Sunday, November 17, 2024
Homeसंस्कृतिभाषागढ़वाली में सरस्वती वंदना | कुमाऊनी सरस्वती वंदना

गढ़वाली में सरस्वती वंदना | कुमाऊनी सरस्वती वंदना

अपनी भाषा ,अपनी बोली के प्रचार -प्रसार को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के आदरणीय  शिक्षकों ने ,गढ़वाली और कुमाउनी भाषा में सरस्वती वंदना की रचना करके एक सराहनीय पहल शुरू की है। प्रस्तुत लेख हम गढ़वाली सरस्वती वंदना और कुमाउनी सरस्वती वंदना के बोल संकलित कर रहे हैं।

गढ़वाली में सरस्वती वंदना-

नमो भगवती मां सरस्वती
यनू ज्ञान कू भंडार दे,
पढ़ी- लिखीं हम अग्नै बढ़ जऊं
श्रेष्ठ बुद्धि  अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती…..
कर सकूं हम मनुज सेवा
बुद्धि दे विस्तार दे।
जाति धर्म से ऐंच हो हम
मां यनु व्यवहार दे।

अज्ञानता का कांडा काटी
ज्ञान की फुलारी दे।
पढ़ी-लिखीं हम अग्नै बढ़ जाऊं
श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती…..
जिकुड़ा माया, कठोर काया
मन म सुच्चा विचार  दे।
क्षमा, दया मन मा ,
बड़ों का आदर सत्कार दे।
हे हंस वाहिनी सरस्वती
भव सिंधु  पार उतार दे।
पढ़ी-लिखी हम अग्नै बढ़ जऊं
्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती माँ  सरस्वती…..
दुर्व्यसनु का दैंत माता खैंचणा चौंदिशु बिटी।
यानी दे बुद्धि, ताकत हमू तै,
आव न जू रिंगी रिटी।
हे कमलआशनी, वीणा वादिनी प्रेम कू संसार दे।
पढ़ी-लिखी हम अग्ने  बढ़ जऊं श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे।
नमो भगवती मां सरस्वती….

गढ़वाली में सरस्वती वंदना के बाद हम आगे कुमाउनी में सरस्वती वंदना के बोल संकलित कर रहें हैं।

कुमाउनी सरस्वती प्रार्थना-

Best Taxi Services in haldwani

दैण ह्वै जाए माँ सरस्वती माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए
हिंग्वाली अन्वार तेरि हंस की सवारी मैय्या हंस की सवारी।
तू हमरी ज्ञानदात्री हम त्यारा पुजारी मैय्या हम त्यारा पुजारी।
बुद्धि दी दिए मति दि दिए माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए।
तेरि कृपा की चाह में , छूं सच्चाई की राह में ,छूं सुण ले माँ पुकार।
जाति धर्म छोडि छाड़ि, नक विचार छोडि छाडि, भल दिए विचार।
ध्यान धरिए भल करिए माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए

श्वेत हंस, श्वेत कमल, श्वेत माला मोती।
एक हाथ में वीण छाजि रै एक हाथ में पोथी।
झोली भरिए ,पार करिए माँ सरस्वती दैण ह्वै जाए
मन को अन्ध्यार मिटाए , ज्ञान को दीपक जलाए ज्ञान को दीपक।
तेरि करछूं मैं विनती , मेरि धरिए लाज मैय्या मेरि धरिए लाज।
ज्ञान दी दिए विवेक दी दिए मां सरस्वती दैण ह्वै जाए।

इन्हे भी पढ़े: मडुवा या कोदा की रोटी के फायदे

यह कुमाउनी प्रार्थना, श्री रमेश चन्द्र जोशी (सत्यम जोशी) अध्यापक  रा०प्रा०वि० जारा धारचूला, पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड द्वारा रचित है।

हमारे व्हाट्सप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments