Sunday, November 17, 2024
Homeसंस्कृति"ऊचेण" एक ऐसी भेंट जो कामना पूरी होने के लिए देवताओं के...

“ऊचेण” एक ऐसी भेंट जो कामना पूरी होने के लिए देवताओं के निमित्त रखी जाती है

उत्तराखंड के वासियों की औलोकिक आस्था एवं विश्वास के अनुसार, जब किसी व्यक्ति के अस्वस्थ होने पर, औषधीय उपचारों से कोई लाभ नहीं होता है, तब उसके परिजनों का यह विश्वाश रहता है कि, उसपर किसी ऊपरी छाया या स्थानीय भूत प्रेत का असर हो गया है। या उनके कुलदेवता, लोकदेवता, ग्रामदेवता रुष्ट हो गए हैं। ऐसी आशंका के चलते संभवित देवी देवता या स्थानीय भूत -प्रेत के नाम पर एक कटोरे या हरे पत्ते में थोड़े से चावल और एक रुपया या कुछ पैसे रखकर, उसे प्रभावित व्यक्ति के ऊपर इस वचनबद्धत्ता के साथ घुमाया जाता है, कि वह जो भी है, उसकी गणतुवा या पुछयारे के वहां जाकर उसकी पूछताछ करेंगे, और उसकी यथोचित पूजा अर्चना, भेट दी जाएगी। उत्तराखंड के अधिकतर स्थानों में इस प्रक्रिया को ऊचेण कहते हैं।

उच्चैण

कुमाऊं में कही-कही इसे बिट बांधना भी कहते हैं। और ऊचौन ,ऊचान भी कहते हैं। गढ़वाल में इसे उच्याणा कहते हैं। उत्तराखंड के अधिकतम हिस्सों (गढ़वाल, कुमाऊं) में इसे ऊचेण ही कहते हैं। उच्याणा के भाव एवं स्वरूप के बारे में डा वाचस्पति मैठाणी जी बताते  हैं, उच्याणा या ऊचेण का अर्थ है एक ऐसी भेंट जो कामना पूर्ति के लिए देवताओं के निमित्त रखी जाती है। यह भेंट एक रूपये या पैसे के रूप में भी हो सकती है या बकरे या अन्य योग्य बलिदान योग्य पशु के रूप में भी ” कामना करने वाला व्यक्ति यह संकल्प लेता है ,कि जब मेरी मनोकामना पूर्ण होगी ,तब मै इस आपके लिए जो भी यथायोग्य पूजा का विधान होगा उसे में पूरा करूँगा।

कुमाऊं क्षेत्र में ऊचेण के रूप में चावल और रूपये  को रुमाल या साफ कपडे में बांध कर मंदिर में रख दिया जाता है। और उस दिन पूजा या जागर में उस देवता के आगे खोला जाता है ,जिसके लिए  यह रखा गया है। सब कामना पूर्ण होने के बाद संबंधित देवता उन चावलों को चारों दिशाओं या एक विशेष दिशा की तरफ समर्पित करते हुए अपने भक्तों को वचनबद्धत्ता से मुक्त करता है।

Best Taxi Services in haldwani

इन्हे भी पढ़े _

पितृ पक्ष में कौओ का महत्त्व ,व कौवों का तीर्थ कहा जाता है उत्तराखंड के इन स्थानों को।
शौशकार देना या अंतिम हयोव देना ,कुमाउनी मृतक संस्कार से संबंधित परंपरा
बाड़ी मडुवा पहाड़ के लोगों का सुपरफूड
बूढ़ी देवी जिसको उत्तराखंड के लोग लकड़ियाँ और पत्थर चढ़ाते हैं।

विशेष निवेदन – 

सभी पाठक मित्रों से निवेदन है , उत्तराखंड की संस्कृति से जुड़े लेखों और लोक कथाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाकर हमारा उत्साहवर्धन करें।

धन्यवाद् !

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments