Author: Bikram Singh Bhandari

बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

हाल ही में भारत के केरल राज्य में धर्मांतरण और आतंकवाद पर आधारित हिंदी फिल्म द केरला स्टोरी पुरे देश के सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। हालाँकि कई जगह इसका विरोध हो रहा और अधिकतर लोग इसे पसंद कर रहे हैं और इसका समर्थन कर रहें हैं। और इसे सत्यघटना पर आधारित मान रहें है। फिल्म ‘The Kerala story ’ पर एक विशेष एजेंडा फिल्म होने के आरोप लग रहे हैं। इस फिल्म में दिखाया गया है कि केरल में लगभग 30000 लड़कियों का धर्मपरिवर्तन हुवा है। फिल्म खराब है या सही है इसका निर्णय तो दर्शक लेंगे। मगर इस…

Read More

अप्रैल मई के माह में पहाड़ों में रवि की फसल तैयार होती है। रवि की फसल में मुख्य खाद्यान गेहू होता है। पहाड़ों में गेहू की फसल के काम के दौरान अधकच्चे गेहूं से एक विशेष स्नेक्स बनाते हैं, जिसे पहाड़ी भाषा उमी कहते हैं। पहाड़ो में गेहूं की फसल तैयार हो जाने पर फसल की कटाई के समय उसकी हरी बालियों को आग में भून कर और ठंडा करके भुने हुए दानों को उमी कहा जाता है। ये दाने चबाये जाने पर विशेष स्वादिष्ट लगते हैं। बाद में इसके खाजा या चबेने के रूप प्रयोग किया जाता है। इसके…

Read More

उत्तराखंड के लजीज व्यंजनों की तरह, उत्तराखंड के मालपुए काफी पसंद किये जाते हैं। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में यह व्यंजन काफी पसंद किया जाता है। विशेषकर अल्मोड़ा जिले की सोमेश्वर के प्रसिद्ध मालपुए काफी पसंद किये जाते हैं। मालपुए पहाड़ी क्षेत्रों की एक प्रसिद्ध मिठाई हुवा करती थी, जो आज लगभग विलुप्त हो गई है। प्रसिद्ध हैं सोमेश्वर प्रसिद्ध के मालपुए – उत्तराखंड के सोमेश्वर के मालपुए काफी प्रसिद्ध है। यदि आप कौसानी यात्रा पर हैं और अल्मोड़ा कौसानी रुट पर जा रहे हैं तो बीच में सोमेश्वर बाजार में सोमेश्वर के प्रसिद्ध मालपुओं का स्वाद लेना न भूलें।…

Read More

उत्तराखंड के सभी जिलों में मोदीजी के मन की बात कार्यक्रम के 100 वें एपीसोड को को बड़े चाव के साथ सुना गया। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इस कार्यक्रम हेतु जमीनी स्तर से बहुत अच्छी मेहनत की थी जिसके फलस्वरूप लाखों की संख्या में लोगों ने उत्तराखंड में मन की बात कार्यक्रम को सुना। शिक्षा विभाग द्वारा पहली नोटिस जारी कर दिया गया था कि सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों को इस कार्यक्रम का हिस्सा बनना है तथा भारतीय जनता पार्टी के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं ने कड़ी लगन और मेहनत के साथ इस कार्यक्रम को सफल बनाने के…

Read More

उत्तराखंड के पहाड़ो में एक कहावत कही जाती है,”खसिया की रीस और भैस की तीस ” लोकाचार में इसका अर्थ लिया जाता है , क्षत्रिय का गुस्सा और भैस की प्यास अप्रत्याशित होती है। क्षत्रिय के गुस्से और भैस की प्यास  अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। मगर वास्तव में खसिया की रीस और भैस की तीस नामक पहाड़ी कहावत में खसिया का मतलब क्षत्रिय नहीं बल्कि वे सभी जातियाँ या वर्ण हैं जो उत्तराखंड के पहाड़ो में रहते हैं ,जो उत्तराखंड के मूल निवासी हैं। क्योंकि उत्तराखंड के पहाड़ी हिस्सों और नेपाल व हिमालयी भाग  में पहले खस जाती…

Read More

पहाड़ की एक प्रेणादायक कहानी पहाड़ में दूध बेचकर बेटे को बना दिया डॉक्टर। जी हां ! आज उत्तराखंड के एक ऐसे माता-पिता की एक प्रेणादायक कहानी बताने जा रहे हैं,जिन्होंने पहाड़ में साधारण नौकरी और डेयरी में दूध बेचकर अपने होनहार पुत्र को डॉक्टर बनाया। अगर मन में सच्ची लगन हो और अंतिम स्तर तक बेइंतिहा मेहनत हो तो बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में ताड़ीखेत ब्लॉक के ग्राम -बगुना के निवासी कमल सिंह बिष्ट ने यह सिद्ध करके दिखाया है। उन्होंने सफलता पूर्वक राजकीय दून मेडिकल कालेज से पांच वर्षीय…

Read More

बैशाखी को उत्तराखंड में बिखौती त्यौहार और अन्य कई के नाम से त्यौहार मनाते हैं। इस अवसर पर उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर अलग अलग नामों से अलग अलग मेलों का आयोजन होता है। जिसमे बिस्सु मेला और द्वाराहाट का स्याल्दे बिखोती का मेला प्रसिद्ध है। इसी अवसर पर सोमेश्वर घाटी के लोद में आयोजित बिखौती मेले में इस बार जो भव्यता देखने को मिली उसे देखकर पूरे क्षेत्र के लोग गदगद है। मेले में इस बार कुमाऊनी परंपरागत नृत्य छोलिया, झोड़ा – चाचरी के साथ प्रसिद्ध कुमाऊनी गायकों की खूबसूरत गायकी का तड़का लगा। 15 अप्रैल को कई स्कूलों…

Read More

आदिकाल से हमारे देश में लोगों द्वारा अपनी खुशियों को नृत्य के नृत्य के रूप में प्रकट करने की परम्परा रही है। विशेषकर त्योहारों की खुशियाँ नृत्य के रूप में मनाई जाती हैं। भारत में कई समृद्ध संस्कृतियों का वास है। प्रत्येक संस्कृति/ वर्ग / समुदाय  के लोगो द्वारा एक विशेष नृत्य विकसित किया गया है , जो उनकी पारम्परिक संस्कृति का प्रदर्शन करता है। वर्गविशेष या समुदाय विशेष के आम लोगों द्वारा सांस्कृतिक प्रदर्शन को विकसित किये गए नृत्य को लोकनृत्य कहते हैं। भारत में प्रत्येक समुदाय के अपने -अपने विशेष लोक नृत्य हैं। इसी प्रकार उत्तराखंड के प्रत्येक…

Read More

उत्तराखंड के पहाड़ की वास्तविक हालत बताती प्रदीप बिलजवान  विलोचन जी की यह गढ़वाली कविता। गढ़वाली कविता का शीर्षक है – “बची खुची बांदरू न उजाड़ी” जनसंख्या बढ़णी छ, अर देखा तब बढ़णी छ। बेरोजगारी यां लई त द्वी हजार रुपिया कु नोट ह्वेगी तीस साल पैली का जनू एक सौ  नोटा बरोबरी। यू मिलावटी, खाणु हमन कब तलक खाणी दवाई लै कु हर रोज डॉक्टर का पास कब तलक जाणी बोतल बंद अर चूना मिल्यूं छ यख कू पाणी काम धंधा खेती पाती कन कू क्वी भी नी छ बल त बोला अब हमन कोदा झंगोरा की दाणी द…

Read More

आज दुनिया ग्लोबल वार्मिंग जैसी भयावह स्थिति का सामना कर रही है ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है पर्यावरण संरक्षण की, उसके लिए हम सभी को मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने की आवश्यकता है। हाल ही में भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय और उसकी सहयोगी संस्था सरकारटेल के सहयोग से महाराष्ट्र में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें आने वाले जल संकट और उसके संरक्षण को लेकर गहन चर्चा हुई। इस दौरान अन्य देशो से आए हुए विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की टीम ने जल संकट को एक भयानक वैश्विक संकट मानते हुए इसके समाधान के लिये…

Read More