देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सचिवालय में आधुनिक तकनीक पर आधारित “ई-रूपी” प्रणाली का शुभारंभ किया। यह प्रणाली राज्य के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी, जो उन्हें पारदर्शी और बिचौलिया-मुक्त डिजिटल भुगतान का माध्यम प्रदान करेगी। इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने राज्य की कृषि व्यवस्था को नई दिशा देने के लिए चार महत्वाकांक्षी कृषि नीतियों (कीवी नीति, ड्रैगन फ्रूट, सेब तुड़ाई उपरांत तुड़ाई योजना और मिलेट मिशन) का भी शुभारंभ किया।
ई-रूपी प्रणाली: किसानों के लिए डिजिटल भुगतान का नया माध्यम
मुख्यमंत्री धामी ने ई-रूपी प्रणाली को किसानों के लिए एक नई पहल बताते हुए कहा कि यह प्रणाली उन्हें पारदर्शी, तेज और बिचौलिया-मुक्त डिजिटल भुगतान का नया माध्यम प्रदान करेगी। इस प्रणाली के तहत, पायलट परियोजनाओं में किसानों को मिलने वाली अनुदान राशि ई-वाउचर (SMS या QR code) के माध्यम से सीधे उनके मोबाइल पर भेजी जाएगी, जिसका उपयोग वे अधिकृत केंद्रों या विक्रेताओं से खाद, बीज, दवाएं आदि खरीदने में कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे गांव-गांव में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को इस तकनीक के बारे में जागरूक करें, ताकि वे इसका समुचित लाभ उठा सकें।
चार नई कृषि नीतियां: कृषि विविधता और आय वृद्धि का आधार
मुख्यमंत्री ने चार नई कृषि नीतियों का शुभारंभ करते हुए कहा कि ये सभी योजनाएं राज्य की कृषि विविधता को बढ़ावा देंगी और किसानों की आय में वृद्धि का आधार बनेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही प्रदेश में फ्लावर और हनी पॉलिसी भी तैयार करेगी।
- कीवी नीति: यह नीति कीवी की खेती को बढ़ावा देगी, जो राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण फसल है।
- ड्रैगन फ्रूट नीति: यह नीति ड्रैगन फ्रूट की खेती को प्रोत्साहित करेगी, जो एक उच्च मूल्य वाली फसल है।
- सेब तुड़ाई उपरांत तुड़ाई योजना: यह योजना सेब की तुड़ाई के बाद की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगी, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सकेगा।
- मिलेट मिशन: यह मिशन बाजरा और अन्य मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देगा, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं और सूखा-प्रतिरोधी भी हैं।
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इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री गणेश जोशी, उपाध्यक्ष चाय विकास सलाहकार परिषद श्री महेश्वर सिंह मेहरा, उपाध्यक्ष उत्तराखंड जैविक कृषि श्री भूपेश उपाध्याय, जड़ी बूटी सलाहकार समिति के उपाध्याक्ष श्री बलबीर धुनियाल, राज्य औषधीय पादप बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री प्रताप सिंह पंवार, जड़ी बूटी समिति के उपाध्यक्ष श्री भुवन विक्रम डबराल, सचिव डॉ. एसएन पांडेय, महानिदेशक कृषि श्री रणवीर सिंह चौहान, निदेशक आईटीडीए श्री गौरव कुमार सहित विभिन्न जिलों के काश्तकार मौजूद रहे।
पलायन पर नियंत्रण और आत्मनिर्भर कृषि राज्य का लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी पहलों का उद्देश्य राज्य के पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में कृषि एवं रोजगार को सुदृढ़ करना है, जिससे पलायन जैसी समस्या पर भी प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये योजनाएं उत्तराखंड को आत्मनिर्भर, सशक्त एवं अग्रणी कृषि राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी।