Friday, November 22, 2024
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खोल दे माता खोल भवानी ,एक पारम्परिक कुमाऊनी झोड़ा गीत।

खोल दे माता खोल भवानी एक सुन्दर कुमाऊनी झोड़ा गीत है। जिसमे माता और भक्त के बीच का प्यारा भरा संवाद झोड़ा रूप में वर्णित किया गया है। जिसमे एक तरफ भक्त पहाड़वाली माँ से किवाड़ खोलने को बोलता है। ” खोली दै माता खोल भवानी धारमा  केवाड़ा ” तो माँ भी उसके सवाल के प्रतिउत्तर में सवाल करती है , ” मेरे लिए क्या खास भेंट लाया है जो तेरे लिए किवाड़ खोलू। यथा ” के लै रैछे भेंट पखोवा के खोलूं केवाड़ा ” तब भक्त माँ से स्नेह से विनती करते हुए कहता है ,” तेरे दरवार के लिए फूल -पाती लाया हूँ ,तुम्हारे लिए नारियल भेंट लाया हूँ अब तो केवाड़ खोल दो माँ।

देखें खोल दे माता खोल भवानी कुमाऊनी झोड़ा गीत के लिरिक्स –

धौली गंगा भागीरथी को के भलो रेवाड़ा। ओहो धौली गंगा भागीरथी को के भलो रेवाड़ा ।।

ओहो खोल दे माता खोल भवानी धारमा  केवाड़ा। ओहो खोली दे माता खोल भवानी धारमा केवाड़ा ।।

के लै रैछे भेंट पखोवा के खोलूं केवाड़ा। के लै रैछे भेंट पखोवा के खोलूं केवाड़ा ।।

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ओहो फुल चढ़ूलो,पाती चडूलो तेरो दरबारा । ओहो पान सुपारी, नैरयो लयरु तेरो दरबारा ।।

 पान सुपारी, नैरयो लयरु तेरो दरबारा ……!

ओहो खोली दै  माता खोल भवानी धारमा केवाड़ा । ओहो खोली दै माता खोल भवानी धरमा केवाड़ा ।।

क्या है कुमाऊनी झोड़ा गीत –

झोड़ा उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल का एक लोकनृत्य गीत है । लोकनृत्य गीत इसलिए बोला,यह एक ऐसा लोक नृत्य है, जिसमे  लोग सामुहिक रूप से हाथ पकड़ कर गोलाकार ,पदताल मिलाते हुए नाचते हैं। और उसके साथ लोक गीत भी गाते हैं। बीच मे एक वाद्य यंत्र बजाने वाला होता है। जो पद बोलता है, और गोल घेरे में हाथ पकड़ कर ,एक विशेष चाल में नाचने वाले स्त्री पुरूष उन पदों को दोहराते हैं। और कहीं -कही स्त्री दल एक पद की शुरुआत करते हैं, और पुरुष लोग उन्हें दोहराते हैं।

कुमाऊनी झोड़ा गीत के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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