कलबिष्ट देवता की कहानी चलिए दोस्तो आज आपको बताते हैं, कलबिष्ट देवता की कहानी लगभग 200 साल पुरानी बात है कि केशव कोट्यूडी का बेटा कल्लू कोट्यूडी नामक एक राजपूत ,कोत्युडकोट में रहता था। उसकी माता का नाम दुर्पता था। उसके नाना का नाम रामाहरड़ था। कल्लू बड़ा वीर एवं रंगीला मिजाज का युवक था। वह किसान था। और बिनसर के जंगलों में ग्वाले का काम करता था। लोक कथाओं में उसका नाम कलबिष्ट, कलुवा या कल्याण बिष्ट और कलविष्ट नाम से प्रसिद्ध है। बताते हैं उसके साथ हमेशा निम्नलिखित सामान रहता था – मुरली बाँसुरी मोचंग पखाई रमटा घुंघराली…
Author: Bikram Singh Bhandari
गिरीश तिवारी गिर्दा को उत्तराखंड का जनकवि के नाम से याद किया जाता है। गिर्दा की कविताओं ने समय समय पर उत्तराखंड के जनांदोलनों को नई धार दी। गिरीश तिवारी गिर्दा की कविता और उनके गीतों में वो शक्ति थी ,जो लोगो के सोये हुए जमीर को भी जगा देती थी। गिर्दा की इतिहासिक जनगीतों और कविताओं में से उनकी प्रसिद्ध कविता हम लड़ने रयां बैणी, हम लड़ते रूलो का संकलन यहाँ कर रहे हैं। गिर्दा की यह कविता निरंतर संघर्ष के लिए प्रेरित करती है। गिरीश चंद्र तिवारी गिर्दा की कविता – हम लड़ने रयां बैणी बैणी फाँसी नी…
उत्तराखंड भू कानून उत्तराखंड के लोग मांग रहें हैं, उत्तराखंड के लिए एक सशक्त भू- कानून। आज कल सोशल मीडिया पर उत्तराखंड मांगे भू कानून ट्रेंड कर रहा है। सभी उत्तराखंडियों की एक ही कोशिश है, कैसे भी वर्तमान सरकार के कानों में में ये बात पहुँचे। लगातार कई दिन रोज उत्तराखंड मांगे भू कानून ट्रेंड कर रहा है। अब उत्तराखंड भू कानून आंदोलन सोशल मीडिया से रोड पर उतरने लगा है। उत्तराखंड भू-कानून क्यों मांग रहा है? उत्तराखंड राज्य बनने के बाद 2002 तक उत्तराखंड में अन्य राज्यों के लोग, केवल 500 वर्ग मीटर जमीन खरीद सकता था। 2007 में …
चौमू देवता का अर्थ है, चार मुह वाला देवता। चमू देवता उत्तराखंड के लोक देवता हैं। इनको पशु चारको का देवता माना जाता है। इनको चमू देवता, चौमू देवता ,चौखम देवता,चमू राज आदि नामों से जानते हैं। चौमू देवता का मूल स्थान चंपावत जिले का नेपाल से सटा हुआ क्षेत्र गुमदेश माना जाता है। चंपावत गुमदेश में चौमू देवता का प्रसिद्ध मंदिर है। चमू देवता की कल्पना पशुपतिनाथ शिव की चतुर्मुखी रूप से की जाती है। कहा जाता है, प्राचीन काल मे चंपावत गुमदेश क्षेत्र में बकासुर नामक राक्षस ने आतंक मचाया था। तब एक बृद्ध महिला की करुण पुकार…
उत्तराखंड एक प्राकृतिक प्रदेश है। यहां प्रकृति ने हर कोने हर क्षेत्र को ऐसे सजाया है, उत्तराखंड का हर कण स्वर्ग का अहसास दिलाता है। यहाँ कई एक से बढ़कर एक दर्शनीय स्थल मौजूद है, जिन्हें सारी दुनिया जानती है ,और भ्रमण के लिए आती है। और कुछ ऐसे स्थान भी हैं, जो सारी जन्नत की खूबी अपने मे समेटे हुए है, लेकिन उस सुंदरता से अभी भी कई लोग अनजान हैं। इन्ही दर्शनीय स्थलों में एक है, नैनीताल का पेओरा गांव ( Peora village Nainital ) इसके बारे में अधिक लोगो को अभी तक नही पता है। पेओरा गाव …
फादर्स डे उत्तराखंड में (Father’s day in Uttrakhand ) मित्रो आज फादर्स डे है। वैसे देखा जाय तो , मा बाप को खुश करने या प्यार करने के लिए कोई स्पेशल डे की जरूरत नही है। हर दिन माँ का है। हर दिन पिता जी का है। उनसे तो हम हैं। लेकिन अगर दिन बनाया गया है,तो उसे भी मनाना चाहिए, और उस दिन अन्य दिनों से दोगुनी प्यार,खुशी माननी चाहिए। हम पहाड़ी हैं , अतएव हम फादर्स डे पहाड़ी में , ही मनाएंगे। इस उपलक्ष में हमने पिता पर कविता कुमाउनी में लिखी है। अच्छी लगे तो शेयर जरूर…
कोरोना की इस भीषण आपदा के बाद उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं के लिए खुश खबर है। उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग ( UkSSSC ) ने पटवारी और राजस्व लेखपाल के 513 पदों के लिए आवेदन मांगे हैं। पदों का विवरण – राजस्व उपनिरीक्षक (पटवारी) 366 पद राजस्व उपनिरीक्षक ( लेखपाल ) 147 पद नोट – पदों को विस्तार से देखने के लिए आयोग का पूर्ण विज्ञापन देखें। आयु सीमा – आयु की गणना 1 जुलाई 2020 के अनुसार होगी। पटवारी – 21 वर्ष से 28 वर्ष लेखपाल – 21 वर्ष से 35 वर्ष शैक्षणिक योग्यता – भारत के विधि द्वारा…
नईमा खान उप्रेती उत्तराखंड रंगमंच की पहली महिला, जिसने उत्तराखंड के रंग मंच को और उत्तराखंड के लोक गीतों को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। अपने पति श्री मोहन उप्रेती जी साथ मिल कर उत्तराखंड रंग मंच और उत्तराखंड के लोक गीतों को नई पहचान दिलाई। नईमा जी ने एक मुस्लिम परिवार में जन्म लेकर , अल्मोड़ा के कट्टर ब्राह्मण परिवार में शादी की । नईमा खान और मोहन उप्रेती जी की उत्तराखंड का पहली अंतरधार्मिक विवाह था शायद। प्रारम्भिक जीवन एवं शिक्षा दीक्षा – नईमा खान का जन्म, 25 मई 1938 को उत्तराखंड अल्मोड़ा के कारखाना बाजार के प्रतिष्ठित…
15 जून 1960 को बाबा नीम करौली जी ने प्रसिद्ध धाम कैंची धाम की स्थापना की थी। इसी उपलक्ष में प्रत्येक वर्ष 15 जून को भवाली नैनिताल स्थित बाबा के धाम कैंची धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है। विशाल मेला लगता है। बाबा नीम करोली के भक्त देश ,विदेश से यहां आते हैं। बाबा के सभी भक्त अपने घर से उनको याद करें और उनका का गुणगान करें। कैंची धाम में आरती के लिए हनुमान चालीसा ,हनुमान अष्टक , बजरंग बाण , और गुरु वंदना का पाठ किया जाता है। और बाबा नीम करोली जी की आरती विनय चालीसा…
उत्तराखंड की संस्कृति , भाषा लोकगीतों का प्रचार प्रसार करने में बहुत लोकप्रिय लोकगायकों का योगदान रहा है। इन्ही प्रसिद्ध लोक गायकों में एक थे, कुमाऊँ प्रसिद्ध लोक गायक हीरा सिंह राणा । हीरा सिंह राणा कुमाउनी गीतों के प्रसिद्ध गायक थे। कुमाउनी गीतों में कैसेट युग मे सुपरस्टार गायक थे। हीरा सिंह राणा जी, गायक के साथ साथ, कवि संगीतकार भी थे। पहाड़ की पीड़ा, पहाड़ की समस्याओं को उन्होंने अपने गीत और कविताओं में प्रमुखता से जगह दी। हीरा सिंह राणा के प्रसिद्ध गीत कैसेट युग से यूट्यूब युग, ऑनलाइन युग तक पसंद किए जा रहे हैं। वो…