Thursday, May 15, 2025
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मै एक पहाड़ी छू, कुमाउनी गीत को मिल रहा लोगो का प्यार

आजकल यूट्यूब के जमाने में एक से बढ़कर एक कुमाउनी, गढ़वाली गीत रिलीज हो रहे हैं। इंटरनेट की आसान उपलब्धता के कारण, गीत संगीत मनोरंजन आसान हो गया है। यूट्यूब पर पहाड़ से जुड़े गीत और अन्य प्रकार की मनोरंजक सामग्री की एक भीड़ सी हो गई है। इस भीड़ में कुछ लोग हैं ,जो पहाड़ के असली लोकगीतों और पहाड़ की संस्कृति को उसके वास्तविक रूप में दिखा रहे हैं। उनमे से एक है टीम घुगुती जागर ! बहुत कम समय में टीम घुगुती जागर ने अपने पहाड़ की संस्कृति से जुड़े लोकगीतों और अपने मृदु व्यवहार से लोगों के दिलों में जगह बना ली है। इनके हर एक गीत का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। आज कल टीम घुगुती जागर का नया गीत मै एक पहाड़ी छू आया है।

इनके पुराने गीतों की तरह लोग टीम घुगुती जागर के इस नए गीत को भी भरपूर प्यार दे रहें है। एक बेहतरीन कुमाउनी कवि, लेखक और लोकगायक राजेंद्र ढैला जी नेइस गीत के लिखा और गाया है। और गीत के वीडियो में जीत तिस्वा और साक्षी कठायत के साथ खास आकर्षण का केंद्र बने हैं, लच्छू पहाड़ी!

मै एक पहाड़ी छू गीत रणजीत सिंह जी के A + स्टूडियो में इसका संगीत तैयार हुवा है और ,रिकॉर्डिंग हुई है नितेश बिष्ट जी के सनिध्या स्टूडियों हल्द्वानी में।  राजेंद्र ढैला जी ने इस कर्णप्रिय शब्दों को  कुछ इस तरह पिरोया है ,कि गीत सुनते ही आपके अंदर का पहाड़ी मन जाग उठेगा। और आप झूमने पर विवश हो जाओगे। इस बेहतरीन कुमाउनी गीत का वीडियो हम यहाँ उपलब्ध कर रहे हैं। एक बार देखेंगे तो प्यार हो जायेगा इस गीत से…….

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Bikram Singh Bhandari
Bikram Singh Bhandarihttps://devbhoomidarshan.in/
बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।
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