होली का मजा तो गाँव मे ही आता था। शहर में तो क्याप ठैरा। शहर की होली का मजा – शहर में सुबह उठो नाश्ता करो, घुट लगाने वाले घूट लगाओ। फिर हाथ मे रंग का थैला लेकर चल दो, जो मिले उसे रंग मल दो। किसी के कमरे में जाओ, पापड़ गुजिया खाओ , अगर मिल गई तो एक घूट , उसे भी गटक लो, ब्रांड नही देखनी , बस पीते जाओ। यही क्रियाकलाप करते करते थोड़ी देर बाद ,आदमी को खुद पता नही चलता ,वो कौन है। अगर कम पी है,और शरीर मे जान है,तो आदमी जैसे तैसे…
Author: Bikram Singh Bhandari
पूर्णागिरि मंदिर या पुण्यागिरी, उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित है। यह मंदिर समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर अन्नपूर्णा पर्वत पर 5500 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। (Purnagiri ka mandir) माँ पूर्णागिरि मंदिर चंपावत से लगभग 92 किलोमीटर दूर स्थित है। पूर्णागिरि मंदिर टनकपुर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है। पूर्णागिरि का मंदिर काली नदी के दाएं ओर स्थित है। काली नदी को शारदा भी कहते हैं। यह मंदिर माता के 108 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। पूर्णागिरि में माँ की पूजा महाकाली के रूप में की…
रोहित फाउंडेशन – पंकज नेगी वैसे तो पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। मगर उन्होने ने महसूस किया कि हमारे पहाड़ में गरीबी और सही साधन और मार्गदर्शन समय पर नही मिलने के कारण कई होनहार बच्चे आगे नही बड़ पाते हैं। उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है,और सपने धरे के धरे रह जाते हैं। इसी समस्या के समाधान की कोशिश के लिए पंकज ने रोहित फाउंडेशन की स्थापना की है। पंकज नेगी उत्तराखंड अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील में पडने वाला गांव धुराफाट, मण्डलकोट के रहने वाले है। पंकज नेगी ने देहरादून के प्रतिष्ठित कॉलेज से सॉफ्टवेयर इंजीनियर की डिग्री…
गढ़वाल राइफल्स का एक ऐसा जनरल जिसने ना कभी युद्ध किया, ना ही कभी बंदूक तक उठाई , और वह सेना का जनरल रहा । और सबसे चौकाने वाली बात यह थी कि ,वह जनरल कोई इंसान नही अपितु एक बकरा था। जिसका नाम था जनरल बकरा बैजू। एक बकरा वो भी एक महान सैन्य राइफल का सम्मानित जनरल सुनने में बड़ा अजीब लगता है। मगर यह सत्य है। अगर आप इस कहानी को इतिहास में ढूढ़ना चाहें तो इतिहासकार डॉ रणवीर सिंह चौहान की प्रसिद्ध किताब लैंड्सडॉन सभ्यता और संस्कृति और महान साहित्यकार योगेश पांथरी की पुस्तक कलौडांडा से लैंड्सडॉन में मिल जाएगा।…
“सोशल मीडिया पर उत्तराखंड वासियों को अपने पहाड़ से जोड़ने की अनोखी कोशिश है , कंचन जदली का लाटी आर्ट” “होगा टाटा नामक देश का नमक, पहाड़ियों का नमक तो पिसयू लूण है ” इस गुदगुदाती पंचलाइन के साथ एक प्यारी सी पहाड़न कार्टून चरित्र को नमक पिसते हुए दिखाया गया है। और इस प्यारे से संदेश को देख कर गर्व और प्रेम के मिश्रित भाव एक साथ हिलोरे मारते हैं। और अपनी संस्कृति के लिए मन मे प्रेम उमडता है। इसी प्रकार अपने पहाड़ी कार्टून चित्रों और गुदगुदाती पंचलाइन से पहाड़ी को पहाड़ से जोड़ने की कोशिश कर रही…
बसंत ऋतु उत्तराखंड वासियों को बहुत सुहाता है,बसंत में उत्तराखंड के लोग उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध कुमाउनी होली के रंग में डूब जाते हैं, बच्चे फूलदेई ,फुलारी त्यौहार मनाते हैं। वही महिलाएं भी आपने मायके से आने वाली भिटौली की राह तक रही होती हैं। इसलिये उत्तराखंड वासी चैत्र माह को रंगीला महीना भी कहते हैं। क्योंकि फाल्गुन चैत्र में होली का आनंद रोमांच ,फूलदेई की खुशी और भिटौली का प्यार एक साथ आता है। और इसी खुशी में पुरूष एवं महिलायें इस माह में लोकनृत्य लोकगीत झोड़ा चाचेरी गा कर आनंद मानते हैं। भिटौली क्या है ? यह उत्तराखंड की…
उत्तराखंड वासियों का प्रकृति प्रेम जगविख्यात है। चाहे पेड़ बचाने के लिए चिपको आंदोलन हो या पेड़ लगाने के लिए मैती आंदोलन या प्रकृति का त्योहार हरेला हो। इसी प्रकार प्रकृति को प्रेम प्रकट करने का त्योहार या प्रकृति का आभार प्रकट करने का प्रसिद्ध फूलदेई त्यौहार मनाया जाता है। फूलदेई त्योहार मुख्यतः छोटे छोटे बच्चो द्वारा मनाया जाता है। यह उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोक पर्व है। फूलदेई त्योहार बच्चों द्वारा मनाए जाने के कारण इसे लोक बाल पर्व भी कहते हैं। प्रसिद्ध त्योहार फूलदेई (Phool dei festival ) चैैत्र मास के प्रथम तिथि को मनाया जाता है। अर्थात प्रत्येक…
शिव के महापर्व शिवरात्रि के शुभवासर पर आप लोगो के समक्ष कुछ उत्तराखंड की प्रसिद्ध शिवरात्रि विशेष , कुमाउनी होली के लिखित व वीडियो लिंक के भाग प्रस्तुत कर रहे हैं। अच्छे लगे तो शेयर अवश्य करें। शिव के मन मही बसे काशी शिव के मन माहि बसे काशी -2 आधी काशी में बामन बनिया, आधी काशी में सन्यासी, शिव के मन माहि बसे काशी। काही करन को बामन बनिया, काही करन को सन्यासी, शिव के मन माहि बसे काशी। पूजा करन को बामन बनिया, सेवा करन को सन्यासी, शिव के मन माहि बसे काशी काही को पूजे बामन बनिया,…
रानीखेत उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा ज़िले के अंतर्गत एक पहाड़ी पर्यटन स्थल है। देवदार और बाज के वृक्षों से घिरा यह बहुत ही रमणीक एक लघु हिल स्टेशन है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से 85 किमी. की दूरी पर स्थित यह अच्छी पक्की सड़क से जुड़ा है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर,कौसानी, चौबटिया गार्डन ,गोल्फ कोर्स, बिनसर महादेव मंदिर, झूला देवी मंदिर,कटारमल सूर्य मंदिर और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ…
बद्रीनाथ में घूमने लायक अनेक रमणीक स्थान हैं आमतौर पर तीर्थयात्री बद्रीनाथ धाम के लिए एक दिन की यात्रा या अधिकतम एक रात तक रुकना पसंद करते है । इस वजह से कुछ आकर्षक और सुन्दर दर्शनीय स्थलों के दर्शन करना तीर्थयात्री भूल जाते है । हालाँकि यदि आप एक या दो दिनों के लिए बद्रीनाथ धाम की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो बद्रीनाथ में निम्न स्थानों को देखना न भूले । बद्रीनाथ में घूमने लायक निम्न स्थान हैं – नीलकंठ – बद्रीनाथ मंदिर के पीछे, एक तरफ घाटी एक शंक्वाकार आकार के नीलकंठ शिखर (6600 मीटर)…