Wednesday, May 21, 2025
Homeसंस्कृतिभाषागढ़वाली में सरस्वती वंदना | कुमाऊनी सरस्वती वंदना

गढ़वाली में सरस्वती वंदना | कुमाऊनी सरस्वती वंदना

अपनी भाषा ,अपनी बोली के प्रचार -प्रसार को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के आदरणीय  शिक्षकों ने ,गढ़वाली और कुमाउनी भाषा में सरस्वती वंदना की रचना करके एक सराहनीय पहल शुरू की है। प्रस्तुत लेख हम गढ़वाली सरस्वती वंदना और कुमाउनी सरस्वती वंदना के बोल संकलित कर रहे हैं।

गढ़वाली में सरस्वती वंदना-

नमो भगवती मां सरस्वती
यनू ज्ञान कू भंडार दे,
पढ़ी- लिखीं हम अग्नै बढ़ जऊं
श्रेष्ठ बुद्धि  अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती…..
कर सकूं हम मनुज सेवा
बुद्धि दे विस्तार दे।
जाति धर्म से ऐंच हो हम
मां यनु व्यवहार दे।

अज्ञानता का कांडा काटी
ज्ञान की फुलारी दे।
पढ़ी-लिखीं हम अग्नै बढ़ जाऊं
श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती…..
जिकुड़ा माया, कठोर काया
मन म सुच्चा विचार  दे।
क्षमा, दया मन मा ,
बड़ों का आदर सत्कार दे।
हे हंस वाहिनी सरस्वती
भव सिंधु  पार उतार दे।
पढ़ी-लिखी हम अग्नै बढ़ जऊं
्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती माँ  सरस्वती…..
दुर्व्यसनु का दैंत माता खैंचणा चौंदिशु बिटी।
यानी दे बुद्धि, ताकत हमू तै,
आव न जू रिंगी रिटी।
हे कमलआशनी, वीणा वादिनी प्रेम कू संसार दे।
पढ़ी-लिखी हम अग्ने  बढ़ जऊं श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती….

गढ़वाली में सरस्वती वंदना के बाद हम आगे कुमाउनी में सरस्वती वंदना के बोल संकलित कर रहें हैं।

कुमाउनी सरस्वती प्रार्थना-

दैण ह्वै जाए माँ सरस्वती माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए
हिंग्वाली अन्वार तेरि हंस की सवारी मैय्या हंस की सवारी।
तू हमरी ज्ञानदात्री हम त्यारा पुजारी मैय्या हम त्यारा पुजारी।
बुद्धि दी दिए मति दि दिए माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए।
तेरि कृपा की चाह में , छूं सच्चाई की राह में ,छूं सुण ले माँ पुकार।
जाति धर्म छोडि छाड़ि, नक विचार छोडि छाडि, भल दिए विचार।
ध्यान धरिए भल करिए माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए

श्वेत हंस, श्वेत कमल, श्वेत माला मोती।
एक हाथ में वीण छाजि रै एक हाथ में पोथी।
झोली भरिए ,पार करिए माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए
मन को अन्ध्यार मिटाए , ज्ञान को दीपक जलाए ज्ञान को दीपक।
तेरि करछूं मैं विनती , मेरि धरिए लाज मैय्या मेरि धरिए लाज।
ज्ञान दी दिए विवेक दी दिए मां सरस्वती दैण ह्वै जाए।

इन्हे भी पढ़े: मडुवा या कोदा की रोटी के फायदे

यह कुमाउनी प्रार्थना, श्री रमेश चन्द्र जोशी (सत्यम जोशी) अध्यापक  रा०प्रा०वि० जारा धारचूला, पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड द्वारा रचित है।

हमारे व्हाट्सप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments