Author: Bikram Singh Bhandari

बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

नौकरी की चाह रखने वाले उत्तराखंड के नैनीताल जिले के बेरोजगार युवको के लिए खुशखबरी आई है। नवम्बर के अंत में रामनगर नैनीताल में रोजगार मेला लगने जा रहा है। जिसमे कई बेरोजगार युवक युवतियों को रोजगार मिलेगा। रामनगर नैनीताल के सेवानियोजन कार्यालय में आगामी 29 नवंबर 2023 को रोजगार मेला लगेगा जिसमे लगभग 8 कंपनियां भाग लेंगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार रामनगर के रोजगार मेले में सुरक्षा गार्ड, lic एडवाइज़र, सेल्स और मार्केटिंग, चाइनीज कुक,   फिल्ड कर्मचारी और किचन कुक की भर्ती होगी इस रोजगार मेले में भाग लेने के लिए अभ्यर्थियों को बायोडाटा ,शैक्षणिक प्रमाण पत्र, स्थाई निवास…

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श्रीनगर उत्तराखंड के प्रसिद्ध कमलेश्वर महादेव मंदिर में प्रसिद्ध बैकुंठ चतुर्दशी मेले का शुभारम्भ हो गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कैबिनेट मंत्री श्री धन सिंह रावत ने मेले के अवसर पर पूजा अर्चना की। प्रत्येक वर्ष की तरह इस साल भी लगभग 200 से अधिक दंपत्ति संतान सुख की उम्मीद में प्रसिद्ध वैकुण्ठ चतुर्दशी के मेले में खड़ रात्रि जागरण करेंगे। कमलेश्वर महादेव नाम से प्रसिद्ध शिव का मंदिर श्रीनगर गढ़वाल में स्थित है। मान्यता है की इस मंदिर का निर्माण गुरु शंकराचार्य जी ने किया था। उत्तराखंड के इस प्रसिद्ध मंदिर में भगवान शिव ,गणेश और गुरु शंकराचार्य…

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कराचिल अभियान के तहत मुहमद तुगल ने लाखों की विशाल सेना के साथ खुसरो मलिक को हिमालयी राज्य विजय करने हेतु भेजा था। मुहमद तुगलक ने हिमालयी राज्यों पर सन 1328 में आक्रमण किया था। उसने एक विशाल सेना को हिमालयी राज्यों या एक खास राज्य को जीतने भेजा था। लेखकों ने मुहमद बिन तुग़लक के इस अभियान को कराचल, काराचल, करजल, काराजिल, कराजील आदी अलग -अलग नाम दिए हैं। कहाँ था कराचिल राज्य – कराचिल अभियान के बारे में तत्कालीन अफ्रीकन पर्यटक इब्नबतूता ने कराचल अभियान का विवरण कुछ इस प्रकार दिया है , ‘यह हिमालय का एक भाग था।…

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उत्तराखंड का समाज मुख्यतः कृषक व् पशुपालक ही रहा है। आदिकाल से ही उत्तराखंड के निवासी मुख्यतः प्रकृति प्रेमी रहे हैं। पहाड़ की सीढ़ीदार खेतों और जल जंगल के बाद पशु उत्तराखंडियों की अमूल्य संपत्ति रहे हैं। पहले से ही दुधारू गाय /भैंस के साथ बैलों की जोड़ी का पहाड़ियों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। वर्तमानं में पहाड़वासियों ने पशुपालन थोड़ा कम कर दिया है। लेकिन अधिकतर लोग अभी भी अपनी पारम्परिक जीवन शैली अपनाये हुए हैं। पशुओं के लिए अगाध स्नेह होने के कारण पहाड़वासियों ने अपने और प्रकृति के साथ -साथ पशुओं के लिए भी कई लोकोत्सव…

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इगास त्योहार या इगास बग्वाल (egas festival) उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकपर्व है। यह त्यौहार दीपावली पर्व के 11 दिन बाद मनाया जाता है। 2025 में इगास त्यौहार 01 नवंबर 2025 को  मनाया जाएगा। उत्तराखंड सरकार ने 2025 में भी उत्तराखंड सरकार ने ईगास त्यौहार पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की हैं। इगास की विडियो देखें : https://youtu.be/k1oCxhWxc0k?si=hIXnCti3l2BGiGl1 इगास बग्वाल का अर्थ – इगास का मतलब गढ़वाली भाषा मे एकादशी होता है। और बग्वाल का मतलब पाषाण युद्ध होता है। पहले पहाड़ो में राजा ,मांडलिक बरसात ऋतु खत्म होने के बाद प्रमुख त्योहारों को पत्थर युद्ध का अभ्यास करते थे। और…

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उत्तरकाशी टनल हादसे में अभी भी 40 मजदूरों की जान हलक में अटकी है। तमाम प्रयासों के बावजूद प्रसाशन अभी तक मजदूरों को बाहर निकालने में सफल नहीं हुवा है। इस हादसे का असल कारण क्या था ? वो बाद की तकनीकी जांचों पता चल जायेगा। लेकिन फ़िलहाल स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार यह हादसा क्षेत्र  शक्तिशाली लोक देवता बौखनाग देवता के प्रकोप के कारण हुवा है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक पुराने मनेजमेंट ने पहले टनल के बहार एक देवता का एक छोटा सा मंदिर बनाया था। सभी अधिकारी और मजदूर वहां पूजा करके और सर…

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उत्तराखंड के चार धाम कपाट अपने नियत समय पर बंद होने शुरू हो गए हैं। गंगोत्री ,यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट बंद हो गए हैं। मंगलवार 14 नवंम्बर 2023 को गोवर्धन पूजा के दिन गंगोत्री धाम के कपाट बंद हुए। तय मुहूर्त पर गंगोत्री धाम के कपाट बंद हुए और माँ गंगा की डोली मुखबा के लिए रवाना हुई। अब अगले छह महीने तक माँ गंगा की पूजा और दर्शन मुखबा में होंगे। भाईदूज पर यमुनोत्री धाम कपाट और केदारनाथ के कपाट बंद हुए। माँ यमुना के अगले छह माह तक खरसाली में दर्शन होंगे। तथा इस समयावधि में माँ…

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प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और भारतीय क्रिकेट में अब तक के सबसे सफल कप्तान महेंद्र सिंह धोनी उत्तराखंड नैनीताल पहुंच गए हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार धोनी नैनीताल में बाबा नीम करोली के दर्शन करेंगे। इससे पहले विराट अनुष्का भी बाबा नीम करौली के दर्शन करने आ चुके हैं। लोग बताते हैं कि बाबा नीम करोली के आशीर्वाद से विराट अपनी जीवन की नई सफलताओं को चूम रहे हैं ,और व्यवहार में भी काफी परिवर्तन है। इनके अलावा कई बड़ी -बड़ी हस्तियां बाबा नीम करोली का आशीर्वाद ले चुकी हैं। कैंची धाम में…

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गोवर्धन पूजा दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाने वाला त्यौहार है। जिसमे वृज के गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है। कहते हैं द्वापर युग में भगवान् कृष्ण ने यह पूजा इंद्र देव का घमंड चूर करने के लिए शुरू करवाई थी। तबसे आज तक नियत दिन पर यह पूजा पुरे विधिपूर्वक होती है। मगर क्या आपको पता है ? उत्तराखंड के पहाड़ी हिस्से में  खासकर कुमाऊं मंडल में यह पूजा जा नहीं होती बल्कि गोवर्धन पूजा के नाम पर या उसकी जगह पर गोधन पूजा होती है। जिसमे स्थानीय निवासी अपनी पशुधन की पूजा करते हैं और उनकी सेवा…

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कुमाउनी भाषा प्रेमियों के लिए खुश खबर ! उत्तराखंड कुमाउनी भाषा और संस्कृति के प्रचार -प्रसार में प्रयासरत उज्याव संगठन आगामी 24 दिसंबर 2023 को हल्द्वानी में कुमाउनी भाषा सम्मलेन करने जा रहा है। उत्तराखंड की क्षेत्रीय भाषाओँ कुमाउनी और गढ़वाली के प्रचार और प्रसार में कई संगठन और  बुद्धिजीवी लोग प्रयासरत हैं। इनका मूल उद्देश्य अपनी क्षेत्रीय भाषा का प्रचार और उसे सविंधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलाना है। इन्ही संगठनों में एक संगठन है उज्याव संगठन। जिसका पूरा नाम है उज्याव कुमाउनी भाषा लिजी युवा तराण समिति।  उज्याव कुछ भाषा,संस्कृति प्रेमी  कुमाउनी युवाओं द्वारा गठित संगठन है…

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