Author: Bikram Singh Bhandari

बिक्रम सिंह भंडारी, देवभूमि दर्शन के संस्थापक और प्रमुख लेखक हैं। उत्तराखंड की पावन भूमि से गहराई से जुड़े बिक्रम की लेखनी में इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट दिखाई देती है। उनकी रचनाएँ उत्तराखंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों और प्राचीन मंदिरों का सजीव चित्रण करती हैं, जिससे पाठक इस भूमि की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत से परिचित होते हैं। साथ ही, वे उत्तराखंड की अद्भुत लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं को संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। बिक्रम का लेखन केवल सांस्कृतिक विरासत तक सीमित नहीं है, बल्कि वे स्वरोजगार और स्थानीय विकास जैसे विषयों को भी प्रमुखता से उठाते हैं। उनके विचार युवाओं को उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए प्रेरित करते हैं। उनकी लेखनी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि से परिपूर्ण है। बिक्रम सिंह भंडारी के शब्द पाठकों को उत्तराखंड की दिव्य सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत की अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाते हैं, जिससे वे इस देवभूमि से आत्मिक जुड़ाव महसूस करते हैं।

उत्तराखंड सरकार ने उत्तराखंड गौरव सम्मान पुरस्कार 2022 की घोषणा कर दी है। सरकार ने पा अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतरीन योगदान देने वाले पांच विभूतियों को पुरस्कार के लिए चुना है। इनमे से तीन विभूतियों को मरणोपरांत पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। इस सम्मान के सम्बन्ध में शाशन ने आदेश जारी कर दिए हैं। इस शाशनादेश के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत कुमार डोभाल, भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी जी को यह पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा स्व. जनरल बिपिन रावत, कवि, लेखक और गीतकार रहे स्व.गिरीश चंद्र तिवारी, साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में…

Read More

गोलू देवता उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के लोक देवता हैं। इन्हे उत्तराखंड में न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। प्रस्तुत लेख में हम गोलू देवता का भजन लिरिक्स वीडियो के साथ संकलित कर रहें हैं। इस भजन की लेखिका ,उत्तराखंड अल्मोड़ा निवासी श्रीमती चम्पा पांडे जी हैं। उन्ही के यूट्यूब चैनल पर इस भजन को वीडियो के रूप में प्रस्तुत किया गया है। शीर्षक : जय गोलू देवता ओ म्यार दुधा धारी बाला गोरिया तुमरी जै जैकार तुमरी जै जैकार देवा छु महिमा अपार -2 कत्यूर वंश राजा झालुराई का  च्यला आठु राणी कलिंगाक गर्भ बटी पैदा-…

Read More

पहाड़ में अक्टूबर नवंबर में पक कर अंदर से एकदम काले रंग के स्वादिष्ठ मेहल या मेलू सबने देखे है ,और इनका स्वाद भी लिया है। नाशपाती परिवार के इस फल को जंगली हिमालयी  नाशपाती कहते है। मेहल या मेलू को पाइरस पशिया भी कहते हैं। Rosaceae परिवार का यह पेड़ छोटे से मध्यम ऊंचाई का पर्णपाती पेड़ होता है। मेहल के बारीक़ दांतेदार अंडे के आकर के पत्ते और लाल किनारी वाले आकर्षक फूल लगते हैं। इसमें वर्ष में एक बार फल लगते हैं। इस पौधे का मूलस्थान दक्षिण एशिया माना जाता है। https://youtube.com/shorts/KVfBX9ilGBY?si=nVQTokGPTjtwKs0m पाइरस पशिया सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्र…

Read More

दीपावली के तीसरे पर्व भाई दूज के शुभावसर पर केदरनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जायेंगे। केदारनाथ के कपाट भाई दूज की सुबह 8 बजे बंद कर दिए जायेंगे। भाईदूज दीपावली पर्व शृंखला का आखिरी त्यौहार होता है । तथा दीपावली के उपरांत ठंड भी बढ़ जाती है।  और  हिमालय क्षेत्र में  निवास करना  मुश्किल हो जाता  है। इसलिए, भाई दूज पर केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ज्योतिर्लिंग को समाधि रूप देते हुए भस्म  से ढक देंगे । इस अवसर पर बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति का श्रृंगार करके  चल विग्रह…

Read More

कमलेश्वर महादेव मंदिर नामक भगवान शिव का अतिप्रसिद्ध पौराणिक मंदिर, गढ़वाल की प्राचीन राजधानी श्रीनगर में स्थित है। आबादी से लगभग एक किलोमीटर दूर पक्षिम में रोड और अलकनंदा नदी के बाएं तट पर स्थित है। केदारखंड के अनुसार यह मंदिर हिमालय के पांच प्रमुख महेश्वर पीठों में से एक पीठ है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था। 1960 ई में इस मंदिर का पूर्निर्माण बिड़ला परिवार ने करवाया था। कमलेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड में भगवान् शिव के अलावा ,गणेश और आदि गुरु शंकराचार्य जी की मूर्तियां स्थापित हैं। कमलेश्वर मंदिर का…

Read More

हमारे उत्तराखंड का प्राकृतिक सौंदर्य की बानगी तो सर्वविदित तो है ही है, तभी तो प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड जैसे विदेशी लोग मंसूरी जैसी जगहों पर अपना बसेरा खुद की ही जन्मभूमि को छोड़कर बनाते हैं। इसी तरह हमारे लिए एक गौरव का विषय है कि, देशी-विदेशी पर्यटक यहां आकर के हमारी संस्कृति के कायल हो जाते हैं और हमारे धर्म को स्वीकार कर लेते हैं और हिन्दुत्व को अंगीकार कर लेते हैं । जैसे हमारे जागर सम्राट श्री प्रीतम भरतवाण की सिनसिनाइटी अमेरिका में जहां वे विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर काम करते हैं। और विदेशी अमेरिकन फ्यूलीदास ने…

Read More

आजकल यूट्यूब के जमाने में एक से बढ़कर एक कुमाउनी, गढ़वाली गीत रिलीज हो रहे हैं। इंटरनेट की आसान उपलब्धता के कारण, गीत संगीत मनोरंजन आसान हो गया है। यूट्यूब पर पहाड़ से जुड़े गीत और अन्य प्रकार की मनोरंजक सामग्री की एक भीड़ सी हो गई है। इस भीड़ में कुछ लोग हैं ,जो पहाड़ के असली लोकगीतों और पहाड़ की संस्कृति को उसके वास्तविक रूप में दिखा रहे हैं। उनमे से एक है टीम घुगुती जागर ! बहुत कम समय में टीम घुगुती जागर ने अपने पहाड़ की संस्कृति से जुड़े लोकगीतों और अपने मृदु व्यवहार से लोगों…

Read More

2022  में चार धाम कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा पुरे हर्षोउल्लास और उत्साह के साथ शुरू हो गई थी। कोरोना महामारी के बाद ,दो साल बाद  इस साल 2022  में चार धाम यात्रा निर्विघ्न रूप से शुरू  हुई। इस साल  लोगों में चार धाम यात्रा का ऐसा उत्साह जगा कि केदारनाथ धाम के कपाट खुलते ही बीस हजार से अधिक यात्री दर्शन के लिए पहुंच गए। सरकार के इंतजाम भी कम पड़ गए थे। बाद में भीड़ देखते हुए सरकार ने प्रतिदिन दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या नियंत्रित की। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा आजकल अपने चरमोत्कर्ष पर है। अब…

Read More

भंडारी गोलू- ग्वेल ज्यू का ये मंदिर बागेश्वर के कांडापड़ाव से लगभग सात किलोमीटर दूर पिथौरागढ़  के सीमांत गांव ढलौनासेरा में स्थित है। यहाँ ग्वेलज्यू को न्यायकारी देवता के रूप में पूजा जाता है। इस पर एक पौराणिक लोकगाथा भी है जो इस प्रकार है। ढलौनासेरा गांव में पहले भंडारी जाती के लोग रहते थे। ढलौनासेरा की  जमीन काफी उपजाउ थी।  वहां उन्नत किस्म के धानों का उत्पादन होता था। अभी भी पहाड़ में सेरा वाली जो भी भूमि काफी उपजाऊ और धानों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध होती है। कहते हैं वहां अधिक उपजाऊ जमीन होने के कारण भंडारी…

Read More

02 अक्टूबर को समस्त देश बापू व् लाल बाहदुर शास्त्री जी की जयंती मनाता है। किन्तु उत्तराखंड इसे काला दिवस के रूप में मनाता है। 02 अक्टूबर 1994 का दिन उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों के लिए काला दिवस साबित हुवा। क्योंकि 1 अक्टूबर 1994 की रात अलग उत्तराखंड की मांग के लिए दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर मुजफ्फर नगर के रामपुर तिराहे पर तत्कालीन प्रशाशन ने गोलियाँ चलाई और कई आंदोलनकारी शहीद हो गए। और तत्कालीन उत्तर प्रदेश की पोलिस पर उत्तराखंड की महिला आंदोलनकारियों के साथ दुराचार के आरोप भी लगे। इस कांड पर आज भी उन पीड़ितों को इंसाफ…

Read More