देहरादून: उत्तराखंड में प्रॉपर्टी बाजार में जल्द ही एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। राज्य सरकार जमीन की सर्किल दरों में भारी वृद्धि करने की तैयारी में है, जिसका सीधा असर जमीन की कीमतों पर पड़ेगा। अनुमान है कि नई दरें लगभग 26 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। यह वृद्धि ऐसे समय में होने जा रही है जब पहले से ही महंगाई आम आदमी की कमर तोड़ रही है। ऐसे में जमीन की कीमतों में यह उछाल आम लोगों के लिए घर खरीदना और भी मुश्किल बना सकता है। इस लेख में हम जानेंगे कि इस संभावित वृद्धि के पीछे क्या कारण हैं और सर्किल दरों को संशोधित करने की प्रक्रिया क्या होती है।
उत्तराखंड सरकार द्वारा सर्किल दरों को संशोधित करने का यह निर्णय नियमों के तहत लिया जा रहा है। दरअसल, नियमों में हर साल सर्किल दरों का पुनर्मूल्यांकन करने और उन्हें बाजार की मौजूदा कीमतों के अनुरूप बनाने का प्रावधान है। हालांकि, पिछले दो वर्षों से राज्य में यह प्रक्रिया लंबित थी। इसके पीछे कई कारण माने जा रहे हैं, जिनमें प्रशासनिक व्यस्तता और राजनीतिक परिस्थितियां प्रमुख हैं। वित्त विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष से ही नई दरों को निर्धारित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसके लिए राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारियों से उनके क्षेत्रों में जमीन की कीमतों को लेकर विस्तृत रिपोर्ट और प्रस्ताव मांगे गए थे। इन प्रस्तावों में जमीनों की मौजूदा बाजार दरें, पिछले कुछ वर्षों में हुई मूल्य वृद्धि और भविष्य में संभावित वृद्धि जैसे कारकों को शामिल किया गया था।
जिलाधिकारियों से मिले प्रस्तावों के आधार पर वित्त विभाग ने कई दौर की आंतरिक चर्चाएं कीं। इन चर्चाओं में विभिन्न प्रकार की जमीनों, जैसे कृषि भूमि, आवासीय भूमि और व्यावसायिक भूमि, के लिए अलग-अलग दरों को लेकर विचार-विमर्श किया गया। यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई कि नई दरें न तो इतनी अधिक हों कि आम आदमी के लिए जमीन खरीदना असंभव हो जाए और न ही इतनी कम हों कि सरकार को राजस्व का नुकसान हो। इस पूरी प्रक्रिया में आर्थिक विशेषज्ञों और राजस्व विभाग के अधिकारियों की भी राय ली गई।
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हालांकि, इस प्रक्रिया में देरी भी हुई। माना जाता है कि पिछले कुछ समय में राज्य में हुए विधानसभा के उपचुनाव और फिर निकाय चुनावों के कारण सरकार इस मुद्दे पर कोई बड़ा फैसला लेने से बच रही थी। सरकार शायद यह मानती थी कि चुनाव के दौरान सर्किल दरों में वृद्धि करने से जनता में नकारात्मक संदेश जा सकता है। लेकिन अब, जब चुनाव प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, तो वित्त विभाग इस लंबित कार्य को पूरा करने में जुट गया है।
सर्किल दरों में इस बार जो भारी वृद्धि संभावित है, उसके पीछे मुख्य रूप से दो कारण माने जा रहे हैं। पहला कारण है पिछले दो वर्षों से दरों में कोई संशोधन न होना। सामान्य तौर पर, राज्य की अर्थव्यवस्था की विकास दर, जिसे जीडीपी कहा जाता है, को ध्यान में रखते हुए हर साल लगभग आठ फीसदी की वृद्धि संभावित होती है। चूंकि पिछले दो वर्षों से यह वृद्धि नहीं हुई है, इसलिए इस बार सीधे 16 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है। दूसरा महत्वपूर्ण कारण है महंगाई दर। पिछले दो वर्षों में देश में महंगाई भी काफी बढ़ी है, जिसका असर जमीन की कीमतों पर भी पड़ा है। अनुमान है कि महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए लगभग पांच फीसदी की अतिरिक्त वृद्धि की जा सकती है। इस प्रकार, जीडीपी की संभावित वृद्धि और महंगाई दर को मिलाकर सर्किल दरों में कुल मिलाकर लगभग 26 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
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फिलहाल, वित्त विभाग ने अपना प्रस्ताव तैयार करके उच्च स्तर पर भेज दिया है। अब मुख्यमंत्री कार्यालय से इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगने का इंतजार है। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में सरकार इस पर अपना अनुमोदन दे देगी और उसके तुरंत बाद वित्त विभाग नई सर्किल दरों की आधिकारिक घोषणा कर देगा। इस घोषणा के बाद उत्तराखंड में जमीन की कीमतों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा, जिसका असर न केवल खरीदारों पर बल्कि विक्रेताओं और रियल एस्टेट डेवलपर्स पर भी पड़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस वृद्धि को किस प्रकार लागू करती है और इसका बाजार पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।