Wednesday, February 12, 2025
Homeसंस्कृतित्यौहारमरोज त्योहार 2025 : उत्तराखंड के जौनपुर, जौनसार-बावर क्षेत्र का प्रमुख उत्सव

मरोज त्योहार 2025 : उत्तराखंड के जौनपुर, जौनसार-बावर क्षेत्र का प्रमुख उत्सव

मरोज त्योहार: उत्तराखंड के जौनपुर, जौनसार-बावर क्षेत्र में मनाया जाने वाला मरोज पर्व इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख और विशिष्ट त्योहार है। यह त्यौहार हर वर्ष पौष मास के 28वें दिन से शुरू होता है और माघ मास के अंत तक चलता है। इस पर्व की शुरुआत हिन्दू समाज में माघ महीने को पवित्र माह माना जाता है, जिसमें पूजा, व्रत, स्नान और दान-पुण्य का महत्व अधिक होता है। हालांकि, जौनपुर और जौनसार-बावर क्षेत्र में मरोज पर्व के दौरान पूरे माघ महीने में मांस और मदिरा का सेवन किया जाता है, साथ ही लोग नाच-गाने का आनंद भी लेते हैं और मेहमाननवाजी का आदान-प्रदान करते हैं।

मरोज पर्व का महत्व और इसका उत्सव :

ठंड के मौसम में इस क्षेत्र के लोग खेती-बाड़ी के काम से मुक्त होते हैं, और यह समय उनके लिए आराम और आनंद लेने का होता है। चूँकि इस क्षेत्र में अत्यधिक ठंड पड़ती है, लोग इस दौरान अपने रिश्तेदारों को बुलाकर या उनके घर जाकर एक साथ भोजन करते हैं, नृत्य करते हैं और एक दूसरे के साथ खुशियाँ साझा करते हैं। मरोज पर्व की खुशियाँ मनाते हुए यह उत्सव पूरे क्षेत्र में जीवन के आनंद को संजोता है।

लोककथा: मरोज त्योहार का धार्मिक आधार :

मरोज पर्व के पीछे एक प्रसिद्ध लोककथा भी है, जो इस त्यौहार के महत्व को और बढ़ाती है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में जौनसार-बावर क्षेत्र के तमसा नदी के पास एक भयंकर राक्षस “किरमिर” ने आतंक मचाया था। इस राक्षस का भोजन क्षेत्र के लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ था, और उसे रोज एक व्यक्ति की बलि देनी पड़ती थी।

Hosting sale

तब इस क्षेत्र के एक ब्राह्मण, हुणभट्ट ने अपनी तपस्या से प्रसन्न होकर महासू देवता से सहायता मांगी। महासू देवता के आदेश पर उनके सेनापति कयलु महाराज ने किरमिर राक्षस का वध किया। राक्षस के मारे जाने की खबर सुनकर पूरे क्षेत्र में एक महीने तक खुशियाँ मनाई गईं और इसी उत्सव की शुरुआत से मरोज पर्व का चलन हुआ।

मरोज पर्व के दौरान बकरों की विशेष श्रेणियाँ :

Best Taxi Services in haldwani

मरोज पर्व पर बकरों की बलि देना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस पर्व पर विभिन्न प्रकार के बकरों की बलि दी जाती है, जो इस उत्सव की विशिष्टता को और भी बढ़ा देते हैं। जौनसार-बावर क्षेत्र में बकरों की विभिन्न श्रेणियाँ होती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

खोलेड़ा – यह बकरा खासतौर पर रसोईघर के पास पाला जाता है। इसे गृहणी उत्तम घास खिलाकर स्वस्थ और चर्बीयुक्त बनाती है।

खिलेड़ा – यह बकरा विशेष देखभाल के साथ पाला जाता है, और इसे दिन में बाहर खूंटी पर और रात को अंदर बांधा जाता है। इसे हष्ट-पुष्ट बनाने के लिए विशेष प्रकार का आहार दिया जाता है।

बनेड़ा – यह बकरा बकरों के झुंड से चुना जाता है। इसे दिन में झुंड के साथ घुमने दिया जाता है, लेकिन सुबह, शाम और रात को इसकी विशेष देखभाल की जाती है।

क्रीत बकरा – यह बकरा उन लोगों द्वारा खरीदा जाता है, जो सालभर बकरा पाल नहीं सकते। वे मरोज पर्व के लिए इसे बाहर से खरीदकर लाते हैं। यह बकरा आमतौर पर कमजोर होता है और इसे अन्य बकरों के मुकाबले कम महत्त्व दिया जाता है।

निष्कर्ष :

मरोज पर्व न केवल जौनसार-बावर क्षेत्र के लोगों के लिए एक आनंद का अवसर है, बल्कि यह उनके सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा भी है। यह पर्व इस क्षेत्र की समृद्ध परंपराओं, धार्मिक विश्वासों और सामाजिक रिश्तों को मजबूत करता है। हर वर्ष, यह पर्व क्षेत्र के निवासियों को एकजुट करता है, और जीवन के सुख-संयोग की याद दिलाता है।

इन्हे पढ़े :

चुन्या त्योहार : गढ़वाल में मकर संक्रांति का अन्यतम रूप।

गेंद मेला या गिंदी का मेला , उत्तराखंड में मकर संक्रांति का विशेष उत्सव।

हमारे व्हाट्सअप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments