Ajay bijalwan Surkanda devi -आजकल उत्तराखंड के ऋषिकेश में अजय बिल्जवाण जी का दरबार चर्चाओं में है। उत्तराखंड ऋषिकेश के मुनि की रेती क्षेत्र में वाला यह दरबार खास है। यह दरबार कथावाचक धीरेन्द्र शास्त्री जी के दरबार की तरह नहीं लगता। बल्कि माँ सुरकंडा उनके शरीर में अवतरित होकर और देव डोली अवतरित होकर ,लोगो की समस्याओं का समाधान करती है और लोगों को सन्मार्ग की तरफ प्रेरित करती है। इसके अलावा इस दरबार के चर्चाओं में आने का कारण एक दिव्य चमत्कार है ,जिसे अजय बिल्जवाण जी सुरकंडा माता के अवतरण के बाद करते हैं।

अजय बिल्जवान जी माता के अवतरण के बाद अपने हाथ में दूध और चावल से हरियाली उगा देते हैं। यह चमत्कार वे भरी सभा में सबके सामने करते हैं। कई लोगो की शंका के बाद उन्होंने समाचार चैनलों की उपस्थिति व् पोलिस की उपस्थिति में यह चमत्कार लाइव करके दिखाया है। इस चमत्कार के बाद अजय बिल्जवान ( Ajay bijalwan ) की ख्याति दूर -दूर तक फैलने लगी है। दूर -दूर से लोग उनके दरबार में आते हैं। माँ सुरकंडा के आशीष से अभी तक उनके दरबार से सभी भक्त संतुष्ट और खुश होकर जाते हैं। अपने हाथ में तत्काल उगाई हरियाली को दूध चावल के साथ माँ अपने भक्तों को प्रसाद स्वरूप देती हैं।
उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। यहाँ के कण-कण में दैवीय शक्तियों का वास है। यहाँ जागर, घड़ियालों के द्वारा पूर्वज और दैवीय शक्तियां अवतरण लेती हैं ,और अपने भक्तों की समस्याओं का समाधान करती हैं। दैवीय शक्तियों के साथ पहाड़ वासियों का सम्बन्ध यहाँ की समृद्ध संस्कृति का अभिन्न अंग है।
कौन हैं अजय बिल्जवाण ? ( who is Ajay bijalwan ) –
अजय बिल्जवान जी के एक इंटरव्यू से प्राप्त जानकारी के अनुसार अजय बिल्जवाण जी का परिवार ( Ajay bijalwan family ) मूलत उत्तराखंड राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले के क्यारी पिडांस गांव के रहने वाले हैं। वर्तमान में उनका परिवार हरिद्वार जिले के पथरी क्षेत्र में रहता है। अजय मात्र 21 वर्ष के हैं। इनकी पूरी शिक्षा ऋषिकेश में संस्कृत और अंग्रेजी माध्यमों से हुई है। वर्तमान में अजय श्री दर्शन महाविद्यालय के तृतीय वर्ष के छात्र हैं।


कैसे हुई उन पर माँ सुरकंडा की अनुकम्पा –
अजय बिल्जवाण (Ajay bijalwan) बताते हैं,जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा। पहाड़ में उनके कुलदेवता घंटाकर्ण देवता हैं। और कुल देवी माँ भुवनेश्वरी देवी हैं। घंटाकर्ण महाराज को भगवान् बद्रीनाथ का क्षेत्रपाल या सेवक माना जाता है। अजय जी बताते हैं ,और वे मात्र चार वर्ष की उम्र से सच्चे मन से अपने कुलदेवता की सेवा करते आएं हैं। उनके मन में , कभी किसी के बारे में गलत विचार नहीं आये। शायद यही कारण रहा कि माँ सुरकंडा की असीम कृपा उन्हें मिली। माता ने उन्हें अपने भक्तों को सन्मार्ग दिखाने के लिए उन्हें प्रतिनिधि के रूप में चुना।
पहले वे माता के शरीर में अवतरण द्वारा लोगो की समस्याओं का समाधान करते थे। अब उन्होंने माता सुरकंडा की देवडोली स्थापित की है। अब वे अपने दरबार में देव डोली से भक्तों की समस्याओं का समाधान करते हैं।
क्या अजय बिल्जवान जी ( Ajay bijalwan ) अपने दरबार में पैसे लेते हैं ?-
इस सवाल पर अजय बिल्जवान ( Ajay bijalwan ) जी बताते हैं कि उनके दरबार में किसी भी प्रकार की फीस नहीं ली जाती है। वे बताते हैं कि कई लोगो ने भगवान् के दरबार की परम्परा का व्यवसायीकरण करके बदनाम किया है। लेकिन उनके दरबार किसी भी प्रकार का शुल्क देने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है। लेकिन उत्तराखंड के पहाड़ी परम्परा के अनुसार ,जब किसी के नाम का उच्चैण उठाया जाता है तो उसमे कुछ चावल और 11 रूपये रखने की परम्परा है। ( ऊचेण ” एक ऐसी भेंट जो कामना पूरी होने के लिए देवताओं के निमित्त रखी जाती है।) ऊचेण के बारे में विस्तार से पढ़े…
सुरकंडा माता का दरबार ऋषिकेश से नटराज चौक रिलायंस पेट्रोल पंप टिहरी रोड से आगे चंद्रा पैलेस होटल से आगे भुवनेश्वरी मंदिर भजन गढ़ रोड पर लगता है।