Friday, November 22, 2024
Homeइतिहासकाठगोदाम का इतिहास, कैसे पड़ा काठगोदाम का नाम?

काठगोदाम का इतिहास, कैसे पड़ा काठगोदाम का नाम?

काठगोदाम का इतिहास –

भारत के पूर्वोत्तर रेलवे के अंतिम विरामस्थल के रूप में जाने जाने वाला कुमाऊं के प्रवेशद्वार के नाम से प्रसिद्ध यह क़स्बा नैनीताल जिले में गौला नदी के तट पर स्थित है। सन 1975 में अंग्रेजों के कुमाऊं अधिग्रहण से पहले यह एक छोटा सा गावं था, जिसका नाम बाड़खोड़ी या बाडाखोड़ी था। या यूँ कह सकते हैं कि काठगोदाम का पुराना नाम बाड़खोड़ी या बाडाखोड़ी था।

यह क्षेत्र चंद शाशनकाल में रुहेले आक्रमणकारियों और लुटेरों को रोकने की प्रमुख घाटी थी। राजा कल्यानचंद जी के राज में उनके सेनापति शिवदेव जोशी ने 1743 -44 में रुहेलों की फौज को यहीं परास्त किया था। बाद में अंग्रेजों के शाशन में लकड़ी के ठेकेदारों ने पहाड़ की इमरती लकड़ी को गौला नदी के माध्यम से ला कर यहाँ इकट्ठा करना शुरू किया, तब इसका नाम काठगोदाम पड़ा। काठगोदाम का अर्थ होता है लकड़ी का गोदाम।

19वी सदी के पूर्व तक इस क्षेत्र की गणना यहाँ के कस्बों में भी नहीं होती थी। 1843-44 में जब प्रथम बार ट्रेन लखनऊ से हल्द्वानी पहुंची तो इसके कुछ समय बाद उत्तर प्रदेश की छोटी लाइन की गुवहाटी -काठगोदाम तिरहुत मेल को काठगोदाम तक बढ़ा दिया गया। आरम्भ में यहाँ अधिकतर मालगाड़ियां ही चलती थी। बाद में यहाँ यात्रियों की संख्या बढ़ने से यात्री गाड़ियां भी चलने लगी। आज यहाँ देश के लगभग सभी स्थानों को ट्रैन जाती है। यात्रियों की संख्या की बात करें तो कुमाउँनी लोगों के अलावा भारी मात्रा में पर्यटकों का आवागमन यहीं से होता है।

काठगोदाम का इतिहास, कैसे पड़ा काठगोदाम का नाम?
काठगोदाम का इतिहास

काठगोदाम रेलवे स्टेशन सबसे स्वच्छ रेलवे स्टशनों में गिना जाता है। स्वच्छता के लिए काठगोदाम रेलवे स्टेशन को सम्मानित भी किया जा चूका है।

Best Taxi Services in haldwani

इन्हे भी पढ़े: बिमारियों के लिए रामबाण इलाज है काफल फल, जानिए इसके फायदे।

काठगोदाम में घूमने लायक स्थान-

काठगोदाम में घूमने लायक स्थानों में कालीचौड़ मंदिर और शीतला देवी मंदिर है। इसके अलवा गौला नदी, भीमताल, नैनीताल, रानीबाग आदि प्रसिद्ध हैं। यह स्थान कुमाऊं मंडल के द्वार के रूप में प्रसिद्ध है, तो यहाँ से आगे को घूमने के कई विकल्प खुल जाते हैं।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments