Thursday, May 15, 2025
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नीम करौली बाबा के चमत्कार | भक्तों के अद्भुत अनुभव | Neem Karoli Baba Miracles

Neem karoli baba ke chamtkar

नीम करौली बाबा के चमत्कार  –

नीम करौली बाबा के लाखों भक्त हैं, जो भारत से लेकर विदेशों तक फैले हुए हैं। एप्पल के सीईओ से लेकर फेसबुक के संस्थापक जैसी हस्तियां भी बाबा का अलौकिक आशीर्वाद प्राप्त कर चुकी हैं। बाबा के जीवन काल और उनके महापरिनिर्वाण के बाद, भक्तों ने कई चमत्कारी अनुभव साझा किए हैं। इन अद्भुत घटनाओं को “नीम करौली बाबा के चमत्कार” के रूप में संकलित किया गया है।

1. जब भंडारे में घी कम पड़ गया –

कैंची धाम में बाबा के समय से लेकर आज तक भंडारे चलते आ रहे हैं। एक बार अचानक घी की कमी हो गई। सेवकों ने बाबा से समस्या बताई, तो बाबा ने कहा, “शिप्रा का जल डाल दो! वह घी से कम है क्या?” सेवकों ने आदेश का पालन किया, और चमत्कारिक रूप से पानी घी में परिवर्तित हो गया।

2. जब विदेशी बन गया रामदास –

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड अल्पर्ट एलएसडी जैसे नशीले पदार्थों का अध्ययन करते-करते स्वयं इसके आदि हो गए। आध्यात्मिक खोज में भारत आए और बाबा से मिले। उन्होंने बाबा को बहुत सारी एलएसडी की गोलियां दीं, जिसे बाबा ने सहजता से ग्रहण किया, लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ। यह देख रिचर्ड अल्पर्ट उनके शिष्य बन गए। बाबा ने उन्हें रामदास नाम दिया। उन्होंने “Miracle of Love” नामक पुस्तक लिखी और आध्यात्मिक सेवा में लग गए।

3. खारे पानी का मीठा होना –

नीम करौली बाबा का जन्मस्थान फर्रुखाबाद में एक कुएं का पानी अत्यंत खारा था। बाबा ने एक शिष्य से कहा, “इस कुएं में एक बोरा चीनी डाल दो, पानी मीठा हो जाएगा।” बाबा के आदेश पर ऐसा किया गया और पानी पीने योग्य हो गया।

4. बाबा लक्ष्मण दास पुरी स्टेशन का निर्माण –

एक बार टिकट ना होने के कारण बाबा को ट्रेन से उतार दिया गया। बाबा वहीं बैठ गए और गाड़ी को आगे बढ़ाने की कोशिश नाकाम रही। रेलवे स्टाफ ने बाबा से प्रार्थना की, उन्हें विशेष कोच में बैठाया और गाड़ी चल पड़ी। बाद में वहां एक रेलवे स्टेशन बनाया गया, जिसका नाम बाबा लक्ष्मण दास पुरी  रखा गया।

5. गुफा जो गायब हो गई –

40 साल पहले एक भक्त रास्ता भटक गया था। उसे एक रोशनी से भरी गुफा दिखी, जहां बाबा मौजूद थे। बाबा ने उसे भोजन कराया और सही रास्ता दिखाया। जब वह 15-20 कदम चला, तो गांव पहुंच गया, लेकिन पीछे मुड़कर देखा तो गुफा गायब थी।

6. भक्त की भावना ही महत्वपूर्ण –

भूमियाधार आश्रम में अनुसूचित जाति के एक भक्त ने बाबा के लिए दूध लाया, लेकिन उसका कपड़ा गंदा था। फिर भी बाबा ने श्रद्धा से दूध पी लिया, क्योंकि उनके लिए भावना अधिक महत्वपूर्ण थी।

7. किसी भी रूप में मिल सकते हैं बाबा –

नैनीताल की श्रीमती विधा शाह ने मन में सोचा कि बाबा उनके घर आएं। कुछ दिनों बाद, एक साधु उनके पीछे-पीछे चलने लगा, जिसे पड़ोसी ने डांट कर भगा दिया। बाद में बाबा ने कहा, “हम तो आए थे, पर तेरे यहाँ पंजाबिन ने भगा दिया।” इससे विधा शाह को बहुत पछतावा हुआ।

8. भक्त की पत्नी को जीवनदान –

श्री सूरज नारायण मेहरोत्रा की पत्नी गंभीर हृदय रोग से पीड़ित थीं। बाबा ने उनके माथे पर पैर का अंगूठा रखा और रात 12 बजे उन्होंने आंखें खोल दीं। बाबा की कृपा से वह पूर्ण स्वस्थ हो गईं।

9. बारिश को रोक दिया –

हनुमानगढ़ी मंदिर के निर्माण के दौरान अचानक भारी वर्षा होने लगी। बाबा ने आसमान की ओर देखकर कहा, “पवन तनय बल पवन समाना,” और देखते ही देखते बादल छंट गए, वर्षा रुक गई।

10. बिना प्रसाद लिए चला गया भक्त –

कुमाऊं रेजिमेंट के मेजर सुनंदा कैंची धाम से बिना प्रसाद लिए निकल गए। रास्ते में खैरना पुल पर बाबा मिले और कहा, “तू बिना प्रसाद लिए चला आया, इसलिए हमें यहाँ आना पड़ा।” बाबा ने कम्बल से आम निकाले और उन्हें प्रसाद दिया, जबकि उस समय आम का मौसम भी नहीं था।

11. अकाल मृत्यु से रक्षा –

श्री आर.के. जोशी की पत्नी रेखा एक गंभीर ऑपरेशन के दौरान मृत्यु के निकट थीं। उन्होंने सुना कि बाबा कह रहे हैं, “इसे क्यों लाए? वापस ले जाओ इसे!” इसके बाद उनकी स्थिति में सुधार होने लगा। डॉक्टर भी इस चमत्कार को देखकर चकित रह गए।

निष्कर्ष –

नीम करौली बाबा के चमत्कार केवल भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी गहरे प्रभाव डालते हैं। उनके भक्तों का मानना है कि बाबा किसी भी रूप में प्रकट हो सकते हैं, बस हमें उन्हें पहचानने की जरूरत है। बाबा के चमत्कारों की कहानियां हमें श्रद्धा, भक्ति और प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।

इन्हे भी पढ़े –

बाबा नीम करौली से मिलने आये मंत्री और बाबा के आशीर्वाद से बने भारत के पांचवे प्रधानमंत्री।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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