Saturday, April 12, 2025
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सरस्वती चौकी ऐपण और छोलिया नृत्य आज कर्तव्य पथ पर बढ़ाएंगे उत्तराखंड की शान

आज 26 जनवरी 2023 गणतंत्र दिवस परेड में कर्तव्य पथ पर देवभूमि उत्तराखण्ड की मानसखण्ड झांकी नजर आएगी। मानसखण्ड झांकी में प्रसिद्ध जागेश्वर धाम, कार्बेट नेशनल पार्क में विचरण करने वाले पशु पक्षियों के साथ उत्तराखंड की प्रसिद्ध ‘ऐपण’ कला से बनी सरस्वती चौकी ऐपण चार चांद लगाएगी।

जैसा कि हम सबको पता है, उत्तराखंड में मानसखंड कुमाऊं मंडल के भाग को बोला जाता है। जागेश्वर धाम भगवान शिव को समर्पित मानसखंड (कुमाऊ उत्तराखंड) का सुप्रसिद्ध धाम है, कहते हैं इस धाम को कत्यूरियों ने एक रात में निर्मित किया था।

कार्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड के सबसे बड़े पार्कों में से एक है। वही छोलिया नृत्य उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोक नृत्य है। कहते प्राचीन काल मे उत्तराखंड के राजाओं ने अपने युद्धभूमि के युद्ध कौशल व विजयोत्सव के लिए आविष्कृत किया गया यह नृत्य ,वर्तमान में उत्तराखंड की संस्कृति का अभिन्न अंग है।

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ऐपण कला उत्तराखंड के मानसखंड की लोक कला है। जिसे वर्तमान में कई युवा साथी अपने अथक परिश्रम से संवार रहे है। इन्ही में एक नाम है मिनाक्षी खाती जिन्हें ऐपण गर्ल के नाम से भी जाना जाता है। मानसखंड झांकी में उन्हीं की टीम द्वारा निर्मित सरस्वती चौकी ऐपण का प्रदर्शन होगा । जो उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय है और युवाओं के लिए प्रेणादायक है।

सरस्वती चौकी ऐपण क्या है –

उत्तराखंड में नामकरण, जनेऊ संस्कार, तथा बसंत पंचमी पर सरस्वती चौकी ऐपण का निर्माण किया जाता है। इस चौकी का निर्माण मुख्यतः धरातल पर किया जाता है। कुछ स्थितियों में चौकी पर भी इसका निर्माण होता है। सरस्वती चौकी ऐपण का नौ बिन्दुओं द्वारा निर्माण होता है। इन बिन्दुओं को रेखा द्वारा इस प्रकार जोड़ा जाता है कि आठ भद्र स्वरुप बनते हैं। यह आलेखन सरस्वती चौकी ऐपण अथवा अष्टदल कंवल कहलाती है। इसको बनाने के बाद ही इस ऐपण के ऊपर देवताओं को स्थपित किया जाता है। एक तारा स्वरूप का निर्माण किया जाता है। इसमें पांच कोण होते हैं। इसे स्वस्तिक यंत्र, पंच शिखा या पंचानन भी कहा जाता है। यह चिन्ह संसार की संरचना का सूचक है। सरस्वती चौकी ऐपण के पांच कोण पांच तत्वों, पृथ्वी, जल, आकाश, वायु, अग्नि के द्योतक हैं।

सरस्वती चौकी ऐपण
सरस्वती चौकी ऐपण फ़ोटो साभार मीनाकृति ऐपण प्रोजेक्ट
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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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