अपनी उत्तराखंड की भाषा को सशक्त बनाने के लिए हमे सोशल मीडिया पर अधिकतम, गढ़वाली और कुमाउनी भाषा का प्रयोग करना इसी क्रम में आज हमने इस लेख में गढ़वाली सुविचार औऱ कुमाउनी सुविचार का संकलन किया है। सर्वप्रथम हम यहां कुमाऊनी सुविचार ( quots in kumauni language ) ततपश्चात गढ़वाली सुविचार ( quots in garhwali language) सांकलित करेंगे।
कुमाऊनी सुविचार
( Kumaoni suvichar ) || ( kumaoni quotes ) -:
- हमार समस्याक इलाज हामेरे पास हुंछ । दुसरक पास तो हमरि समस्याक सुझाव हुंछ।।
- जब दुनिया वाल कूनी ,अब तेकैल निहुन। तब उम्मीद हमा्र का्न में कैं , एक बार आई कोशिश कर।
- कोशिश करनी वालेक कभि हार नि हुनि ।
- अगर तुम सोचनाछा कि चार मैस के कौल ? तो तुम पैलिकै हार गैछा। किलैकी चार मैस केवल राम नाम सत्य है कूनी।
- अगर मैस तुमर विरोध करनी तो ,समझ जो कि तुम सही बाटा जांछा।
- सफलता कैं बनि बनाई नि मिलेनी, यकू बनूण पड़ू।
- आपुण मन कैं समुन्दर जस रखो, तब देखिया नदी आपुण आप मिलेहेते आलि।
(गढ़वाली सुविचार )
- पाणिल नाणी वाल आदिम खालि कपड़ बदेलि सकूं । मगर पसिनेल नाणि वाल आदिम इतिहास बदई द्यूं।।
- मन में जो छु ,साफ साफ कैं दिन चैं। किलैकी साँचि कैं बेर एक हुनि और झुठी कैं बेर अलग हुनि।
- आदिम आपुण जिंदगी में उदुगै ठुल काम कर सकूं , जदू ठुल ऊ सोच सकूं ।
- समस्या उदुग ठुल नि हुन ,जदुक हम उनकै चितानू। कभै सुणछौ कि ,रातेल उज्याऊँ नि हुण दी ।
कुमाउनी सुविचार –
- अगर भौल मैस बनन छु तो , हंकार छोड़ द्यो।।
- सफल मैस खुशी रौ या नि रौ , खुशी आदिम जरूर सफल हुं।
- ईजा जिंदगी बहोत खुबसुरत छु , एकै लड़ै , मार झगड़ में बरबाद न करौ ।
- अगर एक हारी आदिम , हार बै लै हँसि दीछौ तो जीति हुई मैंसक जीतक खुशी खतम है जैं।
- मैस हमेशा आपुण भाग कैं दोष दिनी, लेकिन यो नि सोचन कि करम तो आपुणैं लागनी ।
- ना्न ना्न बातों में खुशी ढुड़ो रै दगड़ियों ।
- आपुण सोच भल करौ , कापड़ ना।
- गुसैंक बखत पा , थोड़ि रूक बेर , गलती बखत पां थोवाड़ झुक बेर जीवन आसान हैं जा।
- आपुण जिंदगी में हमेशा दुसर कैं समझनेक कोशिश करन चैंछ, परखनै ना।
- जिंदगी हमेशा एक मौक जरूर दी, जैथें भोल् कूनी
- दगड़ियो जिंदगी समझण छौ तो पिछाड़ी देखौ । और जिंदगी जीन छौ तो आघिल देखो।
- इज्जत लै मिलेलि ,दौलत लै मिलेली , ईजा बाबू सेवा करौ धरती में स्वर्ग मिलल ।।
- बखत तुमर छु , चाहे सेती बेर बितौ या सुन बनै ल्हियौ।
- दुनी में कैं लै बेकार नि हुन ,कूनी बंद घड़ि लै दिन में द्वी बार सही टैम बतें।
( कुमाऊनी सुविचार )
- आदिम कैं कभी मौकेक इंतजार नि करन चैं किलैकी जो आज छु ,ऊँ सबै बै ठुल मौक छु।।
- दागड़ियों अगर तुमेकै आपुण पा विश्वास छौ ,तो तुमुकैं ठुल बनन हैबे कोई न रोक सकन।

जागिजा-जागिजा कै बेर दगौड़ नि हुन !
म्यर छु – म्यर छु कै बेर आपण नि हुन !!
❤️
– आदरणीय शेरदा
यहां भी देखें :- गढ़वाली भजन लिरिक्स , गढवाली भजन
गढ़वाली सुविचार (Garhwali Suvichar ) ||( Garhwali quoets)
- हमारी दिकतों कु हल सिर्फ हम मा ही च्। दूसरो मा तो हमरि दिकतो को सुझाव रोंदू बस।
- जब क्वि भी इन बोल्दू, कि हार मानी जा । तब वै समय मा उमीद हमसे बोल्दी कि एैकि बार और प्रयास करा।।
- जब क्वी भी लोग तुमथे , भलु बुरू बोलण लागदिनि , त समझी जैया कि तुम सही रस्ता मे छा ।।
गढ़वाली सुविचार
- दिल सदाहि अपणु समुद्र जन रखण चैन्दू , देख्या लोग नदियों तरयूं खुद तुम मे आला थै।।
- दगडियो जू मन मा होलू , साफ साफ बोली देण । किले कि सच बोळया तै भल होलू ,अर झुठ बोलिल्याल त बुरू होलू
- दगडयो बडू सोचिल्या त बडू होलू । अर छोटू सोेचिल्या वखी रे ज्यैल्या जनी को तनि।
- समस्या पुछणू त पहाडों कि बेटी ब्यारियों तै पूछा, किले कि पहाडों कि बेटी ब्वारी का सामणि, समस्या सबसे छोटी चीज च्।।
{ गढ़वाली सुविचार }
- अगर दगड़ियो फैमस होण च त सबसे पैली “आप” बोळया तब “तुम” अर सबसे कम मी ,मी , बोळया । चमक ऐ जालु खुद मा।।
- दगडियो हमारी ई जिन्दगी बडी मस्त च् । ई जिन्दगी थै बेकार बातों मे खराब नि करया।।
- मुलमुल हस्यू दगडयों , हरयू मनिख भी जिति जांदू ।।
- न खर्चा लागलु ना पैसा लागलू । मूलमूल हसि जावा, भल लागळु।।
- जब भी हमरू बुरा दिन औंदा दगडयों त समझी जैयां कि ,अब हमथैं एक सही कोशिश करण चैंदी।।
गढ़वाली सुविचार-
- हमथैं अपणी सोच ब्रांडेड रखन चैंदी। कपड़ा तो क्वी भी ब्रांडेड पैरी सकदू ।।
- जब गुस्सा ओन्दु ना दगड्यौं , उवरी थोडा रूक जायू चैन्दू । अपडि गलति हवे जयू तै , उरी झुकि जाण चैन्दू । भल होलू।।
- अपडी जिन्दगी मा दुसरों थै समझण चैंदी। कि त रिस्त खराब ह्वे जाला।
- जग्या रैल्या त किस्मत चमकैली ।अर सिया रेल्या तो बोया लगल्या ।।
इसे भी देखें :- पहाड़ी कहावते और पहाड़ी मुहावरे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
हालांकि हमको पता है, कि उत्तराखंड के अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग प्रकार की भाषा का प्रयोग किया जाता है।इसलिए संभव है, कि उत्तराखंड के सभी मित्रों को यह भाषा समझ मे नही आई। इस पोस्ट के संबंधित कोई भी सुझाव और अपनी क्षेत्रीय गढ़वाली या कुमाउनी बोली में सुविचार सांकलित करवाने के लिए हमारे फेसबुक पेज देवभूमी दर्शन पर सम्पर्क करें।