केदारनाथ की कहानी ( Kedarnath ki kahani ) – उत्तराखंड के चारों धामों के कपाट खुल चुके हैं। उत्तराखंड में चारों धामों में यात्रा अपने चरम पर है। यात्रियों के रोज नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। कही कही अव्यवस्थाएं भी देखने को मिल रही हैं ,लेकिन प्रशाशन पूरी मुस्तैदी से यात्रा को सफल बनाने में जुटा हुवा है। स्कंदपुराण के केदारखंड भाग में उत्तराखंड के चार धामों में और पंचकेदारों में भगवान् शिव के ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग केदारनाथ जी को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।और स्कंदपुराण में इसे भगवान् शिव का उत्तम स्थान बताया गया है। नन्दापर्वतमारभ्य यावत् काष्ठगिरिर्भवेत् । तावत्केदारकं क्षेत्रं…
Author: Bikram Singh Bhandari
वीर केसरी चन्द का जीवन परिचय :- उत्तराखंड का जौनसार क्षेत्र न केवल अपने सांस्कृतिक वैभव के लिए जाना जाता है, बल्कि इसने देश को कई वीर सपूत भी दिए हैं। यहां की लोकगाथाएं, हारूल नृत्य और मेले-ठेले समाज की जीवंत परंपराएं हैं। यहीं चकरौता के समीप रामताल गार्डन (चौलीथात) में हर वर्ष 3 मई को वीर केसरी चन्द मेला आयोजित होता है। इस अवसर पर वीर केसरी चन्द की शहादत को ‘हारूल’ लोकगीत के माध्यम से श्रद्धांजलि दी जाती है: सूपा लाहती पीठी है, ताउंखे आई गोई केसरीचंदा जापान की चीठी हे, जापान की चीठी आई, आपूं बांच केसरी…
उत्तराखंड की देवभूमि, अपने प्रत्येक कण में आस्था और लोक परंपरा को समेटे हुए है। इन्हीं लोकदेवताओं में एक अत्यंत पूजनीय और रहस्यमय देवता हैं — नगेला देवता। नागराज के दूसरे स्वरूप माने जाने वाले नगेला देवता को “नागेन्द्र” भी कहा जाता है। यह देवता न केवल गढ़वाल बल्कि कुमाऊं में भी अपने शक्ति और दिव्यता के लिए प्रसिद्ध हैं। नगेला देवता की उत्पत्ति और प्राचीन मान्यता मान्यता है कि जब गढ़वाल की जनसंख्या मात्र सवा लाख थी, तब से नगेला देवता की उपासना की परंपरा चली आ रही है। यह देवता गद्दीधारी हैं और उत्तराखंड में देवताओं के पीठाधिपति…
रम्माण उत्सव: उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत का जीवंत उत्सव उत्तराखंड के चमोली जिले की शांत घाटियों में बसा रम्माण उत्सव, आस्था, कला और परंपरा का एक मनमोहक संगम है, जो 500 वर्षों से अधिक समय से फल-फूल रहा है। जोशीमठ ब्लॉक के पैनखंडा क्षेत्र के सलूड़, डुंग्रा और सेलंग गांवों में हर साल अप्रैल (बैसाख महीने) में आयोजित होने वाला यह उत्सव, गढ़वाल हिमालय की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यूनेस्को द्वारा 2009 में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त रम्माण न केवल एक उत्सव है, बल्कि एक जीवंत विरासत है, जो इस क्षेत्र के…
भावना चुफाल का जीवन परिचय (Bhawna Chuphal Biography ) – मुख्य बिंदु – नाम: भावना चुफाल, उत्तराखंड की एक लोकप्रिय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और पूर्व टिकटॉक स्टार। निक नाम : भानू , भानुली , देवा। प्रसिद्धि: गढ़वाली और कुमाऊँनी गानों पर लिप-सिंक और डांस वीडियो के लिए जानी जाती हैं। जन्म: 15 अगस्त 1998 , दिल्ली में, मूल रूप से पिथौरागढ़, उत्तराखंड से। करियर: 2018 में टिकटॉक से शुरुआत, अब इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर सक्रिय। उद्देश्य: उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ावा देना और युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा बनना। परिचय – भावना चुफाल एक उभरती हुई सोशल मीडिया हस्ती हैं,…
नरसिंह देवता उत्तराखंड का सारांश (Summary): नरसिंह देवता उत्तराखंड के एक सिद्ध योगी और लोकदेवता हैं, जिन्हें नाथपंथी परंपरा से जोड़कर पूजा जाता है। ये भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह नहीं हैं। इनकी जागर में 52 वीर और 9 रूपों का वर्णन मिलता है। नरसिंह देवता को झोली, चिमटा और तिमर के डंडे से पहचाना जाता है। चंपावत, जोशीमठ, टिहरी आदि में इनके मंदिर हैं। इनके शांत और उग्र स्वरूप – दूधिया और डौंडिया नरसिंह की पूजा विशेष रूप से होती है। लोकविश्वास में ये सामाजिक नेतृत्व, योगबल और तांत्रिक शक्तियों के प्रतीक माने जाते हैं। विस्तार ( Detail…
उत्तराखंड, अपने प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक महत्व के लिए विश्व प्रसिद्ध है, लेकिन इस खूबसूरत राज्य की एक बड़ी समस्या है – स्वास्थ्य सेवाएँ। पहाड़ी क्षेत्रों में अच्छे अस्पतालों की कमी और बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं का अभाव यहाँ के निवासियों के लिए एक गंभीर चुनौती है। इस बीच, कैंची धाम, नीम करौली बाबा का पवित्र आश्रम, एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में उभर रहा है, जो रोज़ाना हज़ारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। लेकिन इस धाम के चढ़ावे से जुड़ा एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है, जो उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल उठाता है। पहाड़ों…
सारांश ( Summary ) : जोशीमठ में स्थित तिमुंडिया देवता का मंदिर नरसिंह और वासुदेव मंदिर के पास स्थित है। इन्हें देवी दुर्गा का वीर गण माना जाता है। लोककथा के अनुसार, त्रिमुंड्या एक उग्र तामसिक शक्ति थी जिसे देवी ने नियंत्रित कर इस स्थान पर स्थापित किया। तब से वासुदेव और नरसिंह की पूजा से पहले इनकी पूजा अनिवार्य मानी जाती है। बद्रीनाथ के कपाट खुलने से पहले त्रिमुंड्या देवता तिमुंडिया देवता का मेला (जागर ) आयोजित होता है जिसमें बकरे की बलि, चावल, गुड़ और मदिरा अर्पित की जाती है। देवता का पस्वा (माध्यम) देवत्व प्राप्त कर उग्र…
उर्वशी देवी मंदिर (Urvashi devi Temple Badrinath Uttarakhand ) : उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम के निकट बामणी गांव में, पवित्र अलकनंदा नदी के तट पर बसा एक प्राचीन और पौराणिक मंदिर है। यह मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं की अप्सरा उर्वशी को समर्पित है, जिन्हें सुंदरता और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपनी सादगी भरी वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। उर्वशी देवी मंदिर का पौराणिक महत्व और कथाएं : उर्वशी देवी मंदिर का संबंध हिंदू पौराणिक…
परिचय उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। गढ़वाल के पश्चिमी क्षेत्रों, विशेष रूप से रवांई-जौनपुर और जौनसार-बावर में, थौलू उत्सव एक ऐसा लोकोत्सव है जो स्थानीय परंपराओं, आस्था, और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। यह उत्सव वैशाख और ज्येष्ठ मास की विशेष तिथियों पर आयोजित किया जाता है और इसका नाम “थल” (देवस्थल) से प्रेरित है। थौलू न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह सामाजिक मेलमिलाप, लोकगीत, लोकनृत्य, और स्थानीय व्यापार का भी अवसर प्रदान करता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम थौलु (thoulu) के इतिहास,…