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पहाड़ी तड़का जम्बू गंदरायणी –
उत्तराखंड अपने विशेष खान पान के साथ साथ अपने ठेठ पहाड़ी तड़के के लिए प्रसिद्ध है। उत्तराखंड में जख़्या , काला जीरा, जम्बू , गंदरायण का पहाड़ी तड़का बहुत ही प्रसिद्ध है। मगर आजकल हम पहाड़ी अपने पारम्परिक पहाड़ी खान पान और पहाड़ी तड़के को भूल गए हैं। आज इस लेख मेंं उत्तराखंड के विलुप्त होते हुए 2 मसाले जम्बू और गंदरायणी के बारे चर्चा करंगे ।
जम्बू मसाला
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में एक खास मसाला प्रयोग किया जाता है। इस विशेष मसाले या तड़का मसाला का नाम है , जम्बू मसाला यह मसाला भारत के हिमालयी राज्यों में अधिक प्रयोग किया जाता है। और उत्तराखंड का यह पारम्परिक तड़का मसाला है। जम्बू हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला पौधा है। जम्बू का पौधा , प्याज या लहसून के पौधे जैसा होता है। इस पौधे का वानस्पतिक नाम allium stracheyi है। यह पौधा 10,000 फ़ीट से अधिक उचाई पर पैदा होता है।
इसकी खुश्बुदार पत्तियां सुखाकर जायकेदार मसाले तथा औषधि के रूप में प्रयोग की जाती हैं। इसके पौधे के ऊपरी भाग को बिन कर सूखा कर रख लिया जाता है। और इसी को मसाले के रूप में प्रयोग करते हैं।
जम्बू मसाले के प्रयोग
जम्बू मसाला उत्तराखंड का दिव्य सुगन्धित मसाला है। वैसे तो यह उच्च हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगता है। आजकल कुछ लोग उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इसको उगाने लगे हैं। मुख्य तः इसके निम्न प्रयोग हैं।
औषधीय प्रयोग –
जम्बू मसाला एक दिव्य औषधीय मसाला है। जम्बू बुखार, गीली खाँसी , और पेटदर्द के लिए लाभदायक बताई जाती है। यह औषधि बुखार के लिए अधिक कारगर बताई जाती है।
जम्बू का दिव्य सुगन्धित तड़के के रूप में प्रयोग-
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इसका प्रयोग खाद्य पदार्थों में तड़के के रूप में किया जाता है। अपनी दिव्य सुगंध से जम्बू किसी भी साधारण भोजन में अलौकिक स्वाद भर देता है।
इसका प्रयोग दाल,सब्जी, मीट और पहाड़ी ककड़ी के रायते और पहाड़ी मूली के रायते में तड़के के रूप में किया जाता है। इसके तड़के से पहाड़ी व्यंजन दिव्य सुगंध के साथ पौष्टिक बन जाते हैं।
गंदरायण उत्तराखंड का एक और दिव्य सुगंधित मसाला –
उत्तराखंड के पारम्परिक दिव्य एवं सुगन्धित मसालों में जम्बू मसाले के साथ गन्दरायण मसाले का नाम प्रमुखता से आता है। या यूं कहें जम्बू गन्दरायणी दो उत्तराखंड के जोड़ी दार मसाले हैं।
गंदरायण, गंदरायणी, गंदरायन , गंदरेनी तथा छिप्पी आदि नामों से जाने वाला दिव्य सुगन्धित मसाला उत्तराखंड के उच्च पर्वतीय एवं हिमालयी राज्यों में पाया जाता है। हिमांचल में इसे चमचौरा या चौरू कहते हैं। आयुर्वेद में इसे चोरक कहा जाता है। और कश्मीर में इसे चोहारे कहते हैं। अंग्रेजी में इसे Angelica कहते हैं। और व्यापारिक भाषा मे इसे himalyan Angelica कहते हैं। apiaceae वनस्पति वर्ग के इस पौधे का वानस्पतिक नाम Angelica Glauca है।
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गंदरायण, गंदरायणी, 2000 से 3600 मीटर की उचाई में बलुई मिट्टी में प्राकृतिक रूप से उगता है। इसका पौधा लगभग 2 मीटर ऊँचाई तक का होता है। इसकी जड़ो को सुखाकर इसका प्रयोग मसालों के रूप में तथा औषधीय रूप में किया जाता हैं।
गंदरायण या गंदरायणी के लाभ या उपयोग –
गंदरायण एक दिव्य सुगन्धित मसाला एवं औषधि है। इसका प्रयोग दवाई के रूप में तथा मसलों के रूप दोनो में किया जाता है।
गंदरायण का दवाई के रूप में उपयोग –
दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में औषधि उपलब्ध नही होती तो, वहाँ गंदरायण की जड़ो का प्रयोग दवा के रूप में किया जाता है।
- इसकी जड़ो को पीसकर पानी के साथ पीने से पेटदर्द में लाभ होता है। विशेषकर बच्चों के पेटदर्द के लिए इसीका प्रयोग किया जाता है।
- यह सिरदर्द , बुखार और टाइफाइड के लिए बेहद लाभदायक औषधि मानी जाती है।
- गाय भैंस की दुग्ध क्षमता बढ़ाने के लिए भी उन्हें गंदरायण, गंदरायणी, गंदरायन का सेवन कराया जाता है।
- गंदरायण पाचन, एसिडिटी में लाभदायक होने के साथ, लीवर मजबूत करता है।
- इसके जड़ो और बीजों का तेल निकाल कर प्रयोग किया जाता है। जो स्वास्थ्य के लिए अनेको प्रकार से लाभदायक होता है। अंतराष्ट्रीय ऑनलाईन बाजार में गंद्राणी के जड़ो का तेल एवं बीज का तेल एंजेलिका रुट आयल या एंजेलिका सीड्स आयल के नाम से मिलता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी भारी मांग और अच्छी कीमत है।
सुगन्धित मसाले के रूप में गंदरायण का प्रयोग –
पहाड़ो में गंदरायणी का प्रयोग दिव्य सुगन्धित मसाले के रूप में किया जाता है। गंदरायणी के तड़के से पहाड़ी खान पान दिव्य अलौकिक सुगंध व स्वाद से भर जाता है।
- भट्ट के डुबुक , गहत के डुबुक फाणु में गंदरायणी केे तड़के से अलग ही रंगत आ जाती है।
- गंदरायणी के साथ जम्बू के मिक्स तड़के से पहाड़ी ककड़ी का रायता और पहाड़ी मूली का रायता और पहाड़ी अरबी का रायता। अपना असली स्वाद देते हैं।
- कढ़ी ( प्लयो भात ) और राजमा में भी इसका तड़का आनन्द प्रदान करता है।
दिव्य पहाड़ी तड़का जम्बू और गंदरायणी का आर्थिक महत्व
जम्बू और गंदरायणी पहाड़ी तड़का होने के साथ , एक दिव्य औषधि भी है।अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन दोनों मसालों की बहुत अच्छी कीमत है। और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी बहुत अच्छी मांग है। गंदरायणी की कीमत लगभग 5000 से 16000 तक है।
दुर्भाग्य की बात है कि , दिव्य गुणों एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी मांग होने के कारण भी जम्बू और गंदरायणी को लोग पारम्परिक मेलों में इनको ठेले पर बेचने पर मजबूर हैं। राज्य सरकार ने अभी तक इन औषधियों के लिए कोई स्पष्ट गाइडलाइन नही बनाई है। जम्बू और जम्बू और गंदरायणी समस्त राज्य के लिए स्वरोजगार का बहुत अच्छा विकल्प बन सकता है।
इसके लिए जरूरत है। इन उत्तराखंड के मसालों के उत्पादन दोहन और विक्री के लिए स्पष्ट गाइडलाइन और इस क्षेत्र में जागरूकता जगाने की जरूरत है। क्योंकि जानकारी के अभाव में लोग इसका उचित लाभ नही ले पा रहे है। और जिनको जानकारी है वे अनियंत्रित दोहन एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार में तस्करी कर के इसको विलुप्त श्रेणी में लाने की कोशिश कर रहे हैं।
पहाड़ी तड़का जम्बू और गंदरायणी कहा से खरीदें –
मित्रों पहाड़ी तड़का जम्बू गन्दरायन वैसे तो, हल्द्वानी में पारम्परिक दुकानों में या कुमाऊ मेलों में मिलती है। मगर आपको ऑनलाइन यह पहाड़ी तड़का खरीदना है, तो आप मनोरमा मुक्ति पहाड़ी स्टोर के व्हाट्सप्प कैटलॉग में संपर्क करके खरीद सकते हैं –
लिंक ये रहा – https://wa.me/c/919760917746
निवेदन – उपरोक्त लेख पहाड़ी तड़का जम्बू और जम्बू और गंदरायनी के बारे में केवल एक जानकारी लेख है। इनका औषधीय प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। आप लोगो से निवेदन है, कि टीम देवभूमि दर्शन को सोशल मीडिया पर भी सपोर्ट करें।
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