Thursday, May 15, 2025
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नारायणकाली मंदिर समूह अल्मोड़ा | उत्तराखंड अल्मोड़ा की एक और ऐतिहासिक धरोहर।

नारायणकाली मंदिर समूह अल्मोड़ा :-

उत्तराखंड के ऐतिहासिक स्मारकों ,मंदिरों में उत्तराखंड अल्मोड़ा में स्थित यह मंदिर समूह अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 13 किलोमीटर दूर नारायणकाली नामक गांव में ” काकड़ी गधेरे ” के दक्षिण तट पर निर्मित छोटे बड़े 52 मंदिरों का एक समूह है। यहाँ नारायण ,काली ,शिव मंदिरों का प्रधान्य होने के कारण यहाँ का नाम नारायणकाली मंदिर समूह रखा गया है।

यहाँ सम्प्रति मंदिर भगवान् शिव का है। नारायणकाली मंदिर पक्षिम में शिव का छोटा मंदिर है जिसे पशुपतिनाथ का मंदिर कहा जाता है। जैसा की इसके नाम से आभासित होता है यहाँ का प्रमुख मंदिर माँ काली का मंदिर है जिसका जीर्णोद्वार हाल ही में हुवा है। इसके उत्तरक्षेत्र में भगवान् विष्णु का एक मंदिर है ,जिसके गर्भगृह में भगवान् विष्णु की मूर्ति है। स्थापना शैली के आधार पर यह मंदिर समूह नवी या दसवी शताब्दी के आस पास बना लगता है।

नारायणकाली मंदिर

नारायणकाली मंदिर समूह में शिव और विष्णु की मूर्तियों के अलावा यहाँ शिव -पार्वती ,नंदा -पार्वती ,लकुशीश ,कार्तिकेय ,गणेश को तथा एक मातृका पट्ट में वैष्णवी ,वाराही और इन्द्राणी को तथा एक अन्य मातृका पट्ट में चामुंडा व् नरसिंघी देवी को उत्कीर्ण किया गया है। भगवान् शिव से संबंधित इन छोटे मंदिरों में भगवान् शिव के एकमुखी , चतुर्मुखी शिवलिंगो के अलावा एक शिवलिंग ऐसा भी है ,जिसका ऊपरी भाग तो निष्फल लिंग की तरह है। और निचे चौकोर भाग में आसन लिए हुए भगवान् गणेश को बनाया गया है। वर्तमान में नारायण काली मंदिर पुरात्तव विभाग के अधीन है।

नारायणकाली मंदिर

उत्तराखंड में कुमाऊँ और गढ़वाल में कई ऐसे ऐतिहासिक मंदिर,क्षेत्र और ऐतिहासिक स्मारक हैं जिनका संरक्षण आवश्यक है। जरुरी नहीं की सरकार ही इनके संरक्षण में आगे आये ,स्थानीय लोगो को भी आगे आना चाहिए। हालाँकि उत्तराखंड की लगभग सभी ऐतिहासिक धरोहरों को पुरातत्व विभाग ने अपने अधीन लिया है। लेकिन फिर भी स्थानीय लोगों को इन धरोहरों की अक्षुणता के लिए समय समय पर इनका ध्यान रखना चाहिए और इन्हे पिकनिक स्पॉट बनने से रोकना चाहिए।

संदर्भ – प्रो DD शर्मा उत्तराखंड ज्ञानकोष। 

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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