उत्तराखंड अपनी समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं के साथ स्वादिष्ट भोजन के लिए प्रसिद्ध है। आज इस लेख में कुछ ऐसे उत्तराखंड के प्रसिद्ध भोजन की चर्चा करेंगे ,जिनका स्वाद आप कभी नहीं भूल सकते हैं।
Table of Contents
उत्तराखंड के प्रसिद्ध भोजन की सूची कुछ इस प्रकार है –
-
- मडुए की रोटी
- झंगोरा की खीर
- कंडाली का साग
- लिंगुड़ा की सब्जी
- गहत के फाणू
- चैंस या चैसुवा
- भट्ट के डुबुक
- भट्ट की चुरकानी
- कुमाऊँनी रायता
- छंछ्या
मंडुए की रोटी –
रागी अनाज को उत्तराखंड के कुमाऊँ मंडल में मडुवा कहते हैं। और गढ़वाल मंडल में कोदा कहा जाता है। उत्तराखंड में यह अनाज बहुताय होता है। गेहू के आटे के साथ मिलकर या मडुवे की रोटियां उत्तराखंड के कुमाऊँ और गढ़वाल मंडल में काफी पसंद किये जाते हैं। मडुवा विटामिन और पोषक तत्वों से भरपूर अनाज माना जाता है।
उत्तराखंड का प्रसिद्ध भोजन झंगोरा की खीर –
झंगोरा पहाड़ो में उगने वाला मोटा अनाज है। झंगोरा काफी पौस्टिक और स्वास्थ्यवर्धक होता है। उत्तराखंड के पहाड़ो के निवासी झंगोरा काफी पसंद करते हैं। झंगोरे को भात के रूप मे भी बनाते हैं। इसके अलावा झंगोरे की खीर लोग काफी पसंद करते हैं। इसमे भरपूर विटामिन,होते हैं। यह खीर कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन से भरपूर होती है।
कडाली या सिसूण की सब्जी-:
पहाड़ो में एक औषधीय वनस्पति होती है, जिसे कुमाँऊ मे सिसूण और गढ़वाल में कंडाली कहते हैं। शरीर पर झनझनाहट उत्पन्न करने वाला यह पौधा औषधीय रूप से काफी स्वास्थ्यवर्धक होता है। पहाड़ो में जाड़ो के मौसम मे इसकी स्वादिष्ट सब्जी बनाई जाती हैं।
लिगुंड़ा की सब्जी –
उत्तराखंड के पहाड़ो मे एक से बढ़कर एक औषधीय वनस्पतियां हैं। जिनमे से कई वनस्पतियों का प्रयोग पहाड़वासी सब्जियों के रूप मे करते हैं। उनमे से एक सब्जी है लिगड़ा की सब्जी । हिमालयी पहाड़ों में फर्म के रूप मे पायी जाने वाली ये सब्जी काफी स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट होती है। स्वास्थ्य विज्ञानियों के अनुसार लिगंडा मे कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, प्रोटीन फाईबर आदी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। पढ़िए –प्रकृति ने उत्तराखंड को वरदान में दी है, ये प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक वनस्पति
गहत की गब्वानी या गहत का फाणू –
उत्तराखंड के पहाडी क्षेत्रों मे गहत दाल काफी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। पहाड़वासी इस दाल को काफी पसन्द करते हैं। यह दाल पथरी रोग के लिए लाभदायक मानी जाती है। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में दाल भिगोकर पीसकर बनाए हुए व्यंजन को फाणू कहते हैं। और गहत की दाल पीसकर बनाए हुए व्यजन को गथवानी कहते हैं। इसमें दाल को पीसा जाता है।
चैंस या चौंसा :
यह गढ़वाल के फाणू की तरह बनाया जाने वाला भोजन होता है। कुमांऊ में इसे पैसा या चौसा कहा जाता है। इससे दाल को दर-दरा पीस कर बनाया जाता है ।
भट्ट के दुबके , उत्तराखंड का प्रसिद्ध भोजन –
पहाड़ो में काळा सोयाबीन दाल को भट्ट कहा जाता है। इन्हे भिगोकर पीस कर चावल के साथ पकाकर बनाया जाता है। पहाड़ के पीसी नमक के साथ खाया जाता है।
भट्ट की चुड़कानी –
काले सोयाबीन का एक और व्यजन बनाया जाता है।जिसे भट्ट की चुरकानी कहा जाता है। प्रोटीन और विटामीन से भरपूर यह व्यजन काफी स्वादिष्ट होता है। यह व्यंजन चावल के साथ खाया जाता है। भट्ट की चुरकानी दाल का एक अच्छा विकल्प है। इस व्यंजन को बनाने के लिए सर्वप्रथम भट्टों को गर्म तेल मे चटका लिया जाता है। फिर बेसन के साथ मसाले भून कर पका लेते हैं। चावल के साथ परोस कर नीबू के साथ सर्व करने पर इसका स्वाद दुगुना हो जाता है।
कुमाऊनी रायता -:
रायता तो सब जगह बनाया जाता है, और लगभग सभी लोग गर्मीयों में रायते को काफी पसंद करते हैं। लेकिन उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में यह व्यंजन कुछ अलग तरीके से बनाया जाता है। और इसका स्वाद बड़ा ही लाजवाब रहता है। यह उत्तराखंड का प्रसिद्ध भोजन है। उत्तराखंड के कुमांऊ मंडल मे इसे पहाड़ी खीरा (ककड़ी) में छांस के क्रीम से बनाया जाता है। छाँस का क्रीम उपलब्ध न होने की स्थिति में इसमें दही का प्रयोग होता है।
इसके अलावा इसमे यूनीक स्वाद लाने के लिए देसी राई पीस कर डाली जाती है। जिससे इसमे एक अलग स्वाद आता है। कुमाऊनी रायते में राई डालने से इसने एक अलग सी सनसनाहट आ जाती है। जो अपने आप में एक अलग अहसास दिलाता है। कुमाउनी रायता उत्तराखंड के प्रसिद्ध भोजनों में एक है। कुमाऊनी रायता , सीखिए अनोखे पहाड़ी रायता बनाने की विधि।
छांस्या , छांछेड़ो, काफूली -:
उत्तराखंड का यह पारम्परिक भोजन कुमांऊ और गढ़वाल दोनो मंडलो मे बनाया जाता है। यह उत्तराखंड का प्रसिद्ध भोजन है। यह पहाड़ का परम्परिक व्यंजन है ,जो अब लगभग विलुप्तप्राय है। गढ़वाल में इसे छांस में झंगोरा पकाकर बनाया जाता है। और मसाला नमक ( पिसा नमक ) के साथ खाया जाता है। कुमाऊँ में झंगोरा छांस के साथ -साथ ,चावल और छांस पकाकर भी बनाया जाता है। छस्या ,के बारे में विस्तार से पढ़े। यहाँ क्लिक करें।
हमारे फेसबुक पेज से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।