Friday, May 9, 2025
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चौबटिया गार्डन को एक्सीलेंस सेंटर बनाने के लिए नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने किया भ्रमण

उद्यान निदेशक डाॅ० हरमिंदर सिंह बवेजा के अथक प्रयासों से पंडित दिन दयाल उपाध्याय राजकीय उद्यान चौबटिया रानीखेत को डच गवर्नमेंट (नीदरलैंड) के सहयोग से उत्कृष्टता केंद्र यानी एक्सीलेंस सेंटर के रूप में विकसित किए जाने को लेकर नीदरलैंड से आए वैज्ञानिको द्वारा चौबटिया गार्डन का निरीक्षण व भ्रमण किया गया।

इस संबंध में वैज्ञानिकों द्वारा शीघ्र ही विस्तृत कार्य योजना तैयार कर उसकी रिपोर्ट भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी।राजकीय उद्यान चौबटिया में नीदरलैंड से आए विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों ने क्षेत्रीय काश्तकारों और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के प्रतिनिधियों से वार्ता करते हुए उनके सुझाव लिए गए। वहां पहुंचे समस्त लोगों का यही कहना था कि राजकीय उद्यान चौबटिया को अगर उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया गया तो इससे क्षेत्र के सभी कास्तकारों को लाभ मिलेगा।

इस दौरान एक्सीलेंस सेंटर से क्षेत्रीय काश्तकारों को होने वाले लाभ पर भी चर्चा हुई, उत्तराखंड के तमाम जिलों से आए हुए काश्तकारों ने एक्सीलेंस सेंटर को लेकर अपनी – अपनी राय दी।उनका कहना था कि भारत सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है।

उद्यान विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ० बी के गुप्ता ने बताया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के बनने से स्थानीय काश्तकार लाभान्वित होंगे, इसके अंतर्गत किसानों के प्रशिक्षण केंद्र की भी स्थापना की जाएगी। उद्यान भ्रमण के दौरान नीदरलैंड और भारत सरकार से आए वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने चौबटिया उद्यान में किए जा रहे कार्यों की प्रशंशा की।

चौबटिया गार्डन
चौबटिया गार्डन में निरीक्षण करती हुई टीम

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इस दौरान भारत सरकार से डा0 तरन्नुम, इंडो डच सरकार से मार्क्स स्लोकास सहित डा0 सुरभि पांडे, मुख्य उद्यान अधिकारी सतीश कुमार शर्मा, प्रधान सहायक नारायण सिंह, मोहन सिंह रौतेला, कैलाश पुजारी, भूपाल सिंह बिष्ट, भुवन चंद्र आर्य सहित कई काश्तकार और अधिकारी मौजूद थे।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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