ-साथ कैंची धाम मन्दिर के अन्दर फोटो खीचनें पर भी  प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। मन्दिर के बाहर और आस पास बोर्ड लगाकर श्रद्धालुओं से विनम्र अनुरोध किया गया है, कि श्री कैंची धाम मन्दिर की पवित्रता और मर्यादा का ध्यान रखते हुए, मन्दिर में मार्यादित वस्तों में प्रवेश करें।अमर्यादित और अशोभनीय वस्त्र पहन कर मन्दिर में प्रवेश न करें। मन्दिर के अन्दर पहुंचते ही मोबाईल silent कर दें और मन्दिर के अन्तर फोटोग्राफी और विडोयोग्राफी न करें।पकड़े जाने पर श्रद्धालू के खिलाफ़ कार्यवाही की जाएगी ।

कैंची धाम में ड्रेस कोड लागू

विश्व प्रसिद्ध है, बाबा नीम करोली का यह मन्दिर –

बाबा नीम करोली को समर्पित यह मन्दिर विश्व प्रसिद्ध है। यहां रोज श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। प्रतिवर्ष 15 जून को मन्दिर की स्थापना दिवस के अवसर पर विशाल भंडारे का आयोजन होता है। एप्पल कम्पनी के भाविक, फेसबुक के मालिक मार्क जुर्कवर्ग जैसी हस्तियों के से आमलोग तक बाबा के अनन्य भक्त है। कैंची धाम में ड्रेस कोड से पहले उत्तराखंड हरिद्वार के दलेश्वर मन्दिर और नीलकंठ मन्दिर में भी ड्रेस कोड लग चुका हैं ।

Hosting sale

इन्हें भी पढ़े: नीम करौली बाबा के चमत्कार की कहानियाँ

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments