आज आपको सुनाते हैं, हमारे पनदा की कहानी ! वैसे पनदा अल्मोड़ा के सबसे विकसित विधानसभा से आने वाले ठैरे। अब आप पूछोगे ये अल्मोड़ा में विकसित विधानसभा कौन सी है? भगवान कसम दाज्यू हमको बी नई पता ठैरा ! ये तो पनदा खुद अपनी फ़ेसबुक में लिखता है, तभी !हमको बी पता लगा कि अल्मोड़ा में कोई सबसे विकसित विधानसभा बी है ….जहां के पनदा नांतिनो के साथ दिल्ली में सटल हैं। वैसे पनदा हमारे एक नंबर के फ़ेसबुकिया ठैरे , फ़ेसबुक से ही उनको एक दिन पता चला, उनके गांव में भी विकास हो गया है….. 3 किलोमीटर चढ़ाई वाले गावँ में जेसीबी ने सड़क खोद दी बल! अब पनदा घर जाएंगे तो सीधे गाड़ी से पटाँगण में ही खुट धरेंगे।
अपने गांव में रोड खुदने की वीडियो देख कर पनदा की आखों में चोर बिराऊ की चमक आ रही थी। क्योंकि अब घरवाई भी पहाड़ जाने के लिए मना नहीं करेगी….. बच्चों और पनदा का मन बहुत करता था, पहाड़ जाने को लेकिन भाभी जी तैयार नही होती थी पहाड़ जाने को । भाभी जी की क्या गलती, वो नांछिना बे दिल्ली रई ठैरी ! पहाड़ी समझ जाने वाली हुई , बोल नहीं पाने वाली हुई ! वैसे कभी मिला मिला कर कोई कुमाऊनी शब्द बोल भी देती । भाभी की कुमाऊनी सुनकर पनदा भी मुस्करा के बोल देता ,”मेरे हिस्से का पहाड़ “!!!
पनदा आज jcb से अपने गाँव की रोड काटते हुए देख कर खुश हो रहा था, वो चिहुँक कर घरवाई को बोला , ” सुन धे अब तो हमारे गांव में भी रोड जा रही , हमारे गांव में भी विकास हो रहा, घर मे नल भी लग गया बल… एक घर एक नल योजना से …लेटिन तो पहले से बनी है … अब तो चलेगी पहाड़ ?
पत्नी ने ध्यान से वीडियो देखकर, थोड़ा शंकित होकर पूछा ,”ये रोड बना रहे या दीवार खोद रहे हैं?
फिर सहमत होते हुए बोली, चलो फिर बच्चों के लिए चलूंगी लेकिन अगर मैं एक कदम भी पैदल नही चलूंगी , पहले ही बता दे रही हूं …..
गांव तक जेसीबी द्वारा पूरी रोड खुद जाने की कनफर्म होने के बाद , पनदा ने अगले महीने गांव जाने का पिलान बनाया !
तय तारीख को पनदा और उसका परिवार , बैग बोजा लेकर निकल गया गांव के लिए… पनदा और बच्चे खूब खुश थे, और भाभी जी उनको देखकर खुश थी। नांतिनो कि खुशी से बढ़कर थोड़ी कोई खुशी होती है !!!
सब खुशी खुशी घर के लिए ट्रेन में बैठ गए … पनदा फ़ेसबुक में भी पूरे सक्रिय थे , देशद्रोही लोगो को और धर्म-संस्कृति को खतरे में डालने वाले लोगों को तो वे बिल्कुल नही छोड़ते थे, फेसबुक में ही रघोड़ देने वाले हुए ऐसे विधर्मियों को देशद्रोहियों को ! अब पता नही पनदा को फ़ेसबुक व्हाट्सप से ही पता चला , इन देशद्रोही और संस्कृति के दुश्मनों के बारे मे !
इधर देश के लिए सोशल योगदान देते – देते पनदा हल्द्वानी पहुच गए। वहां उतरे गावँ वालों के लिए खिल चना लिए , अब गांव में पैट भी बाटना हुवा !! घर के लिए फल फूल लिए ! और बैठ गए अल्मोड़ा की मैक्स में ……
मैक्स काठगोदाम से ऊपर चढ़ने लगी तो, ड्राइवर ने भी गीत घमका दिया , बैठ बाना मेरी गाड़ी में ….घूमी आली .. गाना सुनकर पनदा बहुत खुश हो रहे थे। आज तक दिल्ली में ये गाना सुना था, आज पहाड़ के सफर पर उस गाने को फील कर रहे थे… भवाली के आगे पहुचते ही , भौजी और नांतिनो के उखावते -उखावते हाल खराब…!! भौजी ने आँख ही फरका दिए … लुत्त हो गई बिल्कुल !!
भवाली की रायता पकोड़ी खाकर, अल्मोड़ा की बाल मिठाई रखकर … बैठ बाना वाला गाना सुनते हुए ,पहुँच गए बल गांव की मार्किट में…
अब भाभी तो उखावते -2 पस्त हो गई थी, वो उतर कर एक किनारे बैठ गई। बच्चे भी थके हुए थे । पनदा बोले तुम रुको, मैं गांव के लिए गाड़ी की व्यवस्था करता हूँ।..
पनदा ने सामने से गोपि को बुलाया , पूछा , ” अरे गोपियां अभी कोई गाड़ीवाला जाता है क्या घर की तरफ, हमको छोड़ देता जरा… हिसाब हो जाएगा …
गोपी बोला , अरे ! दाज्यू तुमको तो पैदल ही जाना पड़ेगा यार …. रोड तो बीच मे से बग गई कल की बारिश में । बग गई !!! पनदा के ऊपर जैसे बज्जर पात हुवा हो। कसिक बग गई ??? एकदम चिहुँक कर बोला । अरे दाज्यू ऐसा हुवा कि इस बार चुनाव में एक पार्टी वाले ने रोड खुदवा के दी, और बोला जीतूंगा तो रोड पक्की कर दूंगा ! और दूसरे ने बर्तन बटवा दिए। बर्तन वाला जीत गया …. क्यों जीता करके पनदा ने भी नही पूछा , क्योंकि पनदा बर्तन वाले के सोशल सिपाही हैं… अब भाभी जी को क्या बोले ..
! वो तो बिल्कुल चलने के लिए तैयार नही थी, अब तो उखाऊ भी हो गए ठैरे … फिर पनदा ने गोपि से पूछा कोई नेपाली मिल जाएगा क्या ? गोपी ने बताया ,दाज्यू एक नेपाली रहता था इदर.. वो भी अपने नेपाल चला गया । बोल रहा था स्वरोजगार करूँगा ….
पनदा की मुनापीड़ हो गई,…. अब भाभी को क्या बोलेगा … मुह लटका के भाभी के पास गया! भाभी बोली क्या हुवा ? “गावँ वाली रोड बह गई है!! गांव तक पैदल जाना होगा !! मरी सी आवाज में पनदा सिर झुकाकर बोला । भाभी गुस्से के मारे पागल हो गई, चिढ़ते हुए बोली , मै यहां से कही नही जाऊंगी !! तुम्हारी जिम्मेदारी है मुझे घर तक पहुचना , जैसे ले जाना वैसी व्यवस्था करो। नही तो हमको दिल्ली के लिए अभी वापस भेज दो !!!
अब पनदा को कोई रास्ता नही सुझा … सारे बैग गोपी की दुकान में रखे, दो जरूरी बैग दो बच्चों के कंधे पर टांग कर खुद चुप चाप ,नेपाली मजदूर की तरह भाभी के सामने बैठ कर मरे मन से बोला ,” बैठ बाना मेरी घुगी में “!!!
भाभी को पीठ पर लाद कर पहुचा दिया घर के पटाँगण में , लेकिन उसने इस दौरान , विकास और विकास करने – कराने वालों को ऐसी ऐसी गालियां दी कि पूछो मत !! उसके फेसबुकिया विकास की असलियत सामने आ चुकी थी। वो खुद को ठगा महसूस कर रहा था। ऊपर से घर मे नल योजना से लगे नल में पानी भी नही आ रहा था ! और दिमाग खराब !!! इतने में उनका पड़ोसी मोहनदा कुछ बर्तन लेकर उनके पास आया, बोला पनुवा भुला , “ये विकास पार्टी वाले विधायक साब ने तेरे लिए बर्तन भिजवाए थे।”
इतनी खीज, गुस्से के बाद , पनदा को इस बात का सुकून था कि , पहाड़ियों में अभी भी ईमानदारी जिंदा है…..
#बिक्रम सिंह भंडारी रचित
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