आज कल श्री बागेश्वर धाम के पीठाधीश श्री धीरेन्द्र शास्त्री चर्चाओं में बने हुए हैं। चर्चाओं का कारण है उनके द्वारा किये जाने वाला चमत्कार! जी हा श्रद्धालु इसे चमत्कार कह रहें हैं, और तथाकथित बुद्धिजीवी इसे विज्ञान या मैजिक ट्रिक कह रहें हैं। उनका चमत्कार या मैजिक ट्रिक यह है कि, वे ये जान लेते हैं सामने वाले के मन में क्या चल रहा है? वह किस विषय में सोच रहा है? उनकी इसी खूबी के सारे देश के लोग दीवाने हो रहे हैं। और दिन प्रतिदिन उनके समर्थक बढ़ते जा रहे हैं। अब वे चमत्कार कर रहे या…
Author: Bikram Singh Bhandari
आज 26 जनवरी 2023 गणतंत्र दिवस परेड में कर्तव्य पथ पर देवभूमि उत्तराखण्ड की मानसखण्ड झांकी नजर आएगी। मानसखण्ड झांकी में प्रसिद्ध जागेश्वर धाम, कार्बेट नेशनल पार्क में विचरण करने वाले पशु पक्षियों के साथ उत्तराखंड की प्रसिद्ध ‘ऐपण’ कला से बनी सरस्वती चौकी ऐपण चार चांद लगाएगी। जैसा कि हम सबको पता है, उत्तराखंड में मानसखंड कुमाऊं मंडल के भाग को बोला जाता है। जागेश्वर धाम भगवान शिव को समर्पित मानसखंड (कुमाऊ उत्तराखंड) का सुप्रसिद्ध धाम है, कहते हैं इस धाम को कत्यूरियों ने एक रात में निर्मित किया था। कार्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड के सबसे बड़े पार्कों में से…
छोलिया नृत्य क्या है? यह नृत्य ढोल, दमाऊ, नगाड़ा, तुरी, मशकबीन आदि वाद्य यंत्रों की संगति पर विशेष वेश -भूषा में हाथों में सांकेतिक ढाल तलवार के साथ युद्ध कौशल का प्रदर्शन करने वाला , उत्तराखंड कुमाऊं मंडल का विशिष्ट लोक नृत्य है। इसके नामकरण के बारे में श्री जुगल किशोर पेटशाली जी कहते हैं, “यह नृत्य युद्धभूमि में लड़ रहे शूरवीरों की वीरता मिश्रित छल का नृत्य है। छल से युद्ध भूमी में. दुश्मन को कैसे पराजित किया जाता है, यही प्रदर्शित करना इस नृत्य का मुख्य लक्ष्य है। इसीलिए इसे छल नृत्य, छलिया नृत्य या छोलिया नृत्य कहा…
अपनी भाषा ,अपनी बोली के प्रचार -प्रसार को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के आदरणीय शिक्षकों ने ,गढ़वाली और कुमाउनी भाषा में सरस्वती वंदना की रचना करके एक सराहनीय पहल शुरू की है। प्रस्तुत लेख हम गढ़वाली सरस्वती वंदना और कुमाउनी सरस्वती वंदना के बोल संकलित कर रहे हैं। गढ़वाली में सरस्वती वंदना- नमो भगवती मां सरस्वती यनू ज्ञान कू भंडार दे, पढ़ी- लिखीं हम अग्नै बढ़ जऊं श्रेष्ठ बुद्धि अपार दे। नमो भगवती मां सरस्वती….. कर सकूं हम मनुज सेवा बुद्धि दे विस्तार दे। जाति धर्म से ऐंच हो हम मां यनु व्यवहार दे। अज्ञानता का कांडा काटी ज्ञान…
ईजू मेरी प्यारी ईजा साल 2023 का बेस्ट कुमाउनी गीत – भगवानो को रूप भगवान छू ईजा …… स्वर्ग को धरती में एक वरदान छू ईजा इस बार साल के पहले महीने ही, कुमाउनी लोक संगीत की दुनिया एक ऐसा गीत रिलीज़ हुवा है ,जिसे अब तक का साल 2023 का बेस्ट कुमाउनी गीत कहा जाय तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। हालाँकि अभी पूरा साल पड़ा है ,और जिस हिसाब से कुमाउनी लोक संगीत इंडस्ट्री में गीत रिलीज़ हो रहे हैं ,दिसंबर 2023 तक एक से बढ़कर एक कुमाउनी गीत आएंगे। लेकिन जनवरी 2023 में टीम घुघूती जागर RD चैनल…
जोशीमठ का उत्तराखंड में पौराणिक महत्व के साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी है। अंग्रेजी लेखकों का मानना है कि, कत्यूरी राजा पहले जोशीमठ में रहते थे। वे वहां से कत्यूर आये। कहते हैं सातवीं शताब्दी तक उत्तराखंड में बुद्ध धर्म का प्रचार था। ह्यूनसांग अपनी पुस्तक में लिखा है ,गोविषाण और ब्रह्मपुर ( लखनपुर ) दोनों जगहों में अधिकतर बौद्ध सम्प्रदाय के लोग रहते थे। हिन्दू धर्म के प्रवर्तक बहुत कम रहते थे। मंदिर और बौद्ध मठ साथ साथ थे। आठवीं शताब्दी के बाद श्री आदि शंकराचार्य की धार्मिक दिग्विजय से यहाँ बौद्ध धर्म का ह्रास हो गया। कुमाऊ गढ़वाल और…
जोशीमठ का उत्तराखंड के राजनीति और सांस्कृतिक इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व का यह स्थान, उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के चमोली जनपद में पैनखंडा परगने में समुद्रतल से 6107 फीट उचाई पर स्थित है। चमोली-बद्रीनाथ मार्ग पर कर्णप्रयाग से 75 किमी, चमोली से 59 किमी आगे और बद्रीनाथ से 32 किलोमीटर पहले औली डांडा की ढलान पर, अलकनंदा के बायीं ओर स्थित है। यहाँ से विष्णुप्रयाग लगभग 12 किलोमीटर दूर है। और जोशीमठ से फूलों की घाटी 38 किलोमीटर दूर है। कहा जाता है ,कि यहाँ 815 ईसवी पूर्व एक शहतूत के पेड़ के नीचे…
माघ मेला 2023 माघ मेला प्रयागराज में इस वर्ष 6 जनवरी 2023 से शुरू होगा। प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा से माघ मेला शुरू होता है ,और इसका समापन माघपूर्णिमा के दिन होता है। माघ मेला हिन्दू धर्म का वार्षिक उत्सव है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ (जनवरी और फरवरी) के महीने में मनाया जाता है। इसे मिनी कुंभ मेला भी कहा जाता है। यह मेला सनातन धर्म के लोगों लिए बहुत महत्व रखता है। लोग त्रिवेणी संगम, 3 पवित्र नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम स्थल पर आते हैं। और यहाँ एक महीना कल्पवास करते हैं। माघ का…
मरोज त्योहार: उत्तराखंड के जौनपुर, जौनसार-बावर क्षेत्र में मनाया जाने वाला मरोज पर्व इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख और विशिष्ट त्योहार है। यह त्यौहार हर वर्ष पौष मास के 28वें दिन से शुरू होता है और माघ मास के अंत तक चलता है। इस पर्व की शुरुआत हिन्दू समाज में माघ महीने को पवित्र माह माना जाता है, जिसमें पूजा, व्रत, स्नान और दान-पुण्य का महत्व अधिक होता है। हालांकि, जौनपुर और जौनसार-बावर क्षेत्र में मरोज पर्व के दौरान पूरे माघ महीने में मांस और मदिरा का सेवन किया जाता है, साथ ही लोग नाच-गाने का आनंद भी लेते हैं…
मडुवा की रोटी के फायदे :- मडुवा को पहाड़ अनाज का राजा कहा जाता है। मडुवा पहाड़ो में सरलता से उग जाता है ,और पहाड़ का वातावरण इसके उत्पादन के लिए लाभदायक होता है। मडुवा उत्तराखंड की कुमाउनी भाषा का नाम है। मडुवा को हिंदी में रागी कहते हैं। मड़ुआ को अंग्रेजी में finger millet ( फिंगर मिलेट कहते हैं। मड़ुआ को गढ़वाली में कोदा के नाम से जानते हैं। मडुवा मुख्यतः अफ्रीका व् एशिया के सूखे क्षेत्रों में उगाया जाने वाला अनाज है। चार हजार साल पहले मडुवा भारत लाया गया। भारत में इसकी सबसे अधिक मड़ुआ कर्नाटक में…