नीम करौली बाबा के लाखो भक्त है। उनके भक्त भारत से विदेशो तक फैले हैं। एप्पल के सीईओ से लेकर फेसबुक के संस्थापक जैसी हस्तियां बाबा का अलौकिक आशीर्वाद ले चुकी हैं। उनके भक्तों के साथ बाबा के जीवन काल में या उनके जाने के बाद, कुछ अलौकिक दिव्य चमत्कारिक अनुभव हुए, जिसे उन्होंने अलग अलग माध्यमों में साँझा किया है। बाबा के भक्तो के इन दिव्य अनुभवों में से कुछ उपलब्ध किस्सों को ” नीम करौली बाबा के चमत्कार ” के रूप में संकलित कर रहे हैं।
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नीम करौली बाबा का चमत्कार ! जब भंडारे में घी कम पड़ गया था –
बाबा नीम करोली के धाम ,कैंची धाम में ,हमेशा भंडारे चलते रहते थे ,आज भी चलते हैं। बाबा कसे द्वार से सभी भक्त तृप्त होकर जाते थे। एक बार अचानक भंडारे में घी की कमी पद गई। बाबा के सेवक परेशान हो गए , अब क्या करें ?तब वे बाबा नीम करोली के पास गए , उनको समस्या बताई। तब बाबा ने कहा शिप्रा का जल डाल दो !! वो क्या घी से कम है !! बाबा का आदेश मानते हुए सेवक ,बगल में बह रही शिप्रा से कनस्तर में पानी भर कर लाये , तो वह पानी घी में परिवर्तित हो गया।
नीम करौली बाबा का चमत्कार देख ,एक विदेशी बन गया रामदास –
रिचर्ड अल्पर्ट नामक अंग्रेज ,जो हारवर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर थे। वे मनोविज्ञान में सहायक प्रोफ़ेसर थे , मनुष्य को भ्रमित कर देने वाले रासानिक नशे जैसे एलएसडी पर अध्यन करते करते ,वे खुद एलएसडी के आदि हो गए थे। उनका मन आध्यात्म पर भी था। आध्यात्म की खोज में वे भारत आये और उनकी मुलाकात बाबा नीम करोली से हुई। बाबा को साधारण बाबा समझ कर उसने उन्हें बहुत सारी एलएसडी की गोलिया खाने को दे दी , बाबा सारी गोलियां खा गए उन्हें कुछ भी असर नहीं हुवा।
बाबा का यह चमत्कार देख , रिचर्ड अल्पर्ट बाबा का शिष्य बन गया। बाबा ने रिचर्ड अल्पर्ट को यह सन्देश दिया कि इस नशे में कुछ नहीं रखा है। नशा करना है तो , आध्यात्म का नशा करो। बाबा ने उसे रामदास नाम दिया। रामदास ने बाबा के चमत्कारों पर आधारित एक पुस्तक लिखी जिसका नाम है , “miracle of love” रामदास ने सेवा फाउंडेशन और हनुमान फाउंडेशन नामक संस्थाओं की सहायता से भारत और विदेशो में आध्यात्म से जुड़ाव और जनकल्याणकारी कार्य किये।
miracle of love में वर्णित बाबा का किस्सा , बुलेटप्रूफ कम्बल यहां पढ़े।
कुवे का खारा पानी मीठा हो गया-
बाबा नीम करौली जी का जन्म फर्रुखाबाद में हुवा था। कहते हैं फर्रुखाबाद में एक कुवा था, जिसका पानी बहुत खरा होता था। एक बार बाबा फर्रुखाबाद की यात्रा पर थे। किसी ने बाबा को बताया कि यहाँ एक कुँकारण वा है, जिसका पानी बहुत खारा है। तब बाबा नीम करौली ने अपने एक शिष्य को कहा , इस कुवे में एक बोरा चीनी डाल दो , पानी मीठा हो जायेगा। और वास्तव में उस कुए का पानी मीठा यानि पीने योग्य हो गया।
बाबा के चमत्कार से बन गया , बाबा लक्ष्मण दास पूरी स्टेशन –
यह किस्सा भी बाबा का बड़ा ही रोचक है। एक बार बाबा ट्रेन से यात्रा पर थे। बीच यात्रा में टिकट चेकर आया और बाबा नीम करौली महाराज के पास टिकट न पाकर , उन्हें गाड़ी रोक कर गाड़ी से बहार कर दिया। बाबा वही किनारे आसन लगाकर चिमटा गाढ़कर बैठ गए। उसके बाद रेलवे के स्टाफ ने जैसे गाड़ी आगे बढ़ाने की कोशिश की , तब गाडी बिलकुल भी चलने को राजी नहीं हुई।
स्टाफ के काफी कोशिश करने के बाद ,ट्रेन नहीं चली तो , किसी ने सुझाव दिया कि कहीं बाबा के रोष के कारण ना हुवा हो। तब रेलवे स्टाफ ने बाबा से याचना करके , बाबा को विशेष कोच में बिठाया। तब गाडी आगे बढ़ पायी। बाद में रेलवे ने वहां एक स्टेशन का निर्माण किया , जिसका नामबाबा लक्ष्मण दास पूरी स्टेशन रखा गया।
गुफा गायब हो गई –
इलाहाबाद के एक भक्त की कथा पढ़ी , जिसमे वे बताते हैं , कि 40 साल पहले रात में वे कहीं जा रहे थे। और वे अपना रास्ता भटक गए। अचानक उनको अँधेरे में एक गुफा दिखाई दी जहाँ उजाला हो रहा था। जब वे गुफा के पास गए तो ,उन्होंने देखा गुफा के अंदर महाराज जी बैठे हुए थे। महाराज जी ने उन्हें भोजन कराया ,और उसके बाद कहा कि , “तू रास्ता भटक गया है, तुझे उस तरफ जाना है। वे महाराज जी के कथनानुसार 15 -20 कदम आगे गए ,तो उनको जिस गावँ में जाना था , वो मिल गया। जब उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो , वहाँ न तो गुफा थी और न ही महाराज जी थे। सब बाबा की लीला थी।
बाबा भक्त की भावना देखते थे –
नैनीताल जिले में भवाली के पास भूमियाधार में बाबा का एक छोटा आश्रम है। जिसके चारों ओर अधिकांशतः अनुसूचित जाती के परिवार रहते हैं। एक दिन बाबा अपने इस आश्रम में आये थे। एक अनुसूचित जाती का व्यक्ति एक साफ गिलास में बड़े प्रेम और श्रद्धा से बाबा के लिए गर्म दूध लाया था। किन्तु उसने जिस कपडे से दूध का बर्तन ढका था। वह बहुत ही मैला हो रखा था।
उस समय स्थिति कुछ ऐसी थी कि उस कपडे को देख कर किसी की इच्छा नहीं करेगी दूध पीने के लिए। किन्तु बाबा ने बड़ी उतावली से वह गिलास लिया और कपडे की तरफ ध्यान दिए बगैर प्रेम से उस गरीब को देखते हुए पूरा दूध गटक गए। बाबा की नजर उसकी गरीबी में नहीं उसकी भावना में थी।
बाबा किसी भी रूप में मिल सकते हैं। नीम करौली बाबा का चमत्कार
नैनीताल की श्रीमती विधा शाह ने एक दिन मन में सोचा कि महाराज आप सब के घर आते है, मेरे घर भी आओ किसी दिन पर संकोचवश कह नहीं पायी। उनका घर बाजार में था और घर में जाने वाली सीढ़ियां संकरी थी। बाबा का डील-डोल देख कर उनको लगा कि बाबा के लिये ऊपर सीढ़ियाँ चढना मुश्किल होगा।
अचानक विधा शाह के मन की बात जानते हुए बाबा खुद ही बोल उठे, “हम तेरे घर आयेंगे, तू मन्दिर में हवन करवा।”
उन्होंने मंदिर के पुजारी से हवन का अनुष्ठान करवाया। जिस दिन पूर्णाहूति थी ,उस दिन वे प्रसाद लेकर घर आ रही थी तो देखा कि रास्ते भर एक दुबला पतला साधू उनके पीछे-पीछे चला आ रहा है।
इससे उनको कुछ मानसिक परेशानी हुई, वे बराबर उनके पीछे चल रहा था। घर आने का रास्ता जो कि एक पंजाबी परिवार के घर से होकर जाता था, वहाँ विधा जी सीढियों से ऊपर चढ़ गयी। उस साधू को उनके पीछे देखकर, पंजाबी परिवार की महिला ने उसे डाँट कर भगा दिया। हालांकि उनकी समझ में नहीं आया कि वो साधू पीछा क्यूँ कर रहा है। इस घटना के कुछ समय बाद जब विधा जी बाबा के पास बैठी थीं कि उनके मन में ख्याल आया कि बाबा ने घर आने की बात कहीं थी उनके कहे अनुसार यज्ञ भी करवाया पर बाबा नहीं आये। इस पर बाबा तुरंत बोल उठे, “हम तो आये थे, पर तेरे यहाँ पंजाबिन ने हमें भगा दिया।” वे बाबा को पहचान न पाई, इस बात की उनको खुद पर बहुत ग्लानि हुई। बाबा तो किसी भी रूप में आपको मिल सकते है, बस आप पहचान लीजियेगा।
बाबा की भक्त वत्सलता –
एक अविस्मरणीय घटना श्रीचरणों अलौकिक चमत्कार की सन 1968 की है । बाबा के एक भक्त की पुत्री प्रसव काल मे थी और उसे अत्यंत कष्ट था।हम सब परेशान और हताश थे। डॉक्टरों ने लाचारी व्यक्त कर दी थी और वे आश्वाशन भी नहीं दे पा रहे थे कि ऑपरेशन के बाद लड़की की जान बची रहेगी।ऐसे समय आराध्यदेव महाराज वहाँ प्रकट हो गये और सीधे उनकी पुत्री के कमरे में जाकर बैठ गये।
आशीर्वाद के रूप में उन्होंने लड़की को एक पुष्प दिया और ढाढस बाँध कर चले गये। इसके बाद सब कार्य सहज हो गये और पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
गाड़ी पास हो गई –
बाबा का चमत्कार वाला यह किस्सा पढ़िए उनके एक अनन्य भक्त युधिष्ठिर जी के शब्दों में, एक दिन की बात है कि मैं (युधिष्टर) बाबा जी की कार कानपुर में चला रहा था तो कानपुर गंगा पुल में एक ओर से यानी सामने से बैल गाड़िया भारी बोझ के साथ आ रही थी तो मैंने सोचा अब हमारी गाड़ी से अवश्य टकराएंगी और कार का एक्सिडेंट होगा इतने में बाबा जी ने कहा कि तू आँख बंद कर ले, जब मैंने थोड़ी देर बाद आँख उनके कहने से खोली तो बैलगाड़ियाँ पास हो गई थी वैसे वह पूरी सड़क को घेर कर चल रही थी। बाबा को जब कहीं जाना हो और मैं मिल जाऊँ तो ड्राईवर को कहते कि तू चाबी ‘युधिष्टर’ को दे दे और खा पी और आराम कर गाड़ी युधिष्टर चलाएगा।
मैंने उनकी अलग-अलग गाड़िया अलग-अलग स्थानों में चलाई। कभी पेट्रोल न हो तो पानी भरवाना आदि उनका खेल था। पर नीम करौली बाबा के चमत्कार को कहने की इजाजत नहीं थी, अंगुली अपने मुंह में लगा कर चुप रहने को कह देते थे।”
बालक की चतुराई –
नीम करौली बाबा के चचेरे भाई ने उत्तर प्रदेश शिक्षा बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा नैनीताल से दी थी। यह बालक अनेक बार महाराज के दर्शन कर चुका था और घर में वह नित्य बाबा के चमत्कार के बारे में भी सुना करता था। एक दिन उसके मन में यह बात आयी कि क्यों न चल कर बाबा से अभी अपना परीक्षा फल जान लूँ। वह कैंची आश्रम आया और सुअवसर पाकर उसने उनसे अपनी चिंता व्यक्त की।
बाबा तुरन्त बालकों की भाँति बोल उठे, “फेल हो जायेगा।” उनके बोलने के ढंग को देखकर उसका मन उनके कथन को सत्य मानने के लिए तैयार नहीं हुआ, फिर भी यह महापुरुष की वाणी है समझकर, वह चिन्ताग्रस्त हो गया।
कई दिनों तक इस विषय में सोचता रहा और अन्त में एक दिन यह विचार कर कि बाबा को अपनी कही बात का विस्मरण हो गया होगा, वह वही प्रश्न पूछने फिर कैंची आया। उसने नये सिरे से बात चलायी और उनका उत्तर जानना चाहा। बाबा के आगे बालक की चतुराई क्या चलती ?अबकी बार वे सहज भाव से बोले, “पास हो जायेगा।” उसे इस उत्तर से प्रसन्नता हुई, पर फिर यह सोचकर कि बाबा ने एक बार ‘फेल’ और दूसरी बार ‘पास’ कहा, वह दुविधा में पड़ गया। कई दिन बिताने के बाद वह एक दिन फिर कैंची गया और अवसर पाकर उसने वही प्रश्न किया। इस बार फिर उन्होंने ‘फेल’ कह दिया। दो बार फेल सुनकर वह दुःखी हो गया।
बाबा बोले, “कैसे-कैसे हमारा अन्दाज नहीं लगा सकते, यह बालक हमारा अन्दाज लेने आया है ? वह लड़का फेल हुआ और पूरक(सप्लीमेंट्री) परीक्षा में उसका नाम प्रकाशित हुआ, जिसमें बाद को वह उत्तीर्ण घोषित हुआ।
खुर्जा नहीं बनारस , नीम करौली बाबा का चमत्कार –
बाबा के अनन्य भक्त कानपुर के भगवती सेवक बाजपेयी जी का किस्सा पढिए -एक बार कानपुर में श्री भगवती सेवक बाजपेयी, महाराज और उनके साथ आये विधाराम जी को स्टेशन पहुँचाने गये।बाबा जी ने उनसे खुरजा के लिए दो टिकट लाने को कहा। बाजपेयी जी बाबा के लिए प्रथम श्रेणी का और विधाराम जी के लिए द्वितीय श्रेणी का टिकट लेकर बाबा के पास आये। बाबाजी बोले, “कहाँ का टिकट लाया ?” बाजपेयी जी ने कहा, “खुरजा के! बाबाजी बोले, “हमने बनारस के लिए कही थी, तू खुरजा के ले आया। अच्छा, देदे इन्हें विधाराम को।
इतने में राज्यपाल श्री विष्णु सहाय, जो दिल्ली की यात्रा पर थे ,और पिछले दिन अपने भाई श्री रघुनाथ सहाय के घर कानपुर में रुक गए थे, स्टेशन पहुँचे। बाबा को वहाँ देख वे बहुत हर्षित हुए और उनसे प्रेमपूर्ण आग्रह करने लगे कि वे उनके साथ दिल्ली चलें। बाबा बोले, “नहीं, हमें जरूरी काम से बनारस जाना है” और विधाराम जी से कहने लगे, “दिखा दे टिकट इसे। विधाराम जी और बाजपेयी जी खुरजा के टिकट दिखाने में घबरा उठे पर लाचार थे उन्हें बाबा की आज्ञा का पालन करना ही पड़ा।
जब विधाराम जी ने दोनों टिकट विष्णु सहाय जी के हाथ में रखे तो दोनों टिकट प्रथम श्रेणी के और बनारस से भी एक स्टेशन आगे मुगलसराय के थे। ये कैसे हो गया? सब समझ गए कि श्रीमहाराज जी की कृपा से सब संभव है।
भक्त की पत्नी के संकटों का निवारण कर दिया –
श्री सूरज नारायण मेहरोत्रा, डाइरेक्टर जेल इन्डस्ट्रीज उत्तर प्रदेश की पत्नी एक बार दिल की बीमारी ‘एन्जिना पैक्टोरिस’ से आक्रांत पड़ी थी। हृदय में रक्त का संचार कम होने से उन्हें भीषण कष्ट का सामना करना पड़ रहा था।डाक्टर पूरा प्रयत्न कर रहे थे पर उनकी दशा गिरती ही जा रही थी। महाराज उस समय कानपुर में थे। वहाँ वे भक्तों से श्रीमती मेहरोत्रा की दशा का वर्णन करते हुए बोले, “यदि उसको कुछ हो गया तो हमें खाना कौन खिलायेगा ?” उन लोगों को छोड़कर वे तुरंत मेहरोत्रा जी के घर लखनऊ पहुंच गए, उस समय वे बेहोश पड़ी थीं। बाबा जी ने अपने पैर के अंगूठे को उनके माथे में रख दिया। लगभग रात बारह बजे श्रीमती मेहरोत्रा जी ने आँखें खोलीं।
बाबा ने उन्हें अपना प्रसाद खाने को दिया जिससे उन में सुधार आता चला गया। इस अवसर में प्रथम बार बाबा मेहरोत्रा जी के घर नौ दिन तक रहे। जब आप पूर्ण स्वस्थ हो गई तो आपके हाथ का भोजन पाकर बाबा चले गए।
जब बाबा ने बारिश रोक दी –
हनुमानगढ़ी के मन्दिर का निर्माण कार्य चल रहा था । एक दिन जबरदस्त वर्षा प्रारम्भ हो गयी, जो रूकने का नाम नहीं ले रही थी। तभी बाबा जी अपनी कुटी से निकले और काली जल भरी घटाओं को आकाश की तरफ़ देखते अपने भक्त से बोले, पूरन, ये बड़ी उग्र है , बड़ी उग्र है ! ( सम्भवत: इशारा पास के मंदिर की शीतला देवी की ओर था ) तभी महाराज जी ने ऊपर देखते हुये अपने दोनों हाथों से अपने विशाल वक्ष से कम्बल हटाते कुछ गर्जन के साथ बोले। “पवन तऩ़य बल पवन समाना” और देखते ही देखते तेज़ हवा बादलों को उड़ा ले गयी । वर्षा थम गयी और आसमान साफ़ हो गया।
आम का प्रसाद ! नीम करौली बाबा का चमत्कार –
कुमाऊ रेजिमेंट के मेजर सुनंदा और उनके परिवार पर महाराज जी की विशेष कृपा थी। कैंची महाराज जी के धाम मूर्ति के दर्शन करने आये थे। तभी बताने लगे कि एक दिन वे कैंची धाम में बाबा के दर्शन के बाद कार द्वारा रानीखेत जा रहे थे कि रास्ते मे खैरना के पुल पर बाबा बैठे दिखाई दिए। उन्होंने गाड़ी रोकी सोचने लगे अभी तो महाराज जी को कैंची मे देखकर आए थे फिर यहाँ कैसे ?उन्होंने महाराज जी को नमन करने के बाद यही सवाल दुहराया। बाबाजी बोले – तू कैंची से बिना प्रसाद लिए ही चला आया इसलिए हमें यहाँ आना पड़ा।बाबाजी ने अपने कम्बल से आम निकाल कर उनको प्रसाद रूप मे दिए।
मेजर सुनंदा एक के बाद एक आश्चर्यजनक घटनाक्रमों को होते हुए देख रहे थे। दूसरा आश्चर्य यह हुआ कि उस समय आम का मौसम नहीं था। और पहला ये था कि बाबा उनसे पहले पहुंचे हुए थे।
अकाल मृत्यु से रक्षा –
महाराज अकाल मृत्यु से भक्तों की रक्षा करते थे !कई बार महामृत्यु से भी ! टी.बी. कैन्सर जैसे भंयकर रोगो से भी भक्तों को वापिस ले आते थे बाबा ! श्री आऱ . के. जोशी ( रब्बु ) की पत्नी रेखा का वर्ष 1975 में मेरठ मे एक मेजर आपरेशन हुआ था ! आपरेशन टेबल पर पडी मृत- प्राय रेखा को अपनी अर्धचेतना मे प्रतीत हुआ कि वे अन्तरिक्ष की ओर उड़ी जा रही है ! इस यात्रा मे उसने एक के बाद एक कुछ कुछ अन्तराल से तीन चार धमाके सुने तब वे एक अत्यंत अन्धकार क्षेत्र में पहुँच गई ! तभी उसने बाबा की आवाज सुनी।
“इसे क्यों लाये” ? वापिस ले जाओ इसे! और उसी क्षण उसके मृत- प्राय शरीर में पुन: स्पन्दन होने लगा! नीम करौली बाबा का ये चमत्कार देख अस्पताल में डाक्टरों ने अपनी आँखो से सब देखकर हैरान हो माथे का पसीना पोंछा ! पूर्ण चेतना आने पर रेखा ने यह विचित्र अनुभव सबको बताया ! और श्री माँ के मेरठ आगमन पर उन्हें भी बताया।
बाबा के स्पर्श मात्र से बत्तियाँ जल उठी –
भूमियाधार में कुछ माई लोग, बाबा का पूजन करने आया करती थी। एक दिन बाबा उन्हें आश्रम में नहीं मिले। बाबा मोटर सड़क की द्वार पर बैठे थे ।सभी माई बाबा की पूजा करने कि विचार से वही जाने लगी। बाबा ने हाथ हिलाकर उन्हें लौट जाने का संकेत दिया। उस समय गुरूदत शर्मा जी बाबा के पास थे। माईयों को निराश देखकर शर्मा जी ने बाबा से माईयों के लिये प्रार्थना की। बाबा ने अनुमति दे दी और उन्हें जल्दी पूजा कर के जाने को कहा । माईयों ने यथाशीघ्र ये कार्य किया।
आरती के लिये वे दियासलाई लाना भूल गई थी। उन्होंने अपनी कठिनाई शर्मा जी को बताई, पर वे उनकी सहायता करने में असमर्थ थे। बाबा ने झुँझलाहट में रूई से सनी हुई बत्तियों को हाथ में ले लिया। और “ठुलिमां ठुलिमां” कहते हुये हाथ घुमाया, आश्चर्य ! एकदम बत्तियाँ जल उठी। नीम करौली बाबा का चमत्कार देख सभी माई भावविभोर होकर आन्नदपूर्वक आरती कर के वापस चली गयी।
बाबा का चमत्कार , बाबा ने अपने भक्त को कराये शिव दर्शन –
पूरन दा के पिता भगवान शंकर के अनन्य भक्त थे ।वे नित्य ही रूद्राभिषेक बड़ी निष्ठा से करते थे।पर वे महाराजजी से अत्यंत क्षुब्ध रहते थे, क्योंकि पूरन दा गहस्थी की ज़िम्मेदारियाँ त्याग हर वक़्त बाबा के पीछे ही डोलते रहते थे ।एक बार सामूहिक पूजन हो रहा था शंकर जी का।बाबा जी का वहाँ आगमन हुआ। उन्हें देख पिताजी को हल्का सा उन्माद हो आया ।उन्होंने काँपते हुये बाबा को प्रणाम किया को महाराज जी ने उनसे पूछा, तूने हैड़ाखान के बाबा देखें है ? पिताजी बोले,” नहीं ।मैं तो सोमवारी महाराज जी के मानता हूँ ।बाबा ने फिर पूछा।नहीं देखें तूने हैड़ियाखान बाबा ? ” वे शिव थे” ! और अब पिताजी के नहीं कहने पर बाबा ने अपने सीने से कम्बल हटा दिया । पिताजी ने महाराज के सीने पर साक्षात शंकर भगवान के दर्शन किये । पिताजी ने काँपते हुये पुनः बाबा जी को प्रणाम किया।
चाय पियेगा! नीम करौली बाबा का चमत्कार –
प्रयाग के सन् 1966 के कुम्भ मेले में महाराज का कैम्प संगम पर गंगा की दूसरी तरफ झूंसी की ओर लगा था। एक रात किसी आश्रम के कुछ साधु गंगा के किनारे बातें कर रहे थे, रात्रि अधिक हो चली है, और ठंडा बहुत हो गया है इस समय कोई गरमा-गरम चाय पिला दें।
उनकी बातचीत के दौरान, किसी ने श्री बाबा नीम करौली जी महाराज का उल्लेख किया। उस साधु ने कहा कि बाबा कहीं भी जा सकते हैं और वे ऐसी शक्तियों से संपन्न हैं कि जहाँ भी उन्हें पूर्ण श्रद्धा और लगन के साथ दिल से याद किया जाए वो वहां प्रकट हो सकते हैं। अन्य साधु इस बात पर यकीन करने को तैयार नहीं थे। उनका तर्क था कि शारीरिक रूप में किसी भी व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में समय लगेगा। एक अन्य साधु ने कहा कि बहस करने से कुछ हासिल नहीं होगा, बात सत्य साबित होगी अगर बुलाए जाने पर बाबा प्रकट हो जाए तो अन्यथा यह बात गलत है। इस पर साधु ने खड़े होकर बाबा को जोर-जोर से पुकारा, उन्होंने कई बार पुकारा, तब वह भी बाबा को अपने पास ही किसी से बात करते देख अचंभित हो गए। उसी समय बाबा उस साधु से बोल उठे, “चाय पियेगा ?”
सभी बाबा की इस लीला से चकित हो गए और सब लोगों ने बाबा के कैम्प में माघ की उस ठण्डी रात में गरमा-गरम चाय का आनन्द लिया।
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कृपया ध्यान दे :
इस लेख में हमने बाबा नीम करौली जी के भक्तों द्वारा वर्णित चमत्कारी अनुभवों का संकलन किया है । इस लेख का आधार, पत्र पत्रिकाएं और सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर वर्णित बाबा के दिव्य चमत्कारों की कथाएं और किस्से हैं।