Friday, November 22, 2024
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उत्तराखंड में घूमने लायक स्थान ,जो इन गर्मियों में आपकी पहली पसंद हो सकते हैं।

मित्रों मसूरी, नैनीताल उत्तराखंड में घूमने लायक पुराने और ज्यादा भीड़ भाड़ वाले हिल स्टेशन बन गए हैं। गर्मी बड़े या ठंड सभी लोग मसूरी और नैनीताल  का रुख करते हैं। जिस कारण वहां भीड़ अधिक बढ़ जाती है। और आदमी एक शांति और सुकून की तलाश में हिल स्टेशन की तरफ आता है, लेकिन इन हिल स्टेशनों में और भी ट्रैफिक जाम परेशानी आदि झेलनी पड़ती है।

मित्रों उत्तराखंड का मतलब केवल नैनीताल या मसूरी ही नही है । बल्कि इनके अलावा उत्तराखंड और भी सुंदर और मनोहर हिल स्टेशन हैं। जहां आप सुकून और शांति के साथ मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। अपने इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपका परिचय कुछ नए स्थानों से करा रहे हैं। यदि आप इन स्थानों में घूम कर आ गए हैं, तो अपना अनुभव अवश्य शेयर करें।

Table of Contents

उत्तराखंड में घूमने लायक, खिरसु

खिरसू उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है । यह एक रमणीक स्थल है । खिरसू असल में एक गांव है, जिसे उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पर्यटन स्थल का दर्जा दिया गया । खिर्सू  समुन्द्रतल से लगभग 1700 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है ।लेकिन यह स्थान लैंसडौन की तुलना में ज्यादा ठंडा है।

क्योंकि पूरा गांव उच्च पहाड़ियों और घने जंगल (देवदार और ओक) से घिरा हुआ है | खिरसू हिल स्टेशन में ओक के पेड़, देवदार के पेड़ और सेब के बगीचे हैं । इस स्थान के एक कोने से दुसरे कोने तक देखने पर ऊँच पहाड़ी, घने जंगल और कई अन्य जगहों का आनंद ले सकते है।

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खिर्सू उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 160 किलोमीटर दूर है। खिर्सू  में आप विभिन्न प्रकार के पक्षियों का रमणीय दर्शन कर सकते हैं। यहाँ का प्रसिद्ध ट्रैकिंग पॉइंट फुरकण्डा ट्रैकिंग पॉइंट से आप ट्रैकिंग का रोमांच ले सकते हैं। खिर्सू  में पौराणिक घड़ियाल देवता मंदिर भी है। खिर्सू पौड़ी गढ़वाल जिले में हैं।  खिर्सू की यात्रा के दौरान आप पौड़ी का प्रसिद्ध कंडोलिया मंदिर और कंडोलिया पार्क का आनंद ले सकते हैं।

इसके साथ ही आप खिर्सू  से  हिमालय की नैसर्गिक छटा का मनमोहक दर्शन कर सकते हैं।  यहाँ से त्रिशूल, नंदा देवी, नंदाकोट, चौखम्बा और पंचाचूली चोटियों के साथ कई अन्य हिमालयी चोटियों का दर्शन कर सकते हैं। खिर्सू की शांत वादियों में आप एकांत समय बिता कर अपने मन चित्त को शांत कर सकते हैं।

खिर्सू में देखने लायक स्थान –

  1. कंडोलिया मंदिर
  2. कंडोलिया थीम पार्क
  3. गगवाड़स्यून घाटी
  4. घड़ियाल देवता मंदिर
  5. देवल गढ़ मंदिर

आस पास देखने लायक –

धारी  देवी मंदिर
ज्वाला देवी मंदिर

खिर्सू में की जाने वाली गतिविधिया

प्रकृति दर्शन पक्षी विहार – खिर्सू में पाइन, ओक, और देवदार के घने जंगलों के रूप में प्राकृतिक सुंदरता बिखरी हुई हैं। यहाँ की रमणीय प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के साथ, आप यहाँ विभिन्न प्रकार के पक्षियों की प्रजातियों का दर्शन कर सकते हैं।

ग्राम पर्यटन – खिर्सू उत्तराखंड के छिपे हुए गहनों में से एक है। खिर्सू में प्राकृतिक सुंदरता के साथ आप शांत वादियों में ग्राम पर्यटन का आनंद ले सकते हैं।

खिर्सू कब जाएँ और कैसे जाएँ

यह  उत्तराखंड जाने के लिए साल भर अनुकूल है। बस बरसात और जाड़ों के मौसम में ऐतिहात, पूर्व मोसम विभाग का अध्ययन करके खिर्सू के लिए निकले। खिर्सू जाने से पहले, कोरोना से सम्बन्धित, उत्तराखंड सरकार के आवश्यक दिशा निर्देशों का पालन सुनिश्चित कर लें।

खिर्सू  जाने के लिए निकटम रेलवे स्टेशन देहरादून या हरिद्वार का पड़ेगा। खिर्सू का निकटतम हवाई अड्डा जौली ग्रांट हवाई अड्डा है, जो खिर्सू से लगभग 145 किलोमीटर दूर है। खिर्सू सड़क मार्ग से जाने के लिए बया ऋषिकेश जा सकते हैं। खिर्सू  दिल्ली से लगभग 330 किलोमीटर दुरी पर स्थित है।

उत्तराखंड में घूमने लायक प्रसिद्ध हिल स्टेशन, अल्मोड़ा

प्राकृतिक सौंदर्य में भव्यता समेटे, और औपनिवेशिक आकर्षण में डूबा, अल्मोड़ा के घोड़े की ,नाल के आकार का अनूठा विचित्र हिल स्टेशन, उत्तराखंड राज्य के एकदम अंदर एक ढलवां चोटी पर स्थित है। कुमाऊं हिमालय में बसे और कौशिकी (कोशी) और शाल्मली (सुयाल) नदियों से समृद्ध, अल्मोड़ा 1560 में, कुमाऊं क्षेत्र के राजवंश, चंदवंशीय राजाओं की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी।

औपनिवेशिक युग की इमारतों और पारंपरिक रूप से चित्रित लकड़ी की दुकानों के संयोजन वाला अल्मोड़ा एक आकर्षक स्थल है । जो अपनी विरासत को अपने दिल के करीब रखता है।

यह बात यहां मौजूद किलों, शाही दरबारों और ऐतिहासिक स्मारकों में परिलक्षित होती है। कुमाऊं चंदवंशीय और कत्यूरियों जैसे राजवंशों द्वारा निर्मित कई किलों का घर था। यहाँ की प्रसिद्ध बाल मिठाई विश्व प्रसिद्ध है। बाल मिठाई के साथ प्रसिद्ध सिगोरी मिठाई का आनंद भी ले सकते हैं। अल्मोड़ा को सांस्कृतिक नगरी भी कहा जाता है। अल्मोड़ा कुमाउनी संस्कृति की राजधानी मानी जाती है।

अल्मोड़ा में घूमने की जगह –

यहां  घूमने लायक भगवान शिव का जागेश्वर मंदिर है। यह मंदिर ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं वाला मंदिर है। यहाँ 7 से 12 वी शताब्दी के बीच बने 100 से अधिक मंदिरो का समूह है। जागेश्वर के बारे में अधिक जानकारी हेतु यहाँ क्लिक करें। अल्मोड़ा में कुमाऊं के लोक देवता, गोलू देवता का प्रसिद्ध मंदिर चितइ मंदिर है।

ऐसे सर्वोच न्यायलय, नाम से भी जाना जाता है। गोलू देवता को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। अल्मोड़ा बाजार में एक अलग सी सुगंध तैरती रहती है। और यह सुगंध और कुछ नहीं यहाँ की प्रसिद्ध मिठाई बाल मिठाई की सुगंध है। अल्मोड़ा जाये तो बॉल मिठाई का स्वाद के साथ सिगोड़ी मिठाई का स्वाद अवश्य लें।

अल्मोड़ा का विश्वप्रसिद्ध कसार देवी मंदिर

विश्व में अपनी अद्भुद रेडियो एक्टिव शक्ति के लिए प्रसिद्ध माँ कसार  देवी का मंदिर यहीं स्थित है।  जहा पहुंचकर थकावट का अहसास नहीं  होता और मन को अप्रतिम शांति मिलती है। अल्मोड़ा के निकट आध्यात्मिक शांति का प्रसिद्ध केंद्र डोल आश्रम भी स्थित है। यह आश्रम घने जंगल के बीच बसा है।

उत्तराखंड का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर, कटारमल सूर्य मंदिर की बनावट और वहां की नैसर्गिक सुंदरता को देख आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह पाओगे। उत्तराखंड अल्मोड़ा का बिनसर पर्यटक स्थल अपनी मनमोहक सुंदरता के साथ आप का मनमोहित करने के लिए तत्पर है। अभी हाल ही में, बॉलीवुड के रणवीर सिंह और उनकी पत्नी दीपिका पादुकोण यहाँ अपना कीमती समय बिता कर गए।

ब्राइट एंड कॉर्नर से उगते सूर्य का दृश्य –

ब्राइट एंड कार्नर से आप उगते और डूबता सूर्य के दर्शन कर सकते हैं।  इसके साथ ही प्राकृतिक नजारों से भरपूर जीरो पॉइंट  वन्य जीव अभ्यराण्य है। अल्मोड़ा जिले में ही रानीखेत हिल स्टेशन है। जहा गोल्फ ग्राउंड के साथ कई आकर्षक पर्यटन स्थल हैं।

अल्मोड़ा में ऐतहासिक नगरी मंदिरो का नगर द्वाराहाट स्थित है। द्वाराहाट के पास दुनागिरि का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। दुनागिरि मंदिर के पास भटकोट की ग़ैरहिमालयी चोटियों में पांडवखोली नामक पौराणिक रमणीय स्थान है।

अल्मोड़ा कब जाएँ और कैसे जाये –

यहां वर्षभर कभी भी जा सकते हैं। तथा अल्मोड़ा देश के सभी मार्गो से अच्छी तरह जुड़ा हुवा है। अल्मोड़ा का नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। निकटम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है। सड़क मार्ग से बया हल्द्वानी होकर अल्मोड़ा जा सकते हैं।

मुनस्‍यारी हिल स्टेशन:-

यह एक खूबसूरत पर्वतीय स्थल है। यह उत्‍तराखण्‍ड में जिला पिथौरागढ़ का सीमांत क्षेत्र है जो एक तरफ तिब्‍बत सीमा और दूसरी ओर नेपाल सीमा से लगा हुआ है। मुनस्‍यारी चारो ओर से पर्वतो से घिरा हुआ है। मुनस्‍यारी के सामने विशाल हिमालय पर्वत श्रंखला का विश्‍व प्रसिद्ध पंचचूली पर्वत (हिमालय की पांच चोटियां) जिसे किवदंतियो के अनुसार पांडवों के स्‍वर्गारोहण का प्रतीक माना जाता है।

बाई तरफ नन्‍दा देवी और त्रिशूल पर्वत, दाई तरफ डानाधार जो एक खूबसूरत पिकनिक स्‍पॉट भी है और पीछे की ओर खलिया टॉप है। एशिया का सबसे बड़ा ट्युलिप गार्डन भी यहीं हैं। हमारे एक लेख में मुनस्यारी के बारे में बिस्तृत जानकारी उपलब्ध है। मुनस्यारी के बारे में सम्पूर्ण जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

उत्तराखंड में घूमने के लिए खास रुद्रप्रयाग –

भगवान शिव (रुद्र) के नाम पर इसका नाम रखा गया है, रुद्रप्रयाग, अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के पवित्र संगम पर स्थित है। यह श्रीनगर (गढ़वाल) से 34 किमी की दूरी पर है। मंदाकिनी और अलकनंदा नदियों का संगम खुद का एक अनूठा सौंदर्य है और ऐसा लगता है कि दो बहनों ने एक दूसरे को गले लगाया हो ।

यह माना जाता है कि संगीत के रहस्यों को हासिल करने के लिए, नारद मुनि ने भगवान शिव की पूजा की, जो नारद को आशीर्वाद देने के लिए अपने रुद्र अवतार (अवतार) में उपस्थित थे। शिव और जगदम्बा मंदिर महान धार्मिक महत्व के मंदिर हैं।

उत्तराखंड में घूमने लायक विशेष है ,उत्तराखंड का मिनी कश्मीर -: पिथौरागढ़

मिनी कश्मीर के नाम से जाना जाने वाला जिला पिथौरागढ़ है. पिथौरागढ़ जिला उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल का एक बेहद खूबसूरत पर्वतीय क्षेत्र है। पिथौरागढ़ जिला तीन पड़ोसी देशों क्रमशः नेपाल, चाइना और तिब्बत के साथ अपनी सीमा साझा करता है।

पिथौरागढ़ जिला चारों ओर से उच्च पर्वतीय श्रेणियों से घिरा हुआ है, जो क्रमशः नन्दा देवी पर्वत , त्रिशूल पर्वत और राजरम्भा पचांचुली है। इसके साथ ही अन्य कई पर्वतो व ग्लेशियरों से घिरा पिथौरागढ़ अपनी सुंदरता की वजह से एक विख्यात पर्यटन स्थल भी है।

इसके साथ ही पिथौरागढ़ कैलाश पर्वत और मानसरोवर जाने वाले सभी तीर्थ यात्रींओ के लिए प्रवेश द्वार है। यहाँ डीडीहाट की खेचुवा मिठाई भी प्रसिद्ध है।यहाँ डीडीहाट की खेचुवा मिठाई भी प्रसिद्ध है।

उत्तराखंड में घूमने लायक

केदारकांठा ट्रेक उत्तराखंड में घूमने लायक लिए खास ट्रैक

केदारकंठ ट्रेक एडवेंचर से भरपूर ट्रेकिंग डेस्टिनेशन है। केदारकंठ ट्रेक उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गोविंद वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है। केदारकथा ट्रेक आपको विशाल पहाड़ों की ओर ले जाता है। ट्रेकिंग के यात्रा देहरादून से शुरू होती है, जहां से आप छोटे, लेकिन बहुत ही संकर्री गांव को देख सकते हैं।

इस घाटी में सर्दियों में बर्फ गिरती है,इस दौरान बर्फ से घिरे पहाड़ देखने में बेहद ही खूबसूरत नजर आते हैं। केदारकंठ ट्रेक 3800 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह अद्भुत ट्रेक ट्रेकर्स को एक शानदार अनुभव प्रदान करता है।केदारकंठ ट्रेक तक पहुँचने के लिए ट्रेकर्स को वन्यजीव अभयारण्य से होकर जाना होता है।

वन्यजीव अभयारण्य पार करने के बाद ट्रेकर्स जूदा पहुंचते हैं। जूदाजूदा का तालाब एक आकर्षक तालाब है, जोकि मैपल, ओक और मोरिंडा सप्रा हरियाली चराई से घिरा हुआ है। ट्रेकर्स चाहे तो यहां आराम आकर सकते हैं।

चौकड़ी उत्तराखंड में घूमने लायक खास हिल स्टेशन –

यदि आप नैनीताल, मंसूरी जैसी भीड़ भाड़ वाले हिल स्टेशनों से इतर कुछ शांत और लुभावने हिल स्टेशन की खोज में हैं, तो चौकड़ी उत्तराखंड में आपकी खोज खत्म हो सकती है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में बसा ये छोटा सा, सुंदर हिल स्टेशन, आस पास सुंदर वनसम्पदा से घिरा, हिमालय के पंचाचूली, नानंददेवी, नंन्दा कोट आदि पर्वत शिखरों के सुंदर दृश्य प्रदान करता है। असल मे यह एक सुंदर गाव हैं। चौकड़ी उत्तराखंड समुंद्रतल से लगभग 2010 की ऊंचाई पर स्थित है।

चौकड़ी उत्तराखंड, क्यों जाएं ?

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह एक कटोरे नुमा  छोटा सा गावँ है, जो कि हिमालय के बीचों बीच स्थित है। यह रमणीय गावँ प्रकृति की नैसर्गिक सुंदरता से विभूषित है। यहां आप प्राकृतिक सुंदरता, फलों के बाग, देवदार के वन, हिमालय की चोटियों का साक्षात्कार, विभिन्न प्रकार के पक्षियों के दर्शन कर सकते हैं। यहां कई प्रसिद्ध मंदिर भी हैं।

पिथौरागढ़ का प्रसिद्ध मंदिर मोस्टमानु यही है। इसके अलावा पौराणिक कथाओं के अनुसार बेरीनाग में आर्यों से पहले कालिया नाग के वंशज नागों का राज था। बाद में नागवंशजो ने अपने पूर्वजों के मंदिर स्थापित किये हैं। जो काफी शक्तिशाली और प्रसिद्ध मंदिर हैं।

इन प्रमुख मंदिरों में बेरीनाग मंदिर, धौलीनाग मंदिर, फेणीनाग मंदिर, पिंगलीनाग, कालीनाग, सुंदरीनाग हैं। चौकड़ी उत्तराखंड में आप प्रकृति दर्शन, ट्रेकिंग, ग्राम्य भर्मण तथा हिमालयी चोटियों का विहंगम दृश्य का आनंद ले सकते हैं।

चौकड़ी उत्तराखंड का चाय बागान :

यह उत्तराखंड के उन खास पहाड़ी क्षेत्रों में से एक है, जहाँ आप प्रकृतिक सुंदरता बिखेरे चाय बागान का दर्शन का आनंद ले सकते हैं। शुद्ध चाय की खुशबू को यहां महसूस कर सकते हैं। यह स्थान इतना सुरम्य है, कि आप यहां से वापस जाना भूल जाओगे।

चौकड़ी उत्तराखंड घूमने कैसे जाएं :

यहां उत्तराखंड आप ,हल्द्वानी से बया अल्मोड़ा होकर जा सकते हैं। पिथौरागढ़ का नैनी सैनी हवाई अड्डा नजदीकी हवाई अड्डा है। किंतु इसका अधिक सुविधाजनक हवाई अड्डा पंत नगर हवाई अड्डा है। और नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है। जहाँ से आप बस या कार से आसानी से पहुँच सकते हो। दिल्ली से चौकोड़ी उत्तराखंड लगभग 450 किलोमीटर दूर है।

चौकड़ी उत्तराखंड में रहने खाने की व्यवस्था :

यह उत्तराखंड, मंसूरी, नैनीताल जैसा प्रसिद्ध नही है। इसलिए वहां रहने की व्यवस्था सीमित है। वहां सीमित गेस्ट हाउस हैं। हालांकि उत्तराखंड सरकार की पहल से, दीनदयाल होमस्टे योजना से प्रेरित होकर, पहाड़ो में लोग धीरे धीरे, होमस्टे खोल रहे हैं।

वहाँ भी होमस्टे उपलब्ध हैं। इसके अलावा कुमाऊं मंडल विकास निगम का गेस्ट हाउस भी उपलब्ध है। चौकड़ी में उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजनों के साथ, उत्तर भारतीय व्यंजन व चाइनीज़ व्यंजन आसानी से उपलब्ध है।

मित्रों यदि आप उत्तराखंड में घूमने के लिए, नैनीताल, मंसूरी जैसी भीड़ भाड़ वाले पर्यटन स्थलों के अलावा कुछ नया ढूढ़ रहे हैं। तो उत्तराखंड के ये छुपे हुए पर्यटन स्थल आपकी उम्मीदों पर खरे उतरंगे। जहां आप कुछ नयेपन का अहसास ले सकते हैं।

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इस साइट के लेखक प्रमोद भाकुनी उत्तराखंड के निवासी है । इनको आसपास हो रही घटनाओ के बारे में और नवीनतम जानकारी को आप तक पहुंचना पसंद हैं।
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