Friday, November 22, 2024
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गढ़वाली चुटकुले और कुमाऊनी चुटकुले

मित्रों अपनी पहाड़ी भाषा के प्रचार प्रसार के लक्ष्य को केंद्रित करते हुए। हम यहाँ कुछ गढ़वाली चुटकुले (Garhwali jokes ) और कुमाऊनी चुटकुले ( kumauni jokes ) का संकलन कर रहें हैं। अगर अच्छे लगे तो अपनी मित्र मंडली में साझा करें। ये गढ़वाली चुटकले व कुमाउनी चुटकले हमने, सोसल मीडिया के सहयोग से सांकलित किये हैं।

गढ़वाली चुटकुले ( Garhwali jokes )

1- धरमु भैजी का मोबाइल मा एक अंनजानकॅाल आयी। दुसरी तरफ से एक नौनी बुनी छायी,नौनी- क्य तुमारी क्वी गर्लफेंडचा? धरमु-: हां पर तुम के बुना छों?
नौनी: तुमारी धर्मपत्नी बुनु छों,घार ता आवा फिर बतांदू छों। थोड़ी देर बाद फिर एक कॅाल आई।

नौनी- क्य तुमारी क्वी गर्लफेंडचा?
धरमु ना यार नीच, पर तुम केबुना छों?
नौनी- तुमारी गर्लफेंड बुनू छोंधोखेबाज़।
धरमु माफ कैर दि बाबू मिलसोचि मेरी धर्मपत्नी चा।
नौनी- तुमारी धर्मपत्नी ही बुनूछों, आज तुम घार ता आवा।

गढ़वाली चुटकुले ( Garhwali Chutkule )

2- गढ़वाली नोनु (मां से): हे मॉम, व्हाट्स देयर टू ईट? ..(ब्वेन जवाब म एक ढुंगु उठाई और नोना कु तरफ चूले दया…..) गढ़वाली नोनु : हे मॉम, आई जस्ट आस्क्ड फॉर समथिंग टू ईट.मां: बेटा हम थाई ईट कू जवाब ढुंगु से दीण औंदु च …..!

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3- एक भिखारी ने भैर भतेक आवाज लगै – भगवान का नाव पर रोटो दे दो बोई ।भीतर भतेक आवाज आई – बोई घर नीच !! भिखारी बोला – मी थै रोटो चैणू तुम्हार बोई ना !!

4- एक दा क्या बात वहई विकीपीडिया,गूगल,फेसबुक:,इंटरनेट ओर बिजली छुंईं लगाणा चैलो सूनी लिंवा वोंकी छुंईं विकीपीडिया बोली …”मी थै सब पता च” गूगल तैबैर बोल्दया… “म्यारा पास सब च” फेसबुक बोली..”मी सब का सब जाणदूँ” इंटरनेट गीच खोली .म्यार बिगर तुम सबका सब कुछ नीच बिजली जोर से बोअली …आवाज भोंयाँ , आवाज भोंयाँ, आवाज भोंयाँ!!!!

5:- एकदा धरमु ब्वारी खोजयण को गै साब दुसर गाम बात सब होंणक बाद! बल सब ठीख ठक च अब नुओना नुनी यकला बात कारन दयावा जब वै दोईया दुसर कमरा बैठी नुनी डर डरी की धरमु थै पूछी.. नुनी : भैजी एक बात बतावा आप कदगा भै – भैण छुओं जी ? धरमु : धत तेरिकी अब तक त तीन छयां अब चार व्हैग्या जी ई !!!!

6:- एक बार क्या वहाई राम सिंगा की क्ज्याँण (पत्नी)  खोगयाई I राम सिंगा देबता राम कू मंदिर मा ग्याई और वैल प्रार्थना करण लगा कि हे भगवान! मेरी क्ज्याँण ढूँढ णा मा मेर मदद कैर। तत्पर भगवान प्रकट वह्गै और बोआली तू म्यार पास किले ऐ तू गलत जगै ऐगे ,तुम थै हनुमानजी का मंदिर मा जाणू चैण छा भाई ..बल मेरे पत्नी भी हनुमानजी णी च खोज्याई छे।

7- एक बगत रेबुवा ओर्री देबुवा दोई सखा गों जाणा छा रेबुवा नी देबुवा थै दोई हजार चुकाणे छे , पर वो टालमटोल करण लागुरै। एक सुनसाण बाटों ऐ त समांण भतेक क्वी लुटेरे ऐता दिखै। लुटेरों जोर से आवाज दे कुछे वख रुका। रेबुवा णी झट सुलार की फेंट मा टाक्कों की गड्‍डी निकली देबुवा थै थामेदा और बोली भगतो मित्रा ऐ ले एक हजार आठ सौं टाकका संभाली I अबै दोई सौं टाकका बाकी छा बस जी।

8- ठण्ड मे सबसे बड़ी समस्या ये छै कि छावं में बैठा त ठण्ड लगणी अर घाम मा बैठा त फ़ोन की डिस्प्ले नी दिखेणी त कन कांडा लगी बल

इसे भी देखे : गढ़वाली भाषा दिवस पर एक निबंध।

9- एक नोनी पानी का पनधेरा मा दिख ज्ञाई,वेकी फोटो मेरा दिल मां छपी ग्याई ,जब तक मैं आपनू दिले की बात वेतै बतोंदु, बोडी कसम तबरी वेन बोली, बल भाई जी कि तुमारू भांडू भरे ग्याई… ,

10- आदमी कज्याणी तै यन बतो ,मेरी घोर मा क्या हैसियत छ् ? आदमी कि काज्याणी – य बात अपणी मा से पूछा, जो हर वक्त तुमथै, घरवाली को गुलाम रैंदी बोन्नी।

गढ़वाली चुटकुले

11- परीक्षा कु दिन..
मैडम : इथगा परेशान किले छै रे धरमु??
धरमु : चुप
मैडम : तु क्या अपडा पैन भूली गे रे छ्वारा??
धरमु : चुप रहा
मैडम : अपडा रोल न. नि छा रे याद त्वे??
धरमु: चुप!
मैडम : गत्ता पेन्सिल रबड़ कटर त नि भूली ??

धरमु : हे मेरी ब्व़े !! अपड़ी गिच्ची बंद करी ले तू ! यख मी साला गलत बिषय कु पुर्ची लै ग्युं अर त्वे थे पेन पेन्सिल क आग लगीं भारी

कुमाऊनी चुटकले ( KUMAUNI CHUTKULE )

11- एक भिखरिल  भियारबे अवाज लगै ,” भगवानाक नाम पाॅ कैं दी दियो हो।।। भितेर बै अवाज आई – सैंणि घर में नैहति, तब भिकरिल भ्यार बै को – मेंकि खा्ण चैंछ , तेरि सैणी नि चैनी !

12:- आज दिली बंद ,भोल देहरदुन बंद।।।। रंकरो अगर हिम्मत छौ ,तो पैली आपुण सैणिक गिच बंद कर बै दिखौ।

13:- घरों पन सबसे ठुल जिम्मदारी , ” चेला तू वा ब्या में जाले ,तो हामर लै न्यूत लिखै दे ”

1:- सैणि को मैंसक झगाड़ है गाय  सैणिल को :- तुम आदिम छा या पैजामा। तब मैंसल लै कैं दे , :– तू सैंणी छै कैं प्लाजो !

2:- जैथें तुम चांद कूंछा ना , देखिया एक दिन वी तुमगे आसमनक तार दिखालि !

3:- घरवाईकि कचकचाट सबुकै नोक लागूं। फिर लै कोई लाटि दैगे ब्या नि करन ।। छु नै गजब !

4:-जो घरवाई कैं मुसिबत समझनी , उनकै एक बात बतै द्यूं, ऊ खुद नि आई तुमर घर। तुमै गैंछा ,दमू नांगर निसाण लि भैर वकि ल्यूहुते ।

5:- एक नानी पानी को धार पास देखि पड़ी। वैकि फोटक म्यर हिया मा छपि गई।जस्सै वीकैं ,दिलक बात बतुणी वाल छी मैं,इतकै में ऊँ बोलि , दाज्यू तुमर भा्न भरिगो।।

6:- दागड़ियो अगर घर में गिलास टुटि बाद लै शान्ति छौ तो, गिलास घरवालि टोड़ो और गलती गिलासेक छी ।

7:-आदिम पैलिक आपुण दिलक बात सुनल। फिर आपुण दिमागेल सोचोल । फिर आखिर में वैं करोल ,जो वाइकि घरवाइ कैली ।

यहां भी पढ़े : कुमाऊं के वीर योद्धा पुरखू पंत की कहानी

8:- मजबूरी में बोलि झुठि भगवान लै माफ करि दीनी बलि । यैक लिजी घरवाइक तारीफ करण में हिचकिया झन।

9:- खा्ण खान थैं घरवाइ – आज खा्ण कौस है रौ

मैस –  रहन दे यार ! तू रोज लड़ने लिजी बहान चांछै ।

10 :-आदमी – आज के मिठ खाहते मन करनो।

घरवाइ – तो बेलन पा गुड़ लगै द्यूं पैं ।

11:- मैंने कहा -चल पहाड़।
वो बोली- पहाड़ में उकाव लग जाता है
मैंने कहा – जहां उकाव लगेगा वहाँ घुगी में ले जाऊंगा तुझे !
पगली शरमा गई, और बोली -ओह्ह इज्ज़ा म्यर कई ..!

गढ़वाली चुटकुले ( Garhwali Chutkule )

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दोस्तो उपरोक्त लेख में हमने कुछ गढ़वाली चुटकुले और कुछ कुमाऊनी चुटकुले का संकलन किया है। ये पहाड़ी चुटकले आपको अच्छे लगें तो अपने मित्रों में साझा जरूर कीजिए । और हमे हमारे पेज देवभूमी दर्शन पे आपके लिखे हुए पहाड़ी जोक्स भेजिएगा । उन्हें हम अपने इस लेख में संकलित करेंगे।

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Bikram Singh Bhandari
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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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