Dol Aashram Almora Uttarakhand || Dol Aashram in hindi
डोल आश्रम ऊंचे-ऊँचे पहाड़ों के बीच तथा हरे भरे घने जंगलों के बीच में स्थित है। ताजी खुली हवा,हरे भरे विशाल पेड़ ,पक्षियों का मधुर कलरव तथा यहां का प्राकृतिक सौंदर्य ऐसा है कि हर किसी का मन मोह ले। प्रकृति की गोद में बसे डोल आश्रम में आने वाले लोगों के मन को एक अजीब सी शांति का अनुभव होता है। यहां आकर वो अपनी सारी परेशानियों को भूलकर डोल आश्रम व यहां की हरी-भरी वादियों के बीच खो जाते हैं। dol ashram Almora

यह जगह मन को बहुत सुकून और शांति प्रदान करती हैं। यहां आकर लोग अपने आप को एकदम तरोताजा तथा अपने अंदर एक नई सकारात्मक ऊर्जा को महसूस करते है।उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लॉक में स्थित यह आश्रम हमारी धनी प्राचीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति की जीती जागती मिसाल है। श्री कल्याणिका हिमालयन देवस्थानम न्यास कनरा-डोल (डोल आश्रम) नाम से जानी जाने वाली यह जगह अपने आप में अद्भुत और अनोखी है। यहां के मुख्य महंत बाबा कल्याण दास जी महाराज हैं।जिनके अनुसार यह सिर्फ एक मठ नहीं है।बल्कि इसको आध्यात्मिक व साधना केंद्र के रुप में विकसित किया जा रहा है।ताकि देश विदेश से आने वाले श्रद्धालु यहां पर बैठकर ध्यान व साधना कर सके।
आश्रम की विशेषता | features of dol ashram –
डोल आश्रम की विशेषता यह है की यहां पर 126 फुट ऊंचे तथा 150 मीटर व्यास के श्रीपीठम का निर्माण हुआ है। श्रीपीठम का निर्माण कार्य सन 2012 से शुरू हुआ था ।और अप्रैल 2018 में यह बनकर तैयार हो गया।इस श्रीपीठम में एक अष्ट धातु से निर्मित लगभग डेढ़ टन (150कुंतल) वजन और साढ़े तीन फुट ऊंचे श्रीयंत्र की स्थापना की गई हैं।
इस यंत्र की स्थापना के अनुष्ठान 18 अप्रैल 2018 से शुरू होकर 29 अप्रैल 2018 तक चले। इस यंत्र की स्थापना बड़े धूमधाम से की गई।यह विश्व का सबसे बड़ा व सबसे भारी श्रीयंत्र है। और यह आश्रम में मुख्य आकर्षण का केंद्र है ।वैदिक एवं आध्यात्मिक आस्था को एक साथ जोड़ने के लिए इस श्रीयंत्र की स्थापना की गई है।
श्री पीठम में लगभग 500 लोग एक साथ बैठ कर ध्यान लगा सकते हैं।डोल आश्रम में अनेक तरह की सुविधाओं उपलब्ध हैं ।आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रहने व खाने की सुविधा है।तथा यहां पर एक मेडिटेशन हाल भी है। तथा साथ ही साथ यह चिकित्सा सेवा भी उपलब्ध करा रहा है। जिसके तहत एक डिस्पेंसरी खोली गई है। प्रसव पीड़ित महिलाओं को तत्काल सेवा देने के लिए एक एंबुलेंस की सुविधा भी की गई है। dol ashram Almora
इस आश्रम में जनकल्याण कार्यो में विशेष ध्यान दिया जा रहा है ।आश्रम में विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा का ज्ञान दिया जाता है ।तथा उनको हमारी प्राचीन भारतीय सभ्यता व संस्कृति से रूबरू कराया जाता है। आश्रम में 12वीं कक्षा तक संचालित संस्कृत विद्यालय को पब्लिक स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है ।कई बच्चों को इस स्कूल में निशुल्क शिक्षा भी प्रदान की जा रही है ।यहां पर बच्चों को देव भाषा व हमारी संस्कृति की पहचान संस्कृत भाषा को सिखाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है ।लेकिन संस्कृत भाषा के साथ साथ बच्चों को कंप्यूटर व अंग्रेजी भाषा का भी अध्ययन कराया जाता है ।ताकि विद्यार्थी किसी से किसी भी क्षेत्र में पीछे न रह जाएं ।
यहां पर विद्यार्थियों को बेहद अनुशासित व संस्कारी ढंग से जीवन जीना सिखाया जाता है। आश्रम में शिक्षा से संबंधित कार्यों को विशेष बढ़ावा देकर इसे शिक्षा हब बनाने का प्रयास किया जा रहा है।डोल आश्रम जहां एक ओर हमारे ऋषि-मुनियों की संस्कृति को संजोए रखने का काम कर रहा है। वही साथ ही साथ आज की आधुनिक टेक्नोलॉजी व ज्ञान को भी अपना रहा है। यह आश्रम प्राचीन भारतीय संस्कृति व आधुनिक भारतीय संस्कृति के बीच में बेहतरीन तालमेल बिठाकर दिन प्रतिदिन उन्नति की ओर अग्रसर हो रहा है। (dol aashram Almora in hindi )
परम पूज्य गुरुजी के बारे में:
हिमालय के तपस्वी बाबा कल्याणदासजी ने बारह वर्ष की आयु में भारत के विभिन्न धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया। गंगा नदी के तट पर, सतगुरु (स्वर्गीय) बाबा स्वरूपदासजी महाराज, जिन्होंने उन्हें धर्म के उदासीन संप्रदाय के साथ दीक्षा दी। 25 से अधिक वर्षों के लिए पूज्य बाबाजी ने अपनी साधना के दौरान छत के नीचे नहीं छोड़ने का फैसला किया। तपस्वी बाबा कल्याणदासजी अमरकंटक (म.प्र।) भारत में कल्याण सेवा आश्रम ट्रस्ट के संस्थापक हैं। जहाँ पवित्र नदी नर्मदा की उत्पत्ति भगवान शिव के तपस्या से हुई है। साथी प्राणियों के प्रति प्रेम ने पूज्य बाबाजी को 40 वर्ष से अधिक की तपस्या के बाद वापस आने के लिए मजबूर किया और साथी प्राणियों को आंतरिक जागृति का दिव्य मार्ग दिखाया। उस समय तक कई लोग सच्चे योगी और साधिका की आभा से आकर्षित हो चुके थे। 1978 में लोगों को शिक्षित करने और अपने जीवन की दशा को उठाने के लिए भगवान राम और आचार्य शी चंद्रा की राह पर चलते हुए, बाबाजी ने कई जनजातियों के लिए पवित्र नदी नर्मदा का जन्मस्थान, अमरकंटक में एक प्राचीन तीर्थस्थल, श्री कल्याण सेवा आश्रम की स्थापना की। कैलाश मानसरोवर की अपनी दूसरी यात्रा के दौरान, पूज्य बाबाजी ने माँ भगवती (माँ देवी) के दर्शन किए और हिमालय में एक आश्रम शुरू करने के लिए प्रेरित हुए और पूज्य बाबाजी ने अल्मोड़ा के पास घने जंगल में श्री कल्याणिका हिमालय देव चरणम् की स्थापना की। dol aashram almora in hindi
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डोल आश्रम का इतिहास || History of Dol Ashram in hindi
डोल आश्रम की स्थापना 1990 में श्री परम योगी कल्याणदासजी द्वारा की गई थी, जिनका जन्म अल्मोड़ा जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। श्री परमा योगी कल्याणदासजी ने अपनी मानसरोवर यात्रा के दौरान माँ भगवती के दर्शन किए और हिमालय में एक आश्रम शुरू करने के लिए प्रेरित हुए। ( dol Ashram Almora in hindi )
डोल आश्रम में गतिविधियाँ | To Do in Dol Ashram-
योग और ध्यान
आध्यात्मिक ज्ञान
पंछी देखना
सुविधाएं
आवास
मेडिटेशन हॉल
पुस्तकालय
आश्रम आपको एक आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाता है, जहाँ योग और वेदांत के सिद्धांतों के आधार पर जीवन का अवलोकन किया जाता है। आश्रम एक दिनचर्या का पालन करता है जो आध्यात्मिक जीवन के लिए सर्वोच्च बाधा को समाप्त करता है यानी आलस्य (आलस्य)। आधुनिक जीवनशैली ने कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं जैसे बेचैनी, अवसाद, मोटापा को दूर किया है; चिंता आदि और इन स्थितियों को केवल गतिहीन जीवन शैली को बदलने से आसानी से बदला जा सकता है जिसकी हमें आदत है। आश्रम की दिनचर्या आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को भी विकसित करती है जो मानव को एक अलौकिक में बदल देती है। भगवान कृष्ण द्वारा प्रस्तावित निश्काम कर्म योग आश्रम के सभी निवासियों के लिए प्रेरणा का काम करता है।
आध्यात्मिक प्रवचन-
आश्रम विभिन्न आध्यात्मिक ग्रंथों जैसे गीता, उपनिषद, श्रीमद्भागवतम्, पतंजलि योग सूत्र आदि पर व्याख्यान देने के लिए प्रख्यात संतों और वक्ताओं के साथ आध्यात्मिक सत्र आयोजित करके ऐसा अवसर प्रदान करता है, जो साधकों की सबसे प्रभावी शैली को बताकर उनका मार्ग प्रशस्त करता है। साधना।
योग और ध्यान पाठ्यक्रम- आश्रम में हमने वेदांत, विपश्यना, पतंजलि दर्शन पर आधारित ध्यान और योग के कई पाठ्यक्रम किए।
सुविधाएं:
आवास: आश्रम उन साधकों और आगंतुकों को आवास और भोजन की सुविधा प्रदान करता है जो आश्रम की गतिविधियों में भाग लेना चाहते हैं। आश्रम गर्म पानी की सुविधा के साथ पूरी तरह से सुसज्जित डबल बेड प्रदान करता है। आश्रम में 120 लोगों की क्षमता वाला इन-हाउस मेस है। ( dol aashram Almora in hindi )
पुस्तकालय:
श्री चंद्राचार्य पुस्तकालय की स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी। पुस्तकालय में आध्यात्मिकता और विभिन्न विषयों पर विषयों को कवर करने वाली दस हजार से अधिक पुस्तकों का संग्रह है। यह न केवल आश्रम में रहने वाले छात्रों के शैक्षिक उद्देश्य को पूरा करता है बल्कि आगंतुकों और साधकों को भी लाभान्वित करता है। इसमें टीकाओं के साथ चारों वेदों का अनूठा संग्रह है।
मेडिटेशन हॉल:
परम को साकार करने की उनकी तलाश में हिमालय का शांत वातावरण एक साधक की मदद करता है। यह ध्यान में रखते हुए कि लगभग 300 लोगों की क्षमता के साथ एक ध्यान हॉल का निर्माण वर्ष 2006 में ध्यान-तंत्र की साधना के लिए किया गया था- ध्यान प्रेशिका – पूज्य बाबाजी द्वारा वर्षों की तपस्या और साधना के दौरान विकसित की गई एक प्राचीन ध्यान-तकनीक। स्नो-क्लेड हिमालयन पर्वत श्रृंखला हॉल से स्पष्ट रूप से दिखाई देती है जो अनुभव को सार्थक बनाती है।
डोल आश्रम कैसे जाएं
डोल आश्रम अल्मोड़ा से 52 किमी और भीमताल से 42 किमी सड़क पर है जो भीमताल से लोहाघाट-अल्मोड़ा रोड को जोड़ता है।
सड़क मार्ग से – आनंद विहार दिल्ली से बस द्वारा हल्द्वानी पहुंचा जा सकता है। हल्द्वानी में साझा और निजी टैक्सियाँ उपलब्ध हैं। हल्द्वानी, डीएल आश्रम से 70 किमी दूर है।
ट्रेन द्वारा– निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है जो डोल आश्रम से 64 किमी दूर है।
हवाई मार्ग से– निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है जो डोल आश्रम से 97 किमी दूर है।
……..धन्यवाद।
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