Author: Bikram Singh Bhandari

बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

हम आपको प्रस्तुत लेख में बाबा नीम करोली जी का जीवन परिचय एवं उनके जीवन से जुड़ी प्रसिद्ध किताब मिरिकल ऑफ लव में वर्णित कुछ चमत्कारी किस्सों का वर्णन कर रहें है। अगर इस लेख में कुछ त्रुटि हो या, अच्छा लगे तो हमारे फेसबुक पेज देवभूमि दर्शन पर हमें मैसज करके बता सकते हैं। अगर अच्छी लगे तो बाबा की कहानी को शेयर जरूर करें। नीम करोली बाबा  प्रारंभिक जीवन :- नीम करोरी बाबा या नीम करोली बाबा वर्तमान के सबसे महान संतो में गिना जाता है। बाबा नीम करौरी का जन्म 1900 ई के आस पास , ग्राम…

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फ्रॉग पॉइंट – कोरोना की लहर कम हो रही है। और जिंदगी पटरी पर वापस आ रही है। यदि आप किसी हिल स्टेशन में पिकनिक मनाने की सोच रहें है, तो उत्तराखंड के एक से बढ़कर एक हिल स्टेशन आपके स्वागत के लिए तैयार हैं। इसी श्रंखला में हम आपको आज ले कर जाएंगे, नैनिताल गरम पानी का फेमस पिकनिक स्पॉट फ्रॉग पॉइंट। फ्रॉग पॉइंट ( Frog Point Garampani ) उत्तराखंड अपनी सुंदरता के लिए सम्पूर्ण विश्व मे प्रसिद्ध है। यह एक से बढ़कर एक हिल स्टेशन और  पिकनिक स्पॉट हैं। इन्ही फेमस पिकनिक स्पॉट्स में एक भवाली – अल्मोड़ा…

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आज जब मैंने यह खबर देखी, कि उत्तराखंड में सालों पहले विलुप्त हो चुके सोन कुत्तों की खोज दुबारा की जाएगी। और जब मैंने सोन कुत्ते की फ़ोटो देखी, तो अनायास ही मुंह से निकल गया, “अरे इस सोन कुत्ते को तो हमारी पहाड़ी भाषा मे ,चूड़ी स्याव, फयोंन, स्योंन या स्याव आदि नामों से पुकारते हैं। इस लेख में मैंने सोन कुत्ता की फ़ोटो डाल रखी है। फ़ोटो देख कर कमेंट या हमारे फ़ेसबुक पेज देवभूमि दर्शन में जरूर बताइये कि आपकी भाषा मे सोन कुत्ते को क्या कहते हैं ? सोन कुत्तों के बारे में एक खबर -…

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उत्तराखंड देवभूमी है, यह सर्वविदित है। उत्तराखंड बड़े बड़े सन्यासियों योगी और सिद्ध महात्माओं की तपस्थली रही है। आज हम अपने इस लेख में आपको उत्तराखंड के एक ऐसे ही पवित्र स्थान काकड़ीघाट के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जहाँ स्वामी विवेकानंद जी को ज्ञान प्राप्त हुआ ।और प्रसिद्ध सिद्ध महात्मा श्री सोमवारी जी महाराज ने यहाँ अपना अमूल्य समय बिताया, और जप तप किया। काकड़ीघाट उत्तराखंड के नैनिताल जिले में , अल्मोड़ा जिले के बॉर्डर पर स्थित है। भवाली भीमताल , हल्द्वानी रोड पर , हल्द्वानी से लगभग 66 किलोमीटर दूर कोसी ( कौशिकी ) नदी और…

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उत्तराखंड में अनेक वीरों ने जन्म लिया। सिदुवा बिदुवा, पुरखू पंत, गंगू रमोला, आदि वीरो ने उत्तराखंड की पावन भूमि पर जन्म लेकर उत्तराखंड की माटी को , देवभूमि, वीरभूमि बना दिया। आज हम आपको इन्ही वीरो में से एक वीर नीलू कठायत का रोचक व अविस्मरणीय प्रसंग बताइयेंगे, आप इस रोचक प्रसंग का अंत तक आनन्द लीजिए। उम्मीद है, जब यह प्रसंग खत्म होगा,आप रोमांच और गर्व मिश्रित भावनाओं में गोते लगा रहे होंगे। इसे भी पढ़िये -कुमाऊँ का महान योद्धा पुरुषोत्तम पंत चंद शाशन में वीर सेनापति थे नीलू कठायत – नीलू कठायत चंपावत के राजा गरुदचंद्र…

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उत्तराखंड की पहाड़ियों के बीच कटीली झाड़ियों में  उगने वाला यह फल , हर एक उत्तराखंड निवासी की बचपन की यादें समेटे हुए दिव्य फल है। कुमाऊँ क्षेत्र में इसे हिसालू  और गढ़वाल क्षेत्र में इसे हिसर नाम से जाना जाता है। हिसालु या हिसर पहाड़ी फल का परिचय – हिसर को हिमालय की रसबेरी कहा जाता है। हिसालू का लैटिन नाम  (Rubus elipticus ) है। यह rosaceae वर्ग की काँटेदार झाड़ीनुमा वनस्पति है। हिसालू ( hisalu )  या हिसर ( hisar ) का फल छोटे छोटे , नारंगी रंग के रस भरे दानों से मिलकर बना होता है। कम…

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परिवार रजिस्टर नकल उत्तराखंड – मित्रों वर्तमान में लगभग हर चीज का डिजिटलीकरण हो रहा है। इसी क्रम में उत्तराखंड में भी अब धीरे धीरे  सारे सरकारी काम डिजिटल हो रहे हैं। उत्तराखंड सरकार ने भी  कई  जनता के काम को थोड़ा सहूलियत देने के लिए कई digital वेबसाइट निकाली है। जिनमे से उत्तराखंड की प्रमुख वेबसाइट है e- District Uttarakhand ( e डिस्ट्रिक्ट उत्तराखंड ) इसमे आप उत्तराखंड परिवार रजिस्टर की नकल देख सकते हैं।  E-District Uttrakhand क्या है – E – District योजना e-government योजना के अंतर्गत चलने वाली state मिशन मोड की योजना है। जिसका मुख्य उद्देश्य…

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विभूति की निकिता – जहाँ पति के गुजर जाने के बाद या शहीद होने के बाद टूट जाती है या दूसरी शादी कर लेती है। वही आज हम आपको उत्तराखंड की ऐसी वीरांगना की कहानी बताने जा रहे हैं , जिसने पति के शहीद होने के बाद, अपने परिवार को भी सम्हाला और जुट गई अपने पति की अंतिम इच्छा की पूर्ति में। और संकल्प शक्ति सुसज्जित वीरांगना ने ये कर के दिखाया। आइये आपको बताते हैं, विभूति की निकिता की सच्ची प्रेम कहानी। 18 फरवरी 2019 का दिन था। शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल की पत्नी निकिता ढौंडियाल देहरादून से…

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पहाड़ी तड़का जम्बू गंदरायणी – उत्तराखंड अपने विशेष खान पान के साथ साथ अपने ठेठ पहाड़ी तड़के के लिए प्रसिद्ध है। उत्तराखंड  में जख़्या , काला जीरा, जम्बू ,  गंदरायण का  पहाड़ी तड़का बहुत ही प्रसिद्ध है। मगर आजकल हम पहाड़ी अपने पारम्परिक पहाड़ी खान पान और पहाड़ी तड़के को भूल गए हैं। आज इस लेख मेंं उत्तराखंड के विलुप्त होते हुए 2 मसाले जम्बू और गंदरायणी के बारे चर्चा करंगे ।  जम्बू मसाला उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में एक खास मसाला प्रयोग किया जाता है। इस विशेष मसाले या तड़का मसाला  का नाम है , जम्बू मसाला यह मसाला भारत के हिमालयी…

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रायता हम उत्तराखंड वालों का सबसे पसंदीदा व्यजंन रहा है। आदिकाल से ही , पहाड़ी लोग रायते के शौकीन रहे हैं। विशेष कर उत्तराखंड के कुमाउनी क्षेत्र के लोग रायते के बहुत शौकीन होते हैं।पहले हम मेला केवल रायता और आलू गुटुक खाने जाते थे ,पहले मेलों में चाट, विभिन्न प्रकार का रायता, आलू के गुटके, दही जलेबी , रायता पकोड़ा, भांग की चटनी और पकोड़ा। विभिन्न प्रकार के रायते में, पहाड़ी ककड़ी का रायता, पहाड़ी मूली का रायता,  पिनोउ का रायता (अरबी का रायता )  ये सभी पारम्परिक पकवान पहले मेलों के आकर्षण होते थे। अब तो चाउमीन, मोमो…

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