Friday, November 22, 2024
Homeसंस्कृतिउत्तराखंड की लोककथाएँजिमदार देवता, काली कुमाऊं में ग्राम देवता के रूप में पूजित लोक...

जिमदार देवता, काली कुमाऊं में ग्राम देवता के रूप में पूजित लोक देवता की लोक कथा

जिमदार देवता : जिमदार फारसी के जमीदार शब्द का अभ्रंश कुमाऊनी शब्द है। इसका अर्थ हिंदी के जमीदार की तरह, भूमिधर, या कृषक के साथ साथ कुमाऊनी में जिमदार शब्द कुमाउनी में वर्ण व्यवस्था को इंगित करता है। कुमाउनी वर्ण व्यवस्था के अर्थ में जिमदार का मतलब क्षत्रिय होता है। चंपावत के चराल पट्टी के लोगो द्वारा जिमदार देवता नामक लोकदेवता की भूमिदेवता या ग्राम देवता के रूप में पूजा की जाती है।

एक प्रचलित लोक कथा के अनुसार , एक बार एक गीत संगीत गा कर लोगो का मनोरंजन करने वाला व्यक्ति चंपावत के चरालपट्टी के एक गाँव मे ,मांगने गया। गावँ में मांगते -मांगते एक जिमदार के घर जा पहुचा। उस समय जिमदार घर पर नही था। उस समय उसकी बूढ़ी माँ जो ठीक से देख नहीं पाती थी ,वो थी घर पर। बूढ़ी माँ ने गलती से उसे एक सूप कालीमिर्च दे दी। वह व्यक्ति खुश हो गया उसे बहुमूल्य उपहार दान में मिल गया था। यही व्यक्ति मांगते हुए राजदरबार में पहुँच गया।

और उसे लगा जब गांव का एक जिमदार उसे बहुमुल्य दान दे सकता है, तो राजा तो अच्छा ही दान देगा कुछ !  लेकिन राजा के दरबार से उसे अपेक्षाकृत दान न मिला तो उसने क्रुद्ध होकर राजा को ताना मारा, कि एक सामान्य जिमदार ने इतना बहुमुल्य दान दिया और तुम एक राजा होकर सामान्य दान दे रहे हो !! धिक्कार है तुम पर !!!

जिमदार देवता

Best Taxi Services in haldwani

मांगने वाले के इस ताने से राजा को बहुत बुरा लगा। राजा ने उसे को दुत्कार के भगा दिया और सैनिकों को आदेश दिया कि उस, जिमदार को पकड़ कर मेरे सामने पेश करो !

जैसे ही जिमदार को पता चला कि , राजा के सैनिक उसे पकड़ने आ रहे हैं, वो घबरा गया ।और जल्दीबाजी में उसने अपने साथ अपने कुत्ते बिल्ली सहित, कुनबे के 24 प्राणियों को घर में बंद करके आग लगा कर आत्मदाह कर लिया।

कालांतर में इसी जिमदार ग्राम देवता या भूमिदेवता के रूप में पूजा जाने लगा। कहते हैं, जिमदार देवता  किसी व्यक्ति को ज्यादा परेशान नहीं करता है। केवल पशु – पक्षियों के द्वारा उत्पात मचाकर अपना आक्रोश प्रकट करता है। मान- मनोती करने और साल में एक बार बकरा चढ़ाने पर संतुष्ट हो जाता है। जिमदार देवता के थान में कोई मूर्ति नही होती है। केवल प्राकृतिक पत्थरों के प्रतीकात्मक रूप में पूजा आराधना की जाती है। इस देवता को काली कुमाऊं का भूमिदेवता भी कहा जाता है।

संदर्भ – यह लेख ( लोक कथा ) प्रो DD शर्मा जी की किताब “उत्तराखंड ज्ञानकोष ” पर आधारित है। 

इसे भी पढ़े :
सीतावनी रामनगर का पौराणिक इतिहास जुड़ा है माँ सीता और लव कुश से।
रुमेक्स हेस्टैटस एक औषधीय घास जिसके पहाड़ी नाम पर अल्मोड़े का नामकरण हुवा

हमारे व्हाट्सप ग्रुप में जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Follow us on Google News Follow us on WhatsApp Channel
Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
RELATED ARTICLES
spot_img
Amazon

Most Popular

Recent Comments