Friday, March 29, 2024
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गढ़वाली गीत के बोल | Garhwali Song Lyrics in Hindi

पुराने गढ़वाली गीत लिखित में।

इस लेख में हम आपके लिए कुछ सदाबहार गढ़वाली गीत लिरिक्स ( Garhwali song lyrics ) या गढ़वाली गीतों के बोलों का संकलन कर रहे हैं। उम्मीद है कि  हमारा यह संकलन आपको अच्छा लगेगा। यहां पर हम इस लेख में दिये गीतों  की सूची दे रखी है। आपको जिस गीत के बोल चाहिए, उस पर क्लिक करें आपके सामने वही गीत के बोल आ जायेंगे।

  1. गाडो गुलाबंद गुलबंद को नगीना, गढ़वाली सांग लिरिक्स
  2. हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे गढ़वाली गीत के बोल
  3. दादू मि पर्वतु को वासी, गढ़वाली सदाबहार गीत के बोल
  4. मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई गीत के बोल
  5. ओटूवा वेलेणा ओटूवा बेलेणा, गढ़वाली लोक गीत लिरिक्स
  6. घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की, गढ़वाली सांग लिरिक्स
  7. चैता की चैतवाल, गढ़वाली गीत लिरिक्स
  8. दगडया तेरा बाना,लाठ्याला तेरा खातिर, गढ़वाली सांग लिरिक्स
  9. मैं नि करदु त्वैं से बात, गढ़वाली गीतों के बोल

प्रसिद्ध सदाबहार गढ़वाली गीतों में सर्वप्रथम हम बीना कुकरेती जी द्वारा गाया हुवा ये सास बहु की नोकझोक वाले से कर रहे हैं। यह गढ़वाल का बहुत पुराना लोक गीत है। इसकी रिकॉर्डिंग चंद्र सिंह राही द्वारा करवाई गई थी।

गाडो गुलाबंद गुलबंद को नगीना, गढ़वाली सांग  लिरिक्स –

गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना,
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।
अरे गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना,
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।
अरे गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना,
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।।
सरर्या दिन रैंदु स्वामी जी, डान्डीयौ सारी ,
फिर भी सासू मा, कर्राट च भारी
गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना।
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना,
सासू बैठी रैंदी चौक तिबारी मा।
रवटी मीथा देंदी, लूणा की गारी म।
गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना,
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।।
लती कपडियों थे, कनकवे मिल लौण पैरणा ,
सासू जील यामा, बिदोन कैरणा।
गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना
में से नि रयांदु सासू की जेल मा
स्वामी जी घौर आवा बैठिकी रेल मा।
गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना।
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।।
सासू जी उठांदी मि, आधा रात म ,
मिल त चली जाणा, स्वामी का साथ म
गाडो गुलाबंद, गुलबंद को नगीना,
त्वै तैं मेरी सासू ब्वारी युं की अगीना।।

हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे गढ़वाली गीत के बोल –

जीत सिंह नेगी जी द्वारा लिखा गया ,पारम्परिक गढ़वाली गीत  गीत जिसको गाया है , रेखा धस्माना उनियाल जी ने।  गीत के बोल हैं “हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे”

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हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे।
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।

मिन आज नैनी डांडा देवी का पास जाण,
देवी का नौकु बुगठ्या मिन आज वख चडाँण।।
मिन आज नैनी डांडा देवी का पास जाण।
देवी का नौकु बुगठ्या मिन आज वख चडाँण।
इन आज मन च मेरु सोंजड्या भी मिलालु,
सोंजड्या मेरी अंगडी घघरी पर मोहेलु।

ये घघरी पर नौ गजा कू खोल लगे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे ,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।

इन फिट दरजी दादा अंगडी सीली तू,
मोटी सी कमर मा जू पट की चिपकी जौ ,
इन फिट दरजी दादा अंगडी सीली तू।
मुट्ठी सी कमर मा जू पट की चिपकी जौ
उ म्यारू सोंजड्या त श्रृंगार शौकिया च,
फूलों मा वेकु प्यार रंगीला मन वलु च।

ईं अंगडी पर फूल दार तैणी लगे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।

मे आज रात एक सुपिनु प्यारु होया,
फूलों क बण म गौं मी घघरी घूमे क,
मे आज रात एक सुपिनु प्यारु होया।
फूलों क बण म गौं मी घघरी घूमे क,
उ म्यारा समणी आया बांसुली बजांद।
ईं घघरी पैरीक नाचण लग्युं च,

मेरी अंगडी पर टिच दार बटण लगे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे ,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।

जन्नी उ म्यारा समणी हैंसदा आला दीदा।
घूँघट क्यांकू करलु चदरि तिनीच,
जन्नी उ म्यारा समणी हैंसदा आला दीदा।
घूँघट क्यांकू करलु चदरि तिनीच,
चदरि हो त इन्नी जु जालीदार हो.
घूँघट बटे उन्कु मुक भल कै दिखे हो।

ये चदरि पर रंगबिरंगी टुफ्की लगे दे,
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।
हे दर्जी दिदा मैकू तू अंगडी बणे दे।
मेरी घघरी पर चमकदार मगज़ लगे दे।

इस गीत को सुनने या देखने के लिए यहाँ क्लिक करें।

दादू मि पर्वतु को वासी, गढ़वाली सदाबहार गीत के बोल –

‘दादू मि पर्वतु को वासी ‘ गढ़रत्न के नाम  से विख्यात नरेंद्र सिंह नेगी जी का  प्रसिद्ध गीत।  इस गीत के गढ़वाली बोल इस प्रकार हैं-

दादू मेरि उल्यारी जिकुड़ी
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले।
दादू मेरि सोंज्यडया च काफू
दादू मेरि गेल्या च हिलांसी।
झम झम ले।
छायो मि भाजी को प्यारु,
छायो मि मांजी को लादुलो
छो मेरा गोल को हंसुलो।
दादू रे बोजी को भिन्तुलो।।
दादू मेरि उल्यारी जिकुड़ी
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले। …
झम झम ले।
दादू मिन रोंस्लयों का बीच
बेठी की बांसुरी बजेनी
दादू मिन चेरी की चुराखियो ल
चल्कदा ह्युन्च्ला दिखेनी
झम झम ले दादू मेरि उल्यारी जिकुड़ी
दादू मि पर्वतु को वासी झम झम ले

इस गीत का वीडियो यहाँ देखें। ..

मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई  गीत के बोल –

मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई  सुर सम्राट नरेंद्र सिंह नेगी जी का एक सदाबहार गीत है। आइये इस लेख में इसके बोल देखते हैं।-

मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई  ,
दुई गति बैशाख सुरमा मेरा मुलुक मेला।
दुई गति बैशाख सुरमा मेरा मुलुक मेला।
मेरा मुलुक मेला एजई  …
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई।
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई.
चिलामी को पीच सुरमा चिलामी को पिच।
चिलामी को पीच सुरमा चिलामी को पिच।
बंडी दीनो बटी क सुरमा तेरी खुद लगी च,
तेरी खुद लगी च सुरमा तेरी खुद लगी च.
उखी चरखी रिथैए , सुरमा
उखी खताएइ मिठाई , सुरमा।
उखी मंदिर मा जुला , सुरमा।
उखी पूजा पिठायी एजई  ….
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई।
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई।
वोख  पेराई नयी सुरमा ,वोका पेराई नयी सुरमा
वोख  पेराई नयी सुरमा ,वोका परायी नयी।
बंडी दीनो बटी तू सुरमा सुप्नेयोमा न एयी।
सुपुन्यु  न एयी सुरमा सुप्नेयोमा न ए यी
उखी लागोलो बाज़ार सुरमा।
उखी मुल्योला हार सुरमा।
उखी छुयु की बार सुरमा।
उखी होलू करार एजई…….
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ..
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ..
देहि जमाई ठेकी सुरमा दही जमाई ठेकी .
देहि जमाई ठेकी सुरमा दही जमाई ठेकी . -२
बंडी दिनों बाटिक सुरमा तेरी मुखडी नि देखि ..
तेरी मुखडी नि देखि ..सुरमा
मुखडी नि देखि ..
उखी डालों का छेला सुरमा
उखी रंषा झुमेला मेला सुरमा
उखी डेलू सुराक सुरमा
सम्लोना रूमेला एजई ..
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ..
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ..
कासु काटी घास सुरमा, कासों कासु घास।
कासु काटी घास सुरमा , कासु काटी घास। ….
बंडी दिनों बिछोड सुरमा बलि ज्यानी को नास.
बलि जवानी को नास सुरमा बलि जवानी को नास।
मेरी दिली के दुलारी सुरमा। …
सारी दुनिया से नयारी सुरमा  ….
मेरा मन के प्यारी सुरमा  ..
सौ बचन न हारी एजई। …. .
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई ..
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई।
दुई गति बेसाक सुरमा मेरा मुलुक मेला ..
दुई गति बेसाक सुरमा मेरा मुलुक मेला ..
मेरा मुलुक मेला एजई। …….
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई…….
मेरी सुरमा सरेला सुरमा एजई …….. .

ओटूवा वेलेणा ओटूवा बेलेणा , गढ़वाली गीत –

ओटूवा वेलेणा ओटूवा वेलेणा ओटूवा वेलेणा मेरी, रसमी रुमैला ओटूवा वेलेणा”
ओटूवा वेलेणा ओटूवा वेलेणा मेरी, रसमी रुमैला ओटूवा वेलेणा।
जायान बागीता ऐजाणु खेलेणा मेरी, रेशमी रुमैला ऐजाणु खेलेणा।
ताकुलू ऊनी कु ताकुलू ऊनी कु मेरी, रश्मि रूमेला ताकुलू ऊनी कु।
जायांन बगीता उज्यालु जुनी कु मेरी, रश्मि रूमेला उज्यालु जुनी कु,
बेडू पक्या बोरू -बेडू पक्या बोरू मेरी, रश्मि रूमेला बेडू पक्या बोरू,
उज्यालू जुनीकू मै याखुल्या डोरू मेरी, रश्मि रूमेला मै याखुल्या डोरू।
चीने इ भड़ेती, चीने इ भड़ेती मेरी, रश्मि रूमेला चीने इ भड़ेती।
तू याखुल्या डोरू मी दियुलू आडेती मेरी, रश्मि रूमेला मी दियुलू आडेती।
पाणी को गाजर पाणी को गागर मेरी, रश्मि रूमेला पाणी को गागर।
कन भालू लगादु नोगाऊ बाजार मेरी, रश्मि रूमेला नोगाऊ बाजार।
ओटूवा वेलेणा ओटूवा वेलेणा मेरी, रसमी रुमैला ओटूवा वेलेणा

घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की, गढ़वाली सांग लिरिक्स :

घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की, एक विरह गीत है। जिसमे एक कन्या ससुराल में अपने मायके को याद कर रही है।

“घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की, बौड़ी-बौड़ी ऐगै ऋतु,ऋतु चैत की …
घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की, बौड़ी-बौड़ी ऐगै ऋतु,ऋतु चैत की, ऋतु,ऋतु चैत की…..

डांणी कांठ्यूं को ह्यूं, गौली गै होलो, म्यारा मैता को बौण, मौली गै होलो ।
डांणी कांठ्यूं को ह्यूं, गौली गै होलो, म्यारा मैता को बौण, मौली गै होलो ।।
चाकुला घोलू छोड़ि उड़णा ह्वाला, चाकुला घोलू छोड़ी उड़णा ह्वाला
बैठुला मेतुड़ा कु, पैटणा ह्वाला ।
घुघूती घुरूंण लगी हो… ….
घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की बौड़ी-बौड़ी ऐगै ऋतु,ऋतु चैत की, ऋतु, ऋतु चैत की …….

डाण्यूं खिलणा होला बुरसी का फूल, पाख्यूं हैंसणी होली फ्योली मुल-मुल ।
डाण्यूं खिलणा होला बुरसी का फूल, पाख्यूं हैंसणी होली फ्योली मुल-मुल ।।
कुलारी फुल-पाति लैकि दैल्यूं- दैल्यूं जाला, कुलारी फुल-पाति लेकी, दैल्यूं- दैल्यूं जाला ।
दगड़्या भग्यान थड़या-चौंफला लगाला।।
घुघूती घुरूंण लगी हो…
घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की बौड़ी-बौड़ी ऐगै ऋतु,ऋतु चैत की, ऋतु, ऋतु चैत की।।

तिबरि मां बैठ्या ह्वाला बाबाजी उदास, बाटु हैनी होली मांजी लागी होली सास ।
तिबरि मां बैठ्या ह्वाला बाबाजी उदास, बाटु हैनी होली मांजी लागी होली सास ।।
कब म्यारा मैती औजी दिसा भैटि आला, कब म्यारा मैती औजी, दिसा भैटि आला
कब म्यारा भै-बैंणों की राजि-खुशि ल्याला।
घुघूती घुरूंण लगी हो…
घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की बौड़ी-बौड़ी ऐगै ऋतु ,ऋतु चैत की, ऋतु, ऋतु चैत की ।
ऋतु, ऋतु चैत की, ऋतु, ऋतु चैत की ऋतु, ऋतु चैत की ऋतु, ऋतु चैत की…

चैता की चैतवाल, गढ़वाली गीत लिरिक्स –

यह स्वर्गीय श्री चंद्र सिंह राही द्वारा रचित , एक आछरी जागर है। इसका पुराना वर्जन और इस पर बनाया हूवा नया वर्जन दोनो सुपरहिट रहें हैं।

छोरी ……..
उड़नेडू एग्याय रे चैता की चैत्वल्या
चैता की चैत्वाल्या
चैता की चैत्वाल्या हा हा
शिव जी का बागवान सची फूल फुल्या छन ..
अरे फूल फूल्या छन ..
हा फूल फूल्या छ ना ना

हाथयो मा धरयु चा तेरु रेशमी रूमाला
सचे मुंड मा धरयु च तेरु घासी को घडुआ .
बल हाथयो मा धरयु चा तेरु रेशमी रूमाला
सचे मुंड मा धरयु च तेरु घासी को घडुआ .
बल रेशमी रुमालना भवरा हका ले ..
पोथला उड़े ले …पोथला उड़े ल्या हा हा
बल रेशमी रुमालना भवरा हका ले ..
पोथला उड़े ले …पोथला उड़े ल्या हां हां …

खुट्यु की झवरी तेरी छुम छुम बजली
तु ता ठुम ठुम हिटेली
बल खुट्यु की झवरी तेरी छुम छुम बजाली
तुता ठुम ठुम हिटेली
तुतो बिग्रेली घुट्यो न
सचे कनु खेल लगेली
अरे पिफले डाली मुड़ी तू चौफली खेलली
चोपत्ति खेल ली .
चोपत्ति खेल ली ..ल्या हां हां
बल पिफले डाली मुड़ी तू चौफली खेलली
चोपत्ति खेल ली
चोपत्ति खेली ..ल्या हां हां..

तड़तड़ी नाकुड़ी तेरी सुडसुडी नाकुड़ी तेरी
संगुली सी बुलाक तेरी,
तड़तड़ी नुकड़ीनदा छोरी , भली बीराजी दीन्दा
सची भुराणी लटुली
अरे भूराणी लटुली तेरी डांडाती फुरमा ..
छोरी फुर फुरा उडाली
मन मा खित खिता हैसदी ..
तू का देखा देके जाना
भुराणी लटुली व् फुरर फुरा उड़े ले
फुर फुरा उड़ेले फुर फुरा उड़े ल्या हा हा ..
बल घुन्ग्रयाली लटुली व् फर फुरा उड़े ले ..
फुर फुरा उड़ेले फुर फुरा उड़े ल्या हा हा ..

सुवापंखी साडी तेरी मखमली अंगिया तेरी पिंगली चादरी
सुवापंखी साडी तेरी मखमली अंगिया तेरी पिंगली चादरी
सचे रासुल्या का बीच , छोरी डांडा की कुले मा
पिंगली चादरी व् फुर फुरा उड़ेले
फुर फुरा उड़ेले
फुर फुरा उड़े ल्या हां हां ..
बल भला भला फूलो की चोंसरी बणे ले
फूलमाला गड़े ले ..चोंसरी बाणे ल्या हां हां
पैल्या की फूलमाला तू बद्री चढे ले ..
बल दूसरी फूलमाला तू केदार चढे ले .
बल पैल्या की फूलमाला तू बद्री चढे ले ..
बल दूसरी फूलमाला तू केदार चढे ले .

बल तीसरी फूलमाला हरिद्वार चढे ले ..
हरिद्वार चढे ले
हरिद्वार चढे ल्या हां हां …’
बल तीसरी फूलमाला हरिद्वार चढे ले ले ..
हरिद्वार चढे ले ले ..
हरिद्वार नहे ल्या हां हां …

दगडया तेरा बाना, लाठ्याला तेरा खातिर, गढ़वाली गीत लिरिक्स :

दगडया तेरा बाना, लाठ्याला तेरा खातिर, एक प्यारा सा गढ़वाली गीत है।

“छन्यु मा कर्यु डेरू …छन्यु मा कर्यु डेरू …
घर गौ छुड्यु चा…
धर्म जाती कु ..जन्दिरु तोड़यु चा..
खडयोणि तेरा बाना ..लाठ्याली तेरे खातिर..
खडयोणि तेरा बाना ..लाठ्याली तेरे खातिर..
माया की जगी आग..मुंड मा धेरी चा..
जानी बोझि की फाल ..अँधेरा मा मेरी चा ..
दगडया तेरा बाना…लाठ्याला तेरा खातिर..
दगडया तेरा बाना…लाठ्याला तेरा खातिर..
नि होंदु मै पुजारी ..ते निहोन्या ज्वानी कु..
नि हेरदु तो आंख्यु मा ..नि रोंदू सदानी कु..
नि होंदु मै पुजारी ..ते निहोन्या ज्वानी कु..
नि हेरदु तो आंख्यु मा ..नि रोंदू सदानी कु..
दुनिया समाज कु…दुनिया समाज कु…
मुख मोड्यू चा…..
खडयोणि तेरा बाना ..लाठ्याली तेरे खातिर..
खडयोणि तेरा बाना ..लाठ्याली तेरे खातिर..

छुयाल छुई सराणा ..रिसाड रिसाड़ा…
तुम्हारी मेरी माया का गीत मिसाणा
छुयाल छुई सराणा ..रिसाड रिसाड़ा…
तुम्हारी मेरी माया का गीत मिसाणा

आँखा का दुड बूजी..आँखा का दुड बूजी..
बोगा सारि चा…
दगडया तेरा बाना…लाठ्याली तेरा खातिर..
दगडया तेरा बाना…लाठ्याली तेरा खातिर..

भितरा का बनया बेरी..भेरा का परवाण
अपेना हुया बेरी …बिरानो की क्या लाण …
भितरा का बनया बेरी..भेरा का परवाण
अपेना हुया बिराना …बिरानो की क्या लाण …
बात सुण सुणी की
बात सुण सुणी की जिया भर्यु चा..
खडयोणि तेरा बाना ..लाठ्याली तेरे खातिर..
खडयोणि तेरा बाना ..लाठ्याली तेरे खातिर.
यु जग जगत मा हमारू..संजोग नि होणु
जिंदु रे के क्या पायी …मरी जोला क्या खोणू
मन हवे गे बैरागी…सूद बूद खोयी चा ..
दगड़या तेरा बाना,लाठ्याली तेरा खातिर..
दगड़या तेरा बाना,लाठ्याली तेरा खातिर..
दगडया तेरा बाना,लाठ्याली तेरा खातिर..
दगडया तेरा बाना ,लाठ्याली तेरा खातिर..

मैं नि करदु त्वैं से बात, गढ़वाली गीत के बोल-

मैं नि करदु त्वैं से बात, हट छोड़ि दे मेरु हाथ
मैं नि करदु त्वैं से ते बात, छोड़ छोड़ि दे मेरु हाथ
बोल चिट्ठी किले नि भेजी, तिन चिट्ठी किले नि भेजी
त्वैं कु थैं जोड़्यान हाथ – सूण सुणिजा मेरी बात
त्वैं कु थैं जोड़्यान हाथ – सूण सुणिजा मेरी बात
बदनामि की डोरो नि भेजी ,बदनामि की डोरो नि भेजी
मुख-सामणि त खूब स्वांग भरीदी, परदेस जै कि याद भी नि करिदि ,
मुख-सामणि त खूब स्वांग भरीदी, परदेस जै कि याद भी नि करिदि ,
रुंणु – रुंणु रो दीन – रात , सौंण – भादु सी बरसात,
रुंणु – रुंणु रो दीन – रात , सौंण – भादु सी बरसात,
बोल चिट्ठी किले नि भेजी ……..बोल चिट्ठी किले नि भेजी
त्वैं कु थैं जोड़्यान हाथ – सूण सुणिजा मेरि बात
बदनामि की डोरो नि भेजी
तेरा गौं कु डाक्वान चिट्टी देणु आन्दु , तु रेन्दी बणूंमां वो कैमा दे जान्दु ,
तेरा गौं कु डाक्वान चिट्टी देणु आन्दु , तु रेन्दी बणूंमां वो कैमा दे जान्दु ,
मुण्ड मां धेरि की जो हाथ, सोची – सोची मिन या बात,
मुण्ड मां धेरि की जो हाथ, सोची – सोची मिन या बात,
बदनामि की डोर नि भेजी , बदनामि की डोरो नि भेजी
मैं नि करदु त्वैं से ते बात, छोड़ छोड़ि दे मेरु हाथ,बोल चिट्ठी किले नि भेजी
निगरो सरीळ त्यारू निठरु प्राण ….हे निरदई त्वे मा क्या माया लाण
निगरो सरीळ त्यारू निठरु प्राण ….हे निरदई त्वे मा क्या माया लाण
झूटी मर्दों की छ जात , कन क्वेकि निभेलु साथ
झूटी मर्दों की छ जात , कन क्वेकि निभेलु साथ
बोल चिट्ठी किले नि भैजि ,
तिन चिट्ठी किले नि भेजी ,
त्वैं कुथैं जोड़्यान हाथ – सूण सुणिजा मेरि बात बदनामि की डोरो नि भेजी
मेरी साँची माया माँ शक केकु खांदी
हे चुची त्यारा सौं तू मेरी आंख्यों मु रान्दी
मेरी साँची माया माँ शक केकु खांदी
हे चुची त्यारा सौं तू मेरी आंख्यों मु रान्दी
लेकि आणु छौं बारात ,अब ता उम्र भर कु साथ
लेकि आणु छौं बारात ,अब ता उम्र भर कु साथ
मैं चिट्ठी इले नि भेजी , मैन चिट्ठी इले नि भेजी …..
मैन चिट्ठी इले नि भेजी…………….

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बिक्रम सिंह भंडारी देवभूमि दर्शन के संस्थापक और लेखक हैं। बिक्रम सिंह भंडारी उत्तराखंड के निवासी है । इनको उत्तराखंड की कला संस्कृति, भाषा,पर्यटन स्थल ,मंदिरों और लोककथाओं एवं स्वरोजगार के बारे में लिखना पसंद है।
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