Monday, March 24, 2025
Homeसंस्कृतिभाषागिरीश तिवारी गिर्दा की कविता - हम लड़ने रयां बैणी, हम लड़ते...

गिरीश तिवारी गिर्दा की कविता – हम लड़ने रयां बैणी, हम लड़ते रूलो।

गिरीश तिवारी गिर्दा को उत्तराखंड का जनकवि के नाम से याद किया जाता है। गिर्दा की कविताओं ने समय समय पर उत्तराखंड के जनांदोलनों को नई धार दी। गिरीश तिवारी गिर्दा की कविता और उनके गीतों में वो शक्ति थी ,जो लोगो के सोये हुए जमीर को भी जगा देती थी। गिर्दा की इतिहासिक जनगीतों और कविताओं में से उनकी प्रसिद्ध कविता हम लड़ने रयां बैणी, हम लड़ते रूलो का संकलन यहाँ कर रहे हैं। गिर्दा की यह कविता निरंतर संघर्ष के लिए प्रेरित करती है।

गिरीश चंद्र तिवारी गिर्दा की कविता – हम लड़ने रयां बैणी

बैणी फाँसी नी खाली ईजा, और रौ नी पड़ल भाई।
मेरी बाली उमर नि माजेलि , दीलि ऊना कढ़ाई।।
मेरी बाली उमर नि माजेलि, तलि ऊना कड़ाई।
रामरैफले लेफ्ट रेट कसी हुछो बतूलो।
हम लड़ते रयां बैणी , हम लड़ते रूलो।
हम लड़ते रया भुला, हम लड़ते रूलो।।
अर्जुनते कृष्ण कुछो, रण भूमि छो सारी दूनी तो।
रण बे का बचुलो , हम लड़ते रया बैणी हम लड़ते रूलो
हम लड़ते रया भुला, हम लड़ते रूलो।।
धन माएड़ि छाती, उनेरी धन तेरा ऊ लाल।
बलिदानकी जोत जगे, खोल गे उज्याल।।
खटीमा, मसूरी मुजेफरें कें, हम के भूलि जूलो।
हम लड़ते रयां बैणी , हम लड़ते रूलो।
हम लड़ते रुला, चेली हम लड़ते रूलो।।
कस होलो उत्तराखंड, कस हमारा नेता।
कसी होली विकास नीति, कसी होली ब्यवस्था।।
जड़ी कंजड़ी उखेलि भलीके , पूरी बहस करूलो।
हम लड़ते रयां बैणी , हम लड़ते रूलो।
सांच नि मराल झुरी झुरी पा, झूठी नि डोरी पाला।
लिस , लकड़ा, बजरी चोर जा नि फौरी पाला।।
जाधिन ताले योस नि है जो, हम लड़ते रूलो।
हम लड़ते रयां बैणी , हम लड़ते रूलो।
मैसन हूँ, घर कुड़ी हो भैसन हु खाल।
गोर बछन हु चरुहू हो, चाड़ पौथन हूँ डाल।।
धुर जंगल फूल फूलों, यस मुलुक बनुलो ।
हम लड़ते रयां बैणी , हम लड़ते रूलो।
हम लड़ते रूलो भूलि, हम लड़ते रूलो।।
हम लड़ते रयां दीदी, हम लड़ते रूलो।।

इसे भी पढ़े – गिरीश तिवारी गिर्दा का जीवन परिचय

Hosting sale Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments