Home संस्कृति लोकगीत मेरी छैला वे मेरी छबीली, गोपाल बाबू गोस्वामी का गीत के बोल...

मेरी छैला वे मेरी छबीली, गोपाल बाबू गोस्वामी का गीत के बोल और उससे जुडा किस्सा

0
मेरी छैला वे मेरी छबीली
मेरी छैला वे मेरी छबीली
मेरी छैला वे मेरी छबीली

मेरी छैला वे मेरी छबीली गोपाल बाबू गोस्वामी जी का वह प्रसिद्ध गीत था ,जिस पे बॉलीवुड की फेमस अभिनेत्री ने कोर्ट केस कर दिया था। आइये दोस्तों पहले इस गीत के लिरिक्स और वीडियो देख लेते हैं ,फिर उस रोचक वाकये पर बात करेंगे।

छैला वे मेरी छबीली गीत लिरिक्स

अरे छैला वे मेरी छबीली। ….ओ मधुली ईजा ..
अरे छैला वे मेरी छबीली, ओ मेरी हेमा मालिनी। .
अरे आखि तेरी काई काई काई , नशीली हाई ,हाई हाई। .
अरे आखि तेरी काई काई काई , नशीली हाई ,हाई हाई -२
ओ मेरी छैला छबीली ,मेरी हेमा मालिनी   ………
अरे छैला वे मेरी छबीली, ओ मेरी हेमा मालिनी।
आखि तेरी काई ,काई, काई ,नशीली हाई हाई हाई।
धरती आज ऐगे आकाशे जूना। -2
रूप गगरी जॉस होसिया बाना। -2
फर फरा निशान जैसी की थान कसी। -2
रसीली आम जैसी ,मिश्री डई डई डई-2
हाइवे हिटणो तेरो ,हाइवे मिजाता।-2
कमरा पतई तेरी हाई रे लटका -2
पुसे पलंग जसि ,दांती की खोड़ा कसी -2
चमकी रे सुवा मेरी , कांसे की थाई, थाई, थाई  ……-2
खिली रे गुलाब कासी ,सोलहवा साल में -2
खिली रे गदुआ जैसी ,भरी जवानी चाल में।
चंदा चकोर मेरी हाई वे कठकोर मेरी -2
आखि तेरी काई काई काई ,नशीली हाई हाई हाई।
अरे छैला वे मेरी छबीली, ओ मेरी हेमा मालिनी। .
अरे आखि तेरी काई काई काई , नशीली हाई ,हाई हाई।

ओ मेरी हेमा मालिनी कुमाउनी गीत के बारे में -:

मित्रो यह गीत कुमाऊं के सुप्रसिद्ध गीतकार ,गायक स्वर्गीय श्री गोपाल बाबू गोस्वामी  जी द्वारा रचित है। शृंगार रस में डूबे इस प्रसिद्ध गीत में गोस्वामी जी ने अपनी धर्मपत्नी/ नायिका  की तारीफ  की है। उन्होंने अपनी पत्नी की कल्पना तत्कालीन प्रसिद्ध अभिनेत्री हेमा मालिनी से की है। कहते है की इस गीत को सुनने के बाद ,बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री हेमा मालिनी ने उन पर केस कर दिया था। और बाद में वह केस सुलझ गया था।अभिनेत्री ने गीत में अपना नाम प्रयोग की वजह उनपे केस कर दिया था ।

आज से चालीस साल पहले ,जब संचार के साधन अच्छे नहीं थे। आज की तरह सोशल मिडिया नहीं था ,केवल रेडिओ चलता था। तब भी एक कुमाउनी गीत बॉलीवुड की अभिनेत्री के कानों तक पहुँच गया। और आजकल के गीतों का पता ही नहीं चलता कि कब रिलीज हुए और कब गायब हो गए। जबकि आजकल संचार और सोशल मीडिया के मजबूत साधन हैं। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि  पुराने कुमाउनी गीतों में क्या मिठास और शुद्धता होती थी। कुछ पारम्परिक लोकगायकों को छोड़ कर आजकल लोकगीतों के नाम पर निम्न कोटि की गुणवत्ता के गीतों का चलन बढ़ गया है।

इसे भी पढ़े: कोसी नदी को लोककथाओं में भी गुस्सेल नदी कहा गया, पढ़िए कोसी नदी कि लोक कथा।

स्व गोपाल बाबू गोस्वामी जी नारी ह्रदय को समझने वाले सबसे प्रसिद्ध लेखक और गायक थे। नारी वेदना, नारी के विरह और नारी की सुंदरता पर उन्होनें कई प्रसिद्ध गीतों की रचना की है। यह में भी गीत नायिका की सुंदरता का वर्णन करते हुए उसकी तुलना हिंदी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री श्रीमती हेमा मालिनी जी से की गई है।

Exit mobile version